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उत्तराखंड की महिलाओं को 30 फीसदी आरक्षण मामले में सुनवाई, HC ने सरकार को जारी किया नोटिस - WOMEN RESERVATION UTTARAKHAND

Uttarakhand Women Horizontal Reservation उत्तराखंड में यूकेपीसीएस परीक्षा में महिलाओं को 30 फीसदी क्षैतिज आरक्षण मामले पर हाईकोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है. कोर्ट ने यह जवाब याचिकाकर्ता सत्य देव त्यागी के क्षैतिज आरक्षण अधिनियम को चुनौती देती याचिका पर मांगा है.

Uttarakhand Women Horizontal Reservation
नैनीताल हाईकोर्ट
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Apr 3, 2024, 8:33 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड में यूकेपीसीएस परीक्षा में महिला अभ्यर्थियों को 30 फीसदी क्षैतिज आरक्षण अधिनियम को चुनौती देती याचिका पर नैनीताल हाईकोर्ट ने सुनवाई की. मामले में कोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी किया है. इस पूरे मामले की अगली सुनवाई 7 मई को होगी.

दरअसल, नैनीताल हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता सत्य देव त्यागी ने उत्तराखंड लोक सेवा (महिलाओं के लिए क्षैतिज आरक्षण) अधिनियम, 2022 की धारा 3 (1) को चुनौती देते हुए एक याचिका दायर की है. जिसमें याचिकाकर्ता ने दलील दी है कि सार्वजनिक सेवाओं और पदों में उत्तराखंड में रहने वाली महिलाओं के लिए 30% आरक्षण भारत के संविधान के अनुच्छेद 16 के दायरे से बाहर है.

उत्तराखंड लोक सेवा आयोग ने 14 मार्च 2024 पीसीएस के विभिन्न पदों जिनमें डिप्टी कलेक्टर, पुलिस उपाधीक्षक, जिला कमांडेंट होम गार्ड आदि के 189 पदों के लिए विज्ञापन जारी किया है. उक्त विज्ञापन के खंड 10 (डी) में उत्तराखंड की मूल निवासी महिला उम्मीदवारों के लिए 30% क्षैतिज आरक्षण प्रदान किया है. इस आरक्षण को चुनौती देते हुए कोर्ट से प्रार्थना की है कि उपरोक्त भर्ती प्रक्रिया में उत्तराखंड की महिलाओं के लिए मूल निवास आधारित क्षैतिज आरक्षण नहीं दिया जाना चाहिए.

याचिकाकर्ता ने दलील दी है कि उपरोक्त अधिनियम उत्तराखंड राज्य विधानमंडल की ओर से विधायी अधिकार के बिना ही अधिनियमित किया गया है, जो भारत के संविधान के भाग 3 का उल्लंघन है. इसलिए यह पूरी तरह से असंवैधानिक है. वहीं, मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रितू बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने आज मामले की सुनवाई के बाद सरकार को नोटिस जारी किया है.

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दरअसल, नैनीताल हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता सत्य देव त्यागी ने उत्तराखंड लोक सेवा (महिलाओं के लिए क्षैतिज आरक्षण) अधिनियम, 2022 की धारा 3 (1) को चुनौती देते हुए एक याचिका दायर की है. जिसमें याचिकाकर्ता ने दलील दी है कि सार्वजनिक सेवाओं और पदों में उत्तराखंड में रहने वाली महिलाओं के लिए 30% आरक्षण भारत के संविधान के अनुच्छेद 16 के दायरे से बाहर है.

उत्तराखंड लोक सेवा आयोग ने 14 मार्च 2024 पीसीएस के विभिन्न पदों जिनमें डिप्टी कलेक्टर, पुलिस उपाधीक्षक, जिला कमांडेंट होम गार्ड आदि के 189 पदों के लिए विज्ञापन जारी किया है. उक्त विज्ञापन के खंड 10 (डी) में उत्तराखंड की मूल निवासी महिला उम्मीदवारों के लिए 30% क्षैतिज आरक्षण प्रदान किया है. इस आरक्षण को चुनौती देते हुए कोर्ट से प्रार्थना की है कि उपरोक्त भर्ती प्रक्रिया में उत्तराखंड की महिलाओं के लिए मूल निवास आधारित क्षैतिज आरक्षण नहीं दिया जाना चाहिए.

याचिकाकर्ता ने दलील दी है कि उपरोक्त अधिनियम उत्तराखंड राज्य विधानमंडल की ओर से विधायी अधिकार के बिना ही अधिनियमित किया गया है, जो भारत के संविधान के भाग 3 का उल्लंघन है. इसलिए यह पूरी तरह से असंवैधानिक है. वहीं, मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रितू बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने आज मामले की सुनवाई के बाद सरकार को नोटिस जारी किया है.

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