भीलवाड़ा. आधुनिक युग में भी पौराणिक मान्यता के अनुसार वर्षा ऋतु का बारिश का आकलन किया जाता है. टिटहरी के अंडे देखकर पता लगाया जाता है कि क्षेत्र में बारिश कितनी होगी. भीलवाड़ा जिले में इस बार लोगों का मानना है कि टिटहरी ने ऊंचाई पर अंडे दिए हैं, ऐसे में चार माह अच्छी बारिश होगी.
मौसम विभाग भले ही आधुनिक संसाधनों से बारिश को लेकर भविष्यवाणी करता है लेकिन आज भी पौराणिक मान्यताओं में पशु-पक्षियों के आधार पर ही आमजन मौसम का पुर्वानुमान लगाते है. ऐसी ही मान्यता है टिटहरी के अंडों को लेकर, जहां अगर टिटहरी खेत या जंगल में 4 अंडे देती है तो आगामी दिनों में मानसून को अच्छा माना जाता है. भीलवाड़ा में भी इस बार टिटहरी ने जंगल में 4 अंडे दिए है. जिसके कारण लोगों में अच्छे मानसून की आस जगी है.
भीलवाड़ा के गांव व्यास पंडित राजेंद्र कुमार व्यास का कहना है कि वर्तमान में आषाढ़ माह लग चुका है. कईं जगह मानसून पूर्व की बरसात भी हो रही है, लेकिन आगामी दिनों बरसात कैसी होगी इसको लेकर पुर्वानुमान लगाए जा रहे हैं. इसके बारे में पौराणिक मान्यता में टिटहरी को अंडों को देखकर घोषणा की जाती थी कि आगामी मौसम कैसा रहेगा. टिटहरी अंडों के बारे में बताया जाता है कि तालाब किनारे, बांध किनारे और नदी किनारे अंडे देती है तो उस वर्ष बरसात मध्यम से कम रहती है और अगर वह जंगल और खेतों में देती है तो माना जाता है कि इस वर्ष अच्छी बरसात होती है. इसके बाद यह भी मान्यता है कि अंडों की गिनती से भी अनुमान लगाया जाने लगा है. टिटहरी के 3 अंडों में सामान्य और 4 अंडे देने पर अच्छी बरसात होना बताया जाता है.
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वहीं किसान शंभू गिरी का कहना है कि हमारे पुर्वजो की मान्यता है कि टिटोडी के 4 अंडो का मुंह जमीन की ओर होता है तो मानसून के चारों महिनो में अच्छी बरसात होगी. यही इसमें दो अंडे ऊपर और दो अंडे नीचे होते है तो 2 माह ही अच्छी बरसात होती है. अंडे का मुंह ऊपर होने पर उस माह में बरसात की संभावना बहुत कम होती है. टिटहरी के अंडों की माने तो इस बार चारों महिनों में अच्छी बरसात की संभावना बन रही है मगर यह तो आना वाले दिनों में ही पता लग पायेगा कि कहां कितने बरसात होती है.