पटनाः जलेबी का नाम सुनते ही मुंह में पानी आ जाता है. मुंह से लार टपकने लगता है. सामने आ जाए तो बड़े-बड़े सुरमा अपना कंट्रोल खोल देते हैं और लजीज जलेबी पर टूट पड़ते हैं. यह मिठाई ऐसी ही है जो हर किसी को अपनी ओर आकृषित करती है.
जलेबी के बिना अधूरा है स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस: 15 अगस्त यानी स्वतंत्रता दिवस या फिर 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस, इस दिन जलेबी का वितरण किया जाता है. स्कूल, कॉलेज या फिर कोई संस्थान सभी जगह झंडा फहराने के बाद जिलेबी बांटी जाती है, लेकिन मजे से जलेबी खाने वाले कभी नहीं सोचा कि आखिर में इस दिन जलेबी ही क्यों बांटी जाती है? कोई और मिठाई भी तो बांटी जा सकती थी लेकिन जिलेबी ही क्यों? इसका जवाब आज मिलेगा.
ईरान में हुई जलेबी की उत्पत्ति: जिस जिलेबी को हम बड़े मजे से खाते हैं वह हमारे देश की है ही नहीं. माना जाता है कि जलेबी की उत्पत्ति ईरान में हुई. ईरान में जलेबी को जुलाबिया या जुलुबिया कहा जाता है. इसका इतिहास 500 साल पुराना बताया जा रहा है. भारत के साथ-साथ बांग्लादेश, पाकिस्तान के साथ साथ तमाम अरब देशों में यह मिठाई प्रचलित है. इतिहासकारों के अनुसार तुर्की और ईरानी व्यपारी के साथ यह मिठाई अपने देश पहुंची इसके बाद यहां अपनी पहचान बना ली. लोग इसे खूब पसंद करने लगे.
राष्ट्रीय मिठाई है लजीज जलेबी: यह उत्तर भारत के साथ-साथ अन्य सभी रज्यों में बड़े मजे से खाया जाता है. पूरे राष्ट्र में पहचान बनाने के कारण इसे राष्ट्रीय मिठाई घोषित किया गया. हालांकि यह कब की गयी इसकी कोई सटीक जानकारी नहीं है. 15 अगस्त और 26 जनवरी के मौके पर देश में जलेबी (मिठाई) वितरित की जाती है. इस दिन इसकी अच्छी डिमांड होती है.
अलग-अलग राज्यों में फेमस है जलेबी: देश के अलग-अलग राज्यों में इसे अलग-अलग नाम से जाना जाता है. महाराष्ट्र में जिलबी, बंगाल में जिलपी बिहार, उत्तर प्रदेश हरियाणा, राजस्थान आदि में जलेबी कहा जाता है. अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग तरह के जलेबी फेमस है. इसे अलग-अलग तरीके से बनाया भी जाता है जो खाने में काफी लाजवाब होती है.
बिहार की इमरतीः बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में इमरती नाम से जलेबी काफी फेमस है. इसे उड़द के दाल से तैयार किया जाता है. बिहार में इसे खूब पसंद किया जाता है. यह आकार में बड़ी होती है. एक जलेबी खाने के बाद मन भर जाता है. गोलाकार जलेबी के चारो ओर छल्ले बने होते हैं. इसमें रस काफी होता है.
उत्तर प्रदेश का जलेबाः उत्तर प्रदेश और हरियाणा में जलेबा फेमस है. यह आकार में काफी बड़ा होता है. इसे देसी घी में तैयार किया जाता है. इसे खाने के बाद छोटी-छोटी जिलेबी खाना छोड़ देंगे. एक झांगरी नाम से जलेबी है जो उत्तर भारत के साथ साथ दक्षिण भारत तक पहुंच गयी. इसे अपरती नाम से भी जाना जाता है. इसे भी उड़द दाल से बनाया जाता है.
"रावण वध के बाद भगवान राम ने जीत के जश्न में जलेबी खाया था. वे अपनी जीत का जश्न जलेबी खाकर ही मनाते थे. भगवान राम को शशकुली नामक मिठाई बेहद पसंद थी." - आचार्य गोपाल, मुख्य पुजारी श्री राम जानकी ठाकुरबाड़ी मंदिर
बंगाल की चनार जलेबीः पनीर जलेबी अपने आप में खास है. इसे आम जलेबी की तुलना में ज्यादा स्वादिष्ट माना जाता है. इसे बंगाल में चनार जलेबी के नाम से पहचाना जाता है. राजस्थाना और हरियाणा की जलेबी भी अच्छी मानी जाती है. यह स्वाद में थोड़ी खट्टी होती है लेकिन इसकी डिमांड काफी अधिकत होती है. अन्य राज्यों में भी राजस्थानी और हरियाणा फेपस जलेबी खायी जाती है.
जलेबी का इतिहास: जलेबी का इतिहास 13वीं शताब्दी से भी जुड़ा है. मुहम्मद बिन हसन के द्वारा लिखी गयी किताब 'अल ताबीख' में इसे जौलबिया का जिक्र है. विदेश से भारत आने के बाद कब राष्ट्रीय मिठाई बन गयी लोगों की जुबान पर चढ़ गया इसका पता ही नहीं चला.
भगवान राम ने इसके साथ मनाया था जश्न: जलेबी को लेकर पौराणिक मान्यताएं भी जुड़ी है. इसका इतिहास रामायण काल भी जुड़ बताया जा रहा है. पटना के श्री राम जानकी ठाकुरबाड़ी मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य गोपाल के अनुसार भगवान राम को शशकुली नामक मिठाई पसंद थी जिसे जलेबी कहा जाता है. माना जाता है कि रावण से विजय के बाद भगवान राम ने जलेबी खाकर जश्न मनाया था.
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