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सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के कार्मिकों के मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई, कुमाऊं विवि को दिए ये आदेश

सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के कार्मिकों के मामले में नैनीताल हाईकोर्ट सख्त, कुमाऊं विवि को नए सिरे से विकल्प मांगने के दिए आदेश

NAINITAL HIGH COURT
नैनीताल हाईकोर्ट (फोटो- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : 9 hours ago

नैनीताल: अल्मोड़ा के सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के कार्मिकों के मामले में नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मामले में आज कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा की खंडपीठ ने एसएसजी विवि के नंदन सिंह समेत 6 अन्य लोगों की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई की. जिसके बाद खंडपीठ ने कुमाऊं विवि को नए सिरे से विकल्प मांगने को कहा है.

सोबन सिंह जीना परिसर को विवि बनाने के दौरान कार्मिकों के बंटवारे से जुड़ा है मामला: दरअसल, याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि साल 2020 में कुमाऊं विश्वविद्यालय के सोबन सिंह जीना परिसर को नया विश्वविद्यालय बनाए जाने का निर्णय लिया गया था. जिसके बाद साल 2021 को कार्मिकों के बंटवारे के मामले में दोनों विवि की एक कमेटी बना दी गई. इस कमेटी ने निर्णय लिया कि जो कर्मचारी जहां तैनात हैं, वो वहीं के कर्मचारी माने जाएंगे.

इस फैसले पर साल 2022 में राज्य सरकार ने भी अपनी मुहर लगा दी, लेकिन याचिकाकर्ताओं ने इस फैसले को नैनीताल हाईकोर्ट में चुनौती दे दी. याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि वो कुमाऊं विश्वविद्यालय के कर्मचारी रहे हैं, लेकिन किसी भी निर्णय से पहले उनसे विकल्प नहीं लिया गया. सीधे ही कमेटी बनाकर फैसले पर मुहर लगा दी गई.

कुमाऊं विश्वविद्यालय को नए सिरे से विकल्प मांगने के आदेश: वहीं, आज नैनीताल हाईकोर्ट की खंडपीठ ने मामले में सुनवाई करते हुए अपने आदेश में सख्त लहजे में कहा कि याचिकाकर्ता पशु नहीं हैं, बंटवारे से पहले उनसे विकल्प लिया जाना था. साथ ही कोर्ट ने कुमाऊं विश्वविद्यालय को नए सिरे से विकल्प मांगने को कहा है.

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सोबन सिंह जीना परिसर को विवि बनाने के दौरान कार्मिकों के बंटवारे से जुड़ा है मामला: दरअसल, याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि साल 2020 में कुमाऊं विश्वविद्यालय के सोबन सिंह जीना परिसर को नया विश्वविद्यालय बनाए जाने का निर्णय लिया गया था. जिसके बाद साल 2021 को कार्मिकों के बंटवारे के मामले में दोनों विवि की एक कमेटी बना दी गई. इस कमेटी ने निर्णय लिया कि जो कर्मचारी जहां तैनात हैं, वो वहीं के कर्मचारी माने जाएंगे.

इस फैसले पर साल 2022 में राज्य सरकार ने भी अपनी मुहर लगा दी, लेकिन याचिकाकर्ताओं ने इस फैसले को नैनीताल हाईकोर्ट में चुनौती दे दी. याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि वो कुमाऊं विश्वविद्यालय के कर्मचारी रहे हैं, लेकिन किसी भी निर्णय से पहले उनसे विकल्प नहीं लिया गया. सीधे ही कमेटी बनाकर फैसले पर मुहर लगा दी गई.

कुमाऊं विश्वविद्यालय को नए सिरे से विकल्प मांगने के आदेश: वहीं, आज नैनीताल हाईकोर्ट की खंडपीठ ने मामले में सुनवाई करते हुए अपने आदेश में सख्त लहजे में कहा कि याचिकाकर्ता पशु नहीं हैं, बंटवारे से पहले उनसे विकल्प लिया जाना था. साथ ही कोर्ट ने कुमाऊं विश्वविद्यालय को नए सिरे से विकल्प मांगने को कहा है.

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