कुल्लू: दीपों का त्योहार दिवाली इस साल 31 अक्टूबर को मनाया जाएगा. उससे पहले 29 अक्टूबर को धनतेरस का त्योहार मनाया जाएगा. दिवाली और धनतेरस के बीच 30 अक्टूबर को यमराज को समर्पित छोटी दिवाली का त्योहार मनाया जाएगा. जिसे नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है.
छोटी दिवाली पर नरक चतुर्दशी
नरक चतुर्दशी 30 अक्टूबर को मनाई जाएगी. इस दिन लोगों द्वारा अपने घर के बाहर यमराज के नाम से दीपक जलाने की परंपरा है, ताकि उनके परिवार के किसी सदस्य को अकाल मृत्यु का डर न सताए. नरक चतुर्दशी के इस त्योहार के दिन लोग छोटी दिवाली के साथ ही बड़ी दिवाली का भी शुभारंभ करते हैं.
नरक चतुर्दशी का मुहूर्त
आचार्य हरीश शर्मा ने बताया कि इस नरक चतुर्दशी 30 अक्टूबर को 1 बजकर 16 मिनट से शुरू हो जाएगी. इस तिथि का समापन अगले दिन 31 अक्टूबर को दोपहर 3 बजकर 53 मिनट पर होगा. ये त्योहार भी दिवाली की तरह रात के समय में ही मनाया जाता है. जिस कारण अक्टूबर रात को ही यम का दीपक जलाना शुभ होगा. दीपक जलाने का मुहूर्त शाम 5 बजकर 30 मिनट से शाम 7 बजकर 20 मिनट तक रहेगा.
कैसे जलाएं यम दीपक ?
आचार्य हरीश शर्मा ने बताया कि नरक चतुर्दशी के दिन सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में यम का दीपक जलाना चाहिए. यम दीपक जलाने का भी विशेष प्रावधान शास्त्रों में लिखा गया है.
- यमराज का दीपक जलाने के लिए एक चौमुखी दीपक या कोई सामान्य दीपक लें सकते हैं.
- दीपक में जो 4 बत्तियां लगाई जाएंगी, उनका मुख चारों दिशाओं की और ही होना चाहिए.
- इस दीपक में सरसों का तेल भरना चाहिए.
- दीपक को अपने घर के अंदर और घर के बाहर चारों दिशाओं में घुमाना चाहिए.
- दीपक को घर के प्रवेश द्वार के बाहर या किसी बहते पानी के पास रखना चाहिए.
आचार्य का कहना है कि ऐसा करने से लोगों को यमराज द्वारा अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है.
क्यों मनाई जाती है नरक चतुर्दशी ?
आचार्य हरीश कुमार ने बताया कि धार्मिक मान्यता के अनुसार छोटी दिवाली के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का संहार किया था. इसलिए इसे नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है. इसलिए इस दिन लोग राक्षस पर भगवान कृष्ण की जीत का जश्न मनाते हैं और घरों की साफ-सफाई करते हैं. इस दिन बुराई के अंधेरे को दूर करने और सकारात्मकता का स्वागत करने के लिए भी दीपक जलाए जाते हैं.