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राष्ट्रीय पक्षी मोर की गोली मारकर हत्या, तस्करों के खिलाफ मामला दर्ज - Peacock shot dead in Banswara

बांसवाड़ा के बारी सियातलाई गांव में शिकारियों ने राष्ट्रीय पक्षी मोर की गोली मारकर हत्या कर दी. इस मामले में पुलिस ने तस्करों के खिलाफ मामला दर्ज किया है.

Hunters shot dead national bird peacock
राष्ट्रीय पक्षी मोर की गोली मारकर हत्या (ETV Bharat Banswara)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jun 13, 2024, 9:05 PM IST

बांसवाड़ा. शहर से 5 किलोमीटर दूर स्थित बारी सियातलाई गांव में राष्ट्रीय पक्षी मोर के शिकार करने का मामला सामने आया है. यहां मोर की गोली मारकर हत्या की गई. इस मामले में पुलिस ने विभिन्न धाराओं में प्रकरण दर्ज किया है. मामले में वन विभाग की सलाह पर यह कार्रवाई की गई है. वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में मोर का दाह संस्कार कर दिया गया है.

बारी सियातलाई के ग्रामीणों को बुधवार दिन में पता चला कि कुछ शिकारी आसपास घूम रहे हैं. शाम होते-होते पता चला कि शिकारियों की टोली ने जंगल में बंदूक से फायर कर मोर का शिकार कर लिया. ग्रामीणों की सूचना पर पुलिस और वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची. प्राथमिक जांच के बाद पता चला कि मोर पर गोली चली, जिससे घाव हो गया. गुरुवार को पोस्टमार्टम के बाद मोर का दाह संस्कार कर दिया गया. वन विभाग के सजेशन पर कोतवाली पुलिस ने एक नामजद तस्कर सहित कई अन्य के खिलाफ विभिन्न धाराओं में प्रकरण दर्ज किया है.

पढ़ें: कुचामन में 6 मोर और मृत मिले, वन विभाग ने शुरू की जांच - Death cases of peacocks

पहले भी किया शिकार: बता दें कि साल 2022 में यहां 6183 मोर थे, जो 2024 में घटकर 4189 रह गए. बारी सियातलाई निवासी ग्रामीण रमेश निनामा ने बताया कि गांव के जंगल में बहुत सारे मोर थे.लेकिन धीरे-धीरे घटने लगे थे. पहले भी मोर के शिकार की जानकारी मिली थी, लेकिन कोई पकड़ में नहीं आया. बुधवार को जैसे ही शिकारी आए, तो हमको पता चल गया. इसके बाद पुलिस और वन विभाग की टीम को सूचना दी गई. मौके का फायदा उठाते शिकारी भाग गए. पुलिस को बड़वी गांव के शिकारियों के बारे में पूरी जानकारी दे दी गई है.

पढ़ें: अलवर के जंगलों में मृत मिले 7 मोर, प्रशासन में मचा हड़कंप

क्षेत्रीय वन अधिकारी गोविंद सिंह खींची ने बताया कि हम केवल वन्य जीव अधिनियम में ही कार्रवाई कर सकते थे. जबकि इस मामले में बंदूक भी जब्त करनी पड़ सकती है. ऐसे में हमारे सजेशन पर कोतवाली पुलिस ने प्रकरण दर्ज किया है. शेष कार्रवाई हमने की है. बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष अधिवक्ता अजीत सिंह चौहान ने बताया कि वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के सेक्शन 51 में 1-ए में मोर की हत्या का प्रकरण बनता है. इसमें अपराध साबित होने पर 25 हजार रुपए जुर्माना या 7 साल तक की सजा अथवा दोनों सजाओं का प्रावधान है.

बांसवाड़ा. शहर से 5 किलोमीटर दूर स्थित बारी सियातलाई गांव में राष्ट्रीय पक्षी मोर के शिकार करने का मामला सामने आया है. यहां मोर की गोली मारकर हत्या की गई. इस मामले में पुलिस ने विभिन्न धाराओं में प्रकरण दर्ज किया है. मामले में वन विभाग की सलाह पर यह कार्रवाई की गई है. वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में मोर का दाह संस्कार कर दिया गया है.

बारी सियातलाई के ग्रामीणों को बुधवार दिन में पता चला कि कुछ शिकारी आसपास घूम रहे हैं. शाम होते-होते पता चला कि शिकारियों की टोली ने जंगल में बंदूक से फायर कर मोर का शिकार कर लिया. ग्रामीणों की सूचना पर पुलिस और वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची. प्राथमिक जांच के बाद पता चला कि मोर पर गोली चली, जिससे घाव हो गया. गुरुवार को पोस्टमार्टम के बाद मोर का दाह संस्कार कर दिया गया. वन विभाग के सजेशन पर कोतवाली पुलिस ने एक नामजद तस्कर सहित कई अन्य के खिलाफ विभिन्न धाराओं में प्रकरण दर्ज किया है.

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पहले भी किया शिकार: बता दें कि साल 2022 में यहां 6183 मोर थे, जो 2024 में घटकर 4189 रह गए. बारी सियातलाई निवासी ग्रामीण रमेश निनामा ने बताया कि गांव के जंगल में बहुत सारे मोर थे.लेकिन धीरे-धीरे घटने लगे थे. पहले भी मोर के शिकार की जानकारी मिली थी, लेकिन कोई पकड़ में नहीं आया. बुधवार को जैसे ही शिकारी आए, तो हमको पता चल गया. इसके बाद पुलिस और वन विभाग की टीम को सूचना दी गई. मौके का फायदा उठाते शिकारी भाग गए. पुलिस को बड़वी गांव के शिकारियों के बारे में पूरी जानकारी दे दी गई है.

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क्षेत्रीय वन अधिकारी गोविंद सिंह खींची ने बताया कि हम केवल वन्य जीव अधिनियम में ही कार्रवाई कर सकते थे. जबकि इस मामले में बंदूक भी जब्त करनी पड़ सकती है. ऐसे में हमारे सजेशन पर कोतवाली पुलिस ने प्रकरण दर्ज किया है. शेष कार्रवाई हमने की है. बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष अधिवक्ता अजीत सिंह चौहान ने बताया कि वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के सेक्शन 51 में 1-ए में मोर की हत्या का प्रकरण बनता है. इसमें अपराध साबित होने पर 25 हजार रुपए जुर्माना या 7 साल तक की सजा अथवा दोनों सजाओं का प्रावधान है.

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