ETV Bharat / state

नागपंचमी आज, कालसर्प दोष की मुक्ति के लिए करें ये उपाय - Naga Panchami 2024 - NAGA PANCHAMI 2024

श्रावण शुक्ल पंचमी को नागपंचमी का पर्व मनाया जाता है. इस दिन नागदेवता की पूजा की जाती है. मनुष्यों और नाग देवता का संबंध पौराणिक कथाओं से मिलता रहा है. नाग देवता के प्रति मनुष्यों की ओर से कृतज्ञता व्यक्त करने का दिन ही नागपंचमी है. नाग पंचमी का महत्व कालसर्प योग वाले व्यक्तियों के लिए खास है.

नागपंचमी पूजा
नागपंचमी पूजा (ETV Bharat File Photo)
author img

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jul 25, 2024, 6:30 AM IST

बीकानेर : श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को नागपंचमी पर्व मनाया जाता है. इस दिन जन्मकुंडली में कालसर्प योग की बाधा वाले लोग यदि विधि विधान से सर्प पूजा करते हैं तो उन्हें कालसर्प योग से मुक्ति मिलती है.

मानव जाति की सहायता करते नाग : ज्योतिर्विद कपिल जोशी कहते हैं कि शेषनाग के फन पर पृथ्वी टिकी है. भगवान विष्णु क्षीरसागर में शेषशैय्या पर सोते हैं. शिवजी के गले में सर्पों के हार हैं. कृष्ण जन्म पर नाग की सहायता से ही वासुदेवजी ने यमुना पार की थी. जनमेजय ने पिता परीक्षित की मृत्यु का बदला लेने के लिए सर्पों का नाश करने वाला जो सर्पयज्ञ आरम्भ किया था, वह आस्तिक मुनि के कहने पर इसी पंचमी के दिन बंद किया गया था. इतना ही नहीं समुद्र-मंथन के समय देवताओं की भी मदद भी वासुकि नाग ने की थी.

श्रावण मास में ही क्यों नागपंचमी : ज्योतिर्विद कपिल जोशी व्यास कहते हैं कि वर्षा ऋतु में वर्षा का जल धीरे-धीरे धरती में समाकर सांप के बिलों में भर जाता है. अतः श्रावण मास के काल में सांप सुरक्षित स्थान की खोज में बाहर निकलते हैं. सम्भवतः पुरातन समय में उनकी रक्षा करने के लिए और सर्पभय व सर्पविष से मुक्ति के लिए हमारी भारतीय संस्कृति में इस दिन नागपूजन, उपवास आदि की परंपरा रही है.

पढ़ें. बार-बार विफल होने वाले करें सोमवार को भगवान शिव की पूजा, पूरी होगी सभी मनोकामना - Lord Shiva Worship

सर्प हैं खेतों के क्षेत्रपाल : जोशी कहते हैं कि भारत देश कृषि प्रधान देश है. सांप खेती की रक्षा करते हैं, इसलिए उसे ʹक्षेत्रपालʹ कहते हैं. जीव-जंतु, चूहे आदि जो फसल का नुकसान करने वाले तत्व हैं, उनका भोजन करके सांप हमारे खेतों को हरा भरा रखते हैं. इस तरह सांप मानव जाति की पोषण व्यवस्था की रक्षा करते हैं. ऐसे रक्षक की हम नागपंचमी के दिन पूजा करते हैं.

ऐसे मनाएं नागपंचमी : जोशी कहते हैं कि इस दिन कुछ लोग उपवास करते हैं. नागपूजन के लिए दरवाजे के दोनों ओर गोबर या गेरुआ या लेपन (पीसे हुए चावल व हल्दी का गीला लेप) से नाग बनाया जाता है. कहीं-कहीं मूंज की रस्सी में सात गांठ लगाकर सर्पाकार देते हैं. पटरे या जमीन को गोबर से लीपकर, उस पर सांप का चित्र बना के पूजा की जाती है. गंध, पुष्प, कच्चा दूध, खीर, भीगे चने, लावा से पूजा होती है. सांप के बिल के पास कच्चा दूध और लावा चढ़ाया जाता है. इस दिन सर्पदर्शन बहुत शुभ माना जाता है.

इन 12 प्रसिद्ध सर्प के नाम का करें स्मरण : ज्योतिर्विद पंडित विष्णु व्यास कहते हैं कि धृतराष्ट्र, कर्कोटक, अश्वतर, शंखपाल, पद्म, कम्बल, अनंत, शेष, वासुकि, पिंगल, तक्षक, कालिया और इनसे अपने परिवार की रक्षा के लिए प्रार्थना की जाती है. इस दिन सूर्यास्त के बाद जमीन खोदना निषिद्ध है. इस दिन सांप के इन नामों का स्मरण करना चाहिए.

  1. ॐ अनंताय नमः
  2. ॐ वासुकाय नमः
  3. ॐ शंख पालाय नमः
  4. ॐ तक्षकाय नमः
  5. ॐ कर्कोटकाय नमः
  6. ॐ धनंजयाय नमः
  7. ॐ ऐरावताय नमः
  8. ॐ मणि भद्राय नमः
  9. ॐ धृतराष्ट्राय नमः
  10. ॐ कालियाये नमः

कालसर्प योग का ये उपाय : ज्योतिर्विद कपिल जोशी कहते हैं कि नागपंचमी के दिन जिनको काल सर्प योग है वे शांति के लिए ये उपाय करें. पंचमी के दिन पीपल के नीचे, एक कटोरी में कच्चा दूध रख रखकर घी का दीप जलाएं. कच्चा आटा, घी और गुड़ मिलाकर एक छोटा लड्डू बना के रख दें और ये मंत्र बोल कर प्रार्थना करें. नागपंचमी के दिन भगवान शिव के मंदिर में जाकर कालसर्प योग से पीड़ित व्यक्ति को भगवान शिव और नाग की पूजा करनी चाहिए. यदि संभव हो तो तांबे का नाग का जोड़ा भगवान शिव को अर्पित करना चाहिए. इससे कालसर्प योग की बाधा से मुक्ति मिलती है.

बीकानेर : श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को नागपंचमी पर्व मनाया जाता है. इस दिन जन्मकुंडली में कालसर्प योग की बाधा वाले लोग यदि विधि विधान से सर्प पूजा करते हैं तो उन्हें कालसर्प योग से मुक्ति मिलती है.

मानव जाति की सहायता करते नाग : ज्योतिर्विद कपिल जोशी कहते हैं कि शेषनाग के फन पर पृथ्वी टिकी है. भगवान विष्णु क्षीरसागर में शेषशैय्या पर सोते हैं. शिवजी के गले में सर्पों के हार हैं. कृष्ण जन्म पर नाग की सहायता से ही वासुदेवजी ने यमुना पार की थी. जनमेजय ने पिता परीक्षित की मृत्यु का बदला लेने के लिए सर्पों का नाश करने वाला जो सर्पयज्ञ आरम्भ किया था, वह आस्तिक मुनि के कहने पर इसी पंचमी के दिन बंद किया गया था. इतना ही नहीं समुद्र-मंथन के समय देवताओं की भी मदद भी वासुकि नाग ने की थी.

श्रावण मास में ही क्यों नागपंचमी : ज्योतिर्विद कपिल जोशी व्यास कहते हैं कि वर्षा ऋतु में वर्षा का जल धीरे-धीरे धरती में समाकर सांप के बिलों में भर जाता है. अतः श्रावण मास के काल में सांप सुरक्षित स्थान की खोज में बाहर निकलते हैं. सम्भवतः पुरातन समय में उनकी रक्षा करने के लिए और सर्पभय व सर्पविष से मुक्ति के लिए हमारी भारतीय संस्कृति में इस दिन नागपूजन, उपवास आदि की परंपरा रही है.

पढ़ें. बार-बार विफल होने वाले करें सोमवार को भगवान शिव की पूजा, पूरी होगी सभी मनोकामना - Lord Shiva Worship

सर्प हैं खेतों के क्षेत्रपाल : जोशी कहते हैं कि भारत देश कृषि प्रधान देश है. सांप खेती की रक्षा करते हैं, इसलिए उसे ʹक्षेत्रपालʹ कहते हैं. जीव-जंतु, चूहे आदि जो फसल का नुकसान करने वाले तत्व हैं, उनका भोजन करके सांप हमारे खेतों को हरा भरा रखते हैं. इस तरह सांप मानव जाति की पोषण व्यवस्था की रक्षा करते हैं. ऐसे रक्षक की हम नागपंचमी के दिन पूजा करते हैं.

ऐसे मनाएं नागपंचमी : जोशी कहते हैं कि इस दिन कुछ लोग उपवास करते हैं. नागपूजन के लिए दरवाजे के दोनों ओर गोबर या गेरुआ या लेपन (पीसे हुए चावल व हल्दी का गीला लेप) से नाग बनाया जाता है. कहीं-कहीं मूंज की रस्सी में सात गांठ लगाकर सर्पाकार देते हैं. पटरे या जमीन को गोबर से लीपकर, उस पर सांप का चित्र बना के पूजा की जाती है. गंध, पुष्प, कच्चा दूध, खीर, भीगे चने, लावा से पूजा होती है. सांप के बिल के पास कच्चा दूध और लावा चढ़ाया जाता है. इस दिन सर्पदर्शन बहुत शुभ माना जाता है.

इन 12 प्रसिद्ध सर्प के नाम का करें स्मरण : ज्योतिर्विद पंडित विष्णु व्यास कहते हैं कि धृतराष्ट्र, कर्कोटक, अश्वतर, शंखपाल, पद्म, कम्बल, अनंत, शेष, वासुकि, पिंगल, तक्षक, कालिया और इनसे अपने परिवार की रक्षा के लिए प्रार्थना की जाती है. इस दिन सूर्यास्त के बाद जमीन खोदना निषिद्ध है. इस दिन सांप के इन नामों का स्मरण करना चाहिए.

  1. ॐ अनंताय नमः
  2. ॐ वासुकाय नमः
  3. ॐ शंख पालाय नमः
  4. ॐ तक्षकाय नमः
  5. ॐ कर्कोटकाय नमः
  6. ॐ धनंजयाय नमः
  7. ॐ ऐरावताय नमः
  8. ॐ मणि भद्राय नमः
  9. ॐ धृतराष्ट्राय नमः
  10. ॐ कालियाये नमः

कालसर्प योग का ये उपाय : ज्योतिर्विद कपिल जोशी कहते हैं कि नागपंचमी के दिन जिनको काल सर्प योग है वे शांति के लिए ये उपाय करें. पंचमी के दिन पीपल के नीचे, एक कटोरी में कच्चा दूध रख रखकर घी का दीप जलाएं. कच्चा आटा, घी और गुड़ मिलाकर एक छोटा लड्डू बना के रख दें और ये मंत्र बोल कर प्रार्थना करें. नागपंचमी के दिन भगवान शिव के मंदिर में जाकर कालसर्प योग से पीड़ित व्यक्ति को भगवान शिव और नाग की पूजा करनी चाहिए. यदि संभव हो तो तांबे का नाग का जोड़ा भगवान शिव को अर्पित करना चाहिए. इससे कालसर्प योग की बाधा से मुक्ति मिलती है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.