कवर्धा: कबीरधाम जिले के भोरमदेव अभयारण्य में राष्ट्रीय पक्षी मोर की संख्या में तेजी से गिरावट आई है. 2015 के पहले भोरमदेव अभयारण्य में मोर की आवाज जंगल में गूंजती रहती थी और मोर आसानी से नजर आ जाते थे, लेकिन अब इनका दिखना लगभग बंद हो गया है. जिससे ना सिर्फ पक्षी प्रेमी चिंतित हैं, बल्कि इससे पर्यावरण पर भी खतरा मंडरा रहा है.
भोरमदेव अभ्यारण्य में क्यों नहीं दिख रहे मोर: भोरमदेव अभयारण्य और इसके आसपास मोरों की संख्या में आई गिरावट के लिए कई कारण माने जा रहे हैं. अवैध शिकार, जंगलों का अतिक्रमण, पर्यावरणीय बदलाव, पानी और भोजन की कमी प्रमुख हैं. पक्षी प्रेमी योगेश धुर्वे बताते हैं कि पिछले कुछ सालों में भोरमदेव अभयारण्य में लोगों की आवाजाही ज्यादा हो रही है. दो पहिया, चार पहिया गाड़ियां रोजाना सैकड़ों की संख्या में अभयारण्य से गुजरती हैं. शोरगुल, लोगों के जानवरों की लाइफ में हस्तक्षेप के कारण मोर सुरक्षा के अभाव में अपनी जगह छोड़कर आगे बढ़ते जा रहे हैं. जिस वजह से मोर अब नहीं दिख रहे हैं.
भोरमदेव अभयारण्य में आवाजाही बढ़ने से मोरों और दूसरे जानवरों की लाइफ में डिस्टर्बेंस आ रहा है. इसके लिए सरकार को ध्यान देने की जरूरत है. इसके अलावा आम लोगों को भी खुद संज्ञान लेना होगा- योगेश धुर्वे, पक्षी प्रेमी
भोरमदेव अभयारण्य में 52 प्रजातियों के पक्षियों की कमी: जून के महीने में भोरमदेव अभयारण्य में पक्षियों का सर्वे हुआ था. इस सर्वे में भोरमदेव अभयारण्य में 52 प्रजातियों के पक्षियों की कमी पाई गई. जूलाजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने अभ्यारण्य में 195 प्रजातियों को पाया था. लेकिन जून में किए गए सर्वे में 143 प्रजातियों के ही पक्षी देखने को मिले. जिससे आशंका जताई जा रही है कि अभयारण्य में बढ़ रहे दखल के कारण पक्षी इस ठिकाने को छोड़कर जा रहे हैं.
भोरमदेव में मोरों और दूसरे पक्षियों की प्रजातियों में आई कमी पर वनमंडल अधिकारी शशि कुमार ने बताया कि वन विभाग बर्ड एटलस का काम शुरू करेगा. जिसमें पूरे सालभर में पक्षियों का सर्वे किया जाएगा. इस सर्वे में पक्षियों की प्रजाति और उनकी संख्याओं का पता लगाया जाएगा.
भोरमदेव अभयारण्य में पक्षियों के लिए मैनेजमेंट प्लान बनाया जाएगा. जिसके बाद इस पर काम किया जाएगा-शशि कुमार, वनमंडल अधिकारी
कहां ज्यादा रहते हैं मोर: पक्षी प्रेमी के मुताबिक मोर ऐसी जगह ज्यादा रहना पसंद करते हैं, जहां पानी ज्यादा होता है. भोरमदेव अभयारण्य के आसपास काफी संख्या में पानी है. लेकिन उस जगह पर लोग ज्यादा आना जाना करने लगे हैं, इस वजह से मोर वहां नहीं दिख रहे हैं. मोर की पसंदीदा जगह नदी या जलाशय के किनारे और नर्म मिट्टी वाली जगह है. लेकिन आवाजाही ज्यादा बढ़ने के कारण मोर अपने सुरक्षित ठिकानों को छोड़कर पहाड़ों और ऊंचाई वाली जगहों पर जा रहे हैं. जिससे पर्यावरण और मोर के जीवन के लिए ठीक नहीं है.