नैनीताल: उत्तराखंड में नदियों के चैनेलाइजेशन मामले में पूर्व के आदेश का पालन न करने के खिलाफ दायर अवमानना याचिका पर नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ में हुई. अब इस पूरे मामले में 18 मार्च को अगली सुनवाई होगी.
दरअसल, हल्द्वानी चोरगलिया के निवासी भुवन चंद्र पोखरिया ने नैनीताल हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की है. जिसमें उन्होंने कहा है कि उत्तराखंड में बरसात के समय नदियां उफान में रहती है. नदियों के मुहाने अवरुद्ध होने के कारण बाढ़ और भूकटाव होता है. जिसके चलते आबादी वाले इलाकों में जलभराव देखने को मिलता है.
नदियों के उफान पर होने के कारण हजारों हेक्टेयर वन भूमि, पेड़, सरकारी योजनाएं बह जाती हैं. नदियों का चैनलाइजेशन नहीं होने पर नदियां अपना रुख आबादी की तरफ कर कर देती हैं. जिसकी वजह से खासकर उधमसिंह नगर, हरिद्वार, हल्द्वानी, रामनगर, रुड़की, देहरादून में बाढ़ और जलभराव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है.
पिछले साल बाढ़ से कई पुल बह गए थे. आबादी क्षेत्रों में बाढ़ आने का मुख्य कारण सरकार की लापरवाही है. जिसकी वजह सरकार की ओर से नदियों के मुहानों पर जमा गाद, बोल्डर, मलबा को न हटाना है. अवमानना याचिका में कहा गया कि सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश 14 फरवरी 2023 का पालन नहीं किया. जिसकी वजह से प्रदेश में बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हुई.
इसके अलावा याचिका में कहा गया है कि सरकार को एक हजार करोड़ रुपए का नुकसान बाढ़ और आपदा से हुआ. अपने आदेश में हाईकोर्ट ने साफतौर पर कहा था कि राज्य सरकार सभी संबंधित विभागों को साथ लेकर नदियों से गाद, मलबा, बोल्डर हटाकर उन्हें चैनेलाइजेशन करें. ताकि, बरसात के दौरान नदियों का पानी बिना रुकावट के बह सकें.
इसके बावजूद अभी तक सरकार ने कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया. जबकि, कुछ महीनों के बाद बरसात यानी मानसून का सीजन शुरू हो जाएगा. जिससे फिर से वही तबाही देखने को मिलेगी. वहीं, अवमानना याचिका में नैनीताल और हरिद्वार जिलाधिकारी को पक्षकार बनाया गया है.
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