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नाग देवता का रहस्यमयी मंदिर, आज तक कोई नहीं डलवा पाया छत, यहां से पत्थर ले जाने पर मिलती है सजा, पढ़िए डिटेल - Nag Panchami 2024

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 9, 2024, 7:46 AM IST

औरैया में नाग देवता का अनोखा मंदिर है. नाग पंचमी पर हर साल यहां दो दिवसीय मेला लगता है. खास मौके पर आज से मेले की शुरुआत हो गई है. इस मंदिर से जुड़ी कई कहानियां बेहद रोचक हैं.

औरैया का अनोखा नाग मंदिर.
औरैया का अनोखा नाग मंदिर. (Photo Credit; ETV Bharat)
धौरा नाग मंदिर से जुड़ी हैं कई मान्यताएं. (Video Credit; ETV Bharat)

औरैया : रामायण और महाभारत कालीन कई मंदिर और भवन आज भी कई रहस्यों को समेटे हुए हैं. कुछ तो विज्ञान को भी चुनौती देने का माद्दा रखते हैं. ऐसा ही एक स्थान औरैया जिले में भी है. यह काफी प्राचीन बताया जाता है. दिबियापुर के पास सेहुद गांव के टीले पर धौरा नाग मंदिर है. खास बात यह है कि इस मंदिर पर छत नहीं है. मान्यता है कि जिसने भी यहां पर छत डालने की कोशिश की या तो उसकी मौत हो गई या उसे बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ा. इस मंदिर से जुड़े कई किस्से आज भी सुर्खियों में रहते हैं.

धौरा नाग मंदिर में छत नहीं है. यहां मौजूद देवी-देवताओं की खंडित मूर्तियों की पूजा की जाती है. लोगों की मान्यता है कि साक्षात धौरा नाग देवता मंदिर परिसर में लोगों को दर्शन देते रहते हैं. लोगों का कहना है कि गांव के ही एक इंजीनियर ने नाग मंदिर में छत डलवाने की कोशिश की. उसके बाद उनके घर में 2 लोगों की आकस्मिक मौत हो गई. इस मंदिर से कोई सामान भी लेकर नहीं जा सकता है.

11वीं सदी में गजनवी ने खंडित कराई थीं मूर्तियां : ग्रामीण बताते हैं कि मंदिर में सदियों पुरानी मूर्तियां पड़ी हैं. यह 11 वीं सदी में मोहम्मद गजनवी के आक्रमण के समय मंदिरों के तोड़फोड़ के सच को बयां करती हैं. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह मंदिर कितना पुराना है.

नागपंचमी के दिन गांव में लगता है मेला : धौरा नाग मंदिर की सिर्फ यही खूबी इसे अन्य मंदिरों से अलग करती है. यहां नाग पंचमी के दिन आसपास के जनपदों से आने वाले श्रद्धालु विशेष पूजा अर्चना करते हैं. इसके साथ ही यहां पर दो दिन तक लगातार मेला चलता है. मेले में दंगल का भी आयोजन होता है. आज नागपंचमी होने के कारण सुबह ही यहां चहल-पहल नजर आ रही है.

नाग पंचमी पर हर साल लगता है मेला. (Video Credit; ETV Bharat)

नागपंचमी के दिन ही मंदिर में हो सकती सफाई : ग्रामीणों का कहना है कि मंदिर में सिर्फ नागपंचमी के दिन ही साफ सफाई हो पाती है. अन्य दिन अगर कोई यहां सफाई करने आता है तो उसे एक सफेद रंग का बड़ा सांप दिखाई देता है. वह उन्हें मंदिर की सफाई नहीं करने देता है.

यहां से कोई भी नहीं ले पाता पत्थर : ग्रामीण उदयवीर ने बताया कि कन्नौज के राजा जयचंद की पत्नी सुरंग से मंदिर में पूजा-अर्चना करने आती थी. इसके साथ ही गांव में स्थित मिट्टी के टीलों पर भगवान शिव की प्रतिमाएं निकलती रहती हैं. कोई बाहरी व्यक्ति मंदिर या उसके आसपास से कोई पत्थर भी लेकर नहीं जा पाता. अगर कोई ले भी जाता है तो उसे सांप ही सांप दिखाई देते हैं. इसके बाद उसे पत्थर को वापस रखना पड़ता है.

तक्षक प्रजाति के नाग निकलते रहते हैं : ग्रामीणों के अनुसार राजा परीक्षित को तक्षक सांप ने डस लिया तो उनके बेटे जनमेजय ने संपूर्ण सांप जाति के खात्मे के लिए यज्ञ किया था. गांव में तक्षक प्रजाति के नाग निकलते रहते हैं. विशेषकर नागपंचमी पर ये नाग मंदिर में आते-जाते रहते हैं. गांव के रहने वाले रामलखन गुप्ता का कहना है कि ये नाग मंदिर काफी प्राचीन है और नागपंचमी पर काफी दूर-दूर से श्रद्धालु यहां पूजा-अर्चना करने आते हैं. नाग देवता उनकी मनोकामना पूरी करते हैं.

मंदिर लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करता है. यहां के लोगों का मानना है कि मंदिर में अजीब सी आकर्षण क्षमता है. हालांकि मंदिर से जुड़े रहस्यों की पुष्टि आज तक नहीं हो पाई है. मंदिर और इससे जुड़ी कहानियां केवल लोगों की मान्यताओं पर ही आधारित हैं. इसका कोई वैज्ञानिक आधार आज तक नहीं मिला है. ईटीवी भारत किसी भी तरह से अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देता है.

यह भी पढ़ें : काकोरी ट्रेन एक्शन के 100 साल; ट्रेन के गार्ड की गवाही ने क्रांतिकारियों को दिलाई थी फांसी, पढ़िए आजादी के मतवालों की वीरगाथा

धौरा नाग मंदिर से जुड़ी हैं कई मान्यताएं. (Video Credit; ETV Bharat)

औरैया : रामायण और महाभारत कालीन कई मंदिर और भवन आज भी कई रहस्यों को समेटे हुए हैं. कुछ तो विज्ञान को भी चुनौती देने का माद्दा रखते हैं. ऐसा ही एक स्थान औरैया जिले में भी है. यह काफी प्राचीन बताया जाता है. दिबियापुर के पास सेहुद गांव के टीले पर धौरा नाग मंदिर है. खास बात यह है कि इस मंदिर पर छत नहीं है. मान्यता है कि जिसने भी यहां पर छत डालने की कोशिश की या तो उसकी मौत हो गई या उसे बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ा. इस मंदिर से जुड़े कई किस्से आज भी सुर्खियों में रहते हैं.

धौरा नाग मंदिर में छत नहीं है. यहां मौजूद देवी-देवताओं की खंडित मूर्तियों की पूजा की जाती है. लोगों की मान्यता है कि साक्षात धौरा नाग देवता मंदिर परिसर में लोगों को दर्शन देते रहते हैं. लोगों का कहना है कि गांव के ही एक इंजीनियर ने नाग मंदिर में छत डलवाने की कोशिश की. उसके बाद उनके घर में 2 लोगों की आकस्मिक मौत हो गई. इस मंदिर से कोई सामान भी लेकर नहीं जा सकता है.

11वीं सदी में गजनवी ने खंडित कराई थीं मूर्तियां : ग्रामीण बताते हैं कि मंदिर में सदियों पुरानी मूर्तियां पड़ी हैं. यह 11 वीं सदी में मोहम्मद गजनवी के आक्रमण के समय मंदिरों के तोड़फोड़ के सच को बयां करती हैं. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह मंदिर कितना पुराना है.

नागपंचमी के दिन गांव में लगता है मेला : धौरा नाग मंदिर की सिर्फ यही खूबी इसे अन्य मंदिरों से अलग करती है. यहां नाग पंचमी के दिन आसपास के जनपदों से आने वाले श्रद्धालु विशेष पूजा अर्चना करते हैं. इसके साथ ही यहां पर दो दिन तक लगातार मेला चलता है. मेले में दंगल का भी आयोजन होता है. आज नागपंचमी होने के कारण सुबह ही यहां चहल-पहल नजर आ रही है.

नाग पंचमी पर हर साल लगता है मेला. (Video Credit; ETV Bharat)

नागपंचमी के दिन ही मंदिर में हो सकती सफाई : ग्रामीणों का कहना है कि मंदिर में सिर्फ नागपंचमी के दिन ही साफ सफाई हो पाती है. अन्य दिन अगर कोई यहां सफाई करने आता है तो उसे एक सफेद रंग का बड़ा सांप दिखाई देता है. वह उन्हें मंदिर की सफाई नहीं करने देता है.

यहां से कोई भी नहीं ले पाता पत्थर : ग्रामीण उदयवीर ने बताया कि कन्नौज के राजा जयचंद की पत्नी सुरंग से मंदिर में पूजा-अर्चना करने आती थी. इसके साथ ही गांव में स्थित मिट्टी के टीलों पर भगवान शिव की प्रतिमाएं निकलती रहती हैं. कोई बाहरी व्यक्ति मंदिर या उसके आसपास से कोई पत्थर भी लेकर नहीं जा पाता. अगर कोई ले भी जाता है तो उसे सांप ही सांप दिखाई देते हैं. इसके बाद उसे पत्थर को वापस रखना पड़ता है.

तक्षक प्रजाति के नाग निकलते रहते हैं : ग्रामीणों के अनुसार राजा परीक्षित को तक्षक सांप ने डस लिया तो उनके बेटे जनमेजय ने संपूर्ण सांप जाति के खात्मे के लिए यज्ञ किया था. गांव में तक्षक प्रजाति के नाग निकलते रहते हैं. विशेषकर नागपंचमी पर ये नाग मंदिर में आते-जाते रहते हैं. गांव के रहने वाले रामलखन गुप्ता का कहना है कि ये नाग मंदिर काफी प्राचीन है और नागपंचमी पर काफी दूर-दूर से श्रद्धालु यहां पूजा-अर्चना करने आते हैं. नाग देवता उनकी मनोकामना पूरी करते हैं.

मंदिर लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करता है. यहां के लोगों का मानना है कि मंदिर में अजीब सी आकर्षण क्षमता है. हालांकि मंदिर से जुड़े रहस्यों की पुष्टि आज तक नहीं हो पाई है. मंदिर और इससे जुड़ी कहानियां केवल लोगों की मान्यताओं पर ही आधारित हैं. इसका कोई वैज्ञानिक आधार आज तक नहीं मिला है. ईटीवी भारत किसी भी तरह से अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देता है.

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