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Narak Chaudash 2024 नरक चौदस में क्यों तेल लगाकर करते हैं स्नान, जानिए छोटी दिवाली की धार्मिक मान्यता - NARAK CHAUDASH 2024

नरक चौदस को छोटी दिवाली या रूप चौदस के नाम से भी जाना जाता है.आईए जानते हैं इसके पीछे की धार्मिक मान्यता क्या है.

Narak Chaudash 2024
नरक चौदस में क्यों तेल लगाकर करते हैं स्नान (ETV Bharat Chhattisgarh)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Oct 29, 2024, 12:57 PM IST

Updated : Oct 30, 2024, 6:11 AM IST

रायपुर : धनतेरस के साथ दीपोत्सव की शुरुआत हो चुकी है. धनतेरस के बाद आता है रुप चौदस.जिसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है.कई जगहों पर इस दिन को छोटी दिवाली,नरक चौदस और काली चौदस भी कहा जाता है. इस दिन से जुड़ी कई किवदंतियां और धार्मिक मान्यताएं हैं. ऐसा माना जाता है कि इस दिन तेल और उबटन से स्नान करने पर नरक से मुक्ति मिलती है.वहीं कई जगहों पर ऐसी मान्यता है कि इस दिन तेल और उबटन लगाकर नहाने पर सौंदर्यता बढ़ती है.आईए आपको बताते हैं इस दिन से जुड़ी पौराणिक मान्यता

क्या है छोटी दिवाली की धार्मिक मान्यता : पौराणिक मान्यता के अनुसार प्राचीन काल में नरकासुर नाम का एक राक्षस हुआ करता था. अपनी शक्तियों से देवताओं और ऋषि मुनियों के साथ ही 16 हजार 100 कन्याओं को बंधक बना लिया था. नरकासुर के अत्याचारों से त्रस्त देवता और साधु संत भगवान श्री कृष्ण की शरण में गए. नरकासुर को स्त्री के हाथों मरने का श्राप था, इसलिए भगवान श्री कृष्ण अपनी पत्नी सत्यभामा की मदद से कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरकासुर का वध किया . इसके बाद कैद से 16 हजार 100 कन्याओं को नरकासुर के बंधन से मुक्ति दिलाई.

श्रीकृष्ण ने उबटन और तेल से किया था स्नान : मान्यता है कि जब श्री कृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध किया.उसके बाद तेल और उबटन से स्नान किया था. तभी से इस दिन तेल लगाकर स्नान की प्रथा शुरू हुई. माना जाता है कि ऐसा करने से नरक से मुक्ति मिलती है. स्वर्ग और सौंदर्य की प्राप्ति होती है. वहीं दूसरी मान्यता ये भी है कि नरकासुर के कब्जे में रहने के कारण 16 हजार 100 कन्याओं के रूप को फिर से श्री कृष्ण ने वापस दिलाया था. इसलिए इस दिन महिलाएं उबटन से स्नान कर 16 श्रृंगार करती हैं. जो महिलाएं आज के दिन 16 श्रृंगार करती हैं, उन्हें सौभाग्यवती और सौंदर्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

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क्या है छोटी दिवाली की धार्मिक मान्यता : पौराणिक मान्यता के अनुसार प्राचीन काल में नरकासुर नाम का एक राक्षस हुआ करता था. अपनी शक्तियों से देवताओं और ऋषि मुनियों के साथ ही 16 हजार 100 कन्याओं को बंधक बना लिया था. नरकासुर के अत्याचारों से त्रस्त देवता और साधु संत भगवान श्री कृष्ण की शरण में गए. नरकासुर को स्त्री के हाथों मरने का श्राप था, इसलिए भगवान श्री कृष्ण अपनी पत्नी सत्यभामा की मदद से कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरकासुर का वध किया . इसके बाद कैद से 16 हजार 100 कन्याओं को नरकासुर के बंधन से मुक्ति दिलाई.

श्रीकृष्ण ने उबटन और तेल से किया था स्नान : मान्यता है कि जब श्री कृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध किया.उसके बाद तेल और उबटन से स्नान किया था. तभी से इस दिन तेल लगाकर स्नान की प्रथा शुरू हुई. माना जाता है कि ऐसा करने से नरक से मुक्ति मिलती है. स्वर्ग और सौंदर्य की प्राप्ति होती है. वहीं दूसरी मान्यता ये भी है कि नरकासुर के कब्जे में रहने के कारण 16 हजार 100 कन्याओं के रूप को फिर से श्री कृष्ण ने वापस दिलाया था. इसलिए इस दिन महिलाएं उबटन से स्नान कर 16 श्रृंगार करती हैं. जो महिलाएं आज के दिन 16 श्रृंगार करती हैं, उन्हें सौभाग्यवती और सौंदर्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

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Last Updated : Oct 30, 2024, 6:11 AM IST
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