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'सुनीता की नहीं, उन उम्मीदों की मौत है जो सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था के भरोसे हैं'- मानवाधिकार अधिवक्ता

चर्चित किडनी कांड की पीड़ित सुनीता की सोमवार को मौत हो गई. मुजफ्परपुर के एसकेएमसीएच में इलाज के दौरान उनकी मौत हुई है.

किडनी कांड की पीड़ित सुनीता
किडनी कांड की पीड़ित सुनीता (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Oct 21, 2024, 10:52 PM IST

मुजफ्फरपुर: बिहार के मुजफ्फरपुर चर्चित किडनी कांड की पीड़िता सुनीता ने आखिरकार एसकेएमसीएच में आखिरी सांस ली. बता दें कि झोला छाप डॉक्टर ने गर्भाशय के ऑपरेशन के नाम पर सुनीता की किडनी गायब कर दी थी. इसके बाद मुजफ्फरपुर SKMCH में उनका इलाज किया गया और लगभग दो साल से उनका इलाज चल रहा था, लेकिन उसे बचाया न जा सका.

किडनी कांड पीड़िता सुनीता की मौत : सुनीता ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से लेकर देश के स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा तक से किडनी ट्रांसप्लांट की गुहार लगाई लेकिन दो साल बीतने के बावजूद वो जिंदगी के लिए पल पल लड़ती रही. इस बीच उसका इलाज अलग-अलग अस्पतालों में कराया गया लेकिन उसकी सेहत में सुधार नहीं हुआ.

चर्चित किडनी कांड की पीड़ित सुनीता
चर्चित किडनी कांड की पीड़ित सुनीता (ETV Bharat)

मानवाधिकार अधिवक्ता ने दाखिल की थी याचिका: विदित हो कि पीड़ित महिला सुनीता देवी के ओवरी के ऑपरेशन के दौरान दोनों किडनी निकालने का मामला प्रकाश में आने के बाद मानवाधिकार अधिवक्ता एसके झा ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग एवं राज्य मानवाधिकार आयोग में याचिका दाखिल की थी. जिसपर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने बिहार सरकार को किडनी ट्रांसप्लांट की व्यवस्था करने का आदेश दिया था, लेकिन मामले में सरकार का रवैया शुरू से ही काफी निराशाजनक था.

"सुनीता की मौत राज्य के पूरे स्वास्थ्य महकमे और प्रशासनिक व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़ा करता है. यह सुनीता की मौत नहीं, उन सभी उम्मीदों की मौत है. जो राज्य भर के लोगों ने सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था से लगा रखी थी. प्रश्न अब भी शेष है कि क्या एक गरीब को इलाज का हक नहीं." -एस के झा, मानवाधिकार अधिवक्ता

सुनीता के गर्भाशय का ऑपरेशन: बता दें कि वर्ष 2022 में 11 जुलाई को सकरा थाना क्षेत्र के बाजी राउत गांव की 35 वर्षीय सुनीता देवी के पेट में दर्द हुआ तो इलाज के लिए उसे डॉक्टर पवन कुमार के क्लिनिक लाया गया. डॉक्टर ने उसे गर्भाशय निकलने के लिए ऑपरेशन की सलाह दी. बरियारपुर स्थित शुभकांत क्लिनिक में 3 सितंबर 2022 को सुनीता के गर्भाशय का ऑपरेशन किया गया था, जो झोलाछाप डॉक्टर पवन कुमार ने किया था. उसने इस ऑपरेशन के लिए 30 हजार रुपए लिए थे.

सीएम नीतीश और जेपी नड्डा भी कर चुके हैं मुलाकात : एसकेएमसीएच में सीएम नीतीश कुमार पहुंचे हुए थे तो उन्होंने किडनी कांड की पीड़िता सुनीता से भी मुलाकात की. सीएम ने मानवीय पहलू दिखाते हुए उसकी आर्थिक मदद मुहैया कराया था. खुद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री भी जब एसकेएमसीएच परिसर में बने सुपर स्पेशलिटी अस्पताल का उद्घाटन करने पहुंचे थे तो वो भी किडनी पीड़िता सुनीता से मिले थे.

सिस्टम पर सवाल छोड़ गई सुनीता : सुनीता ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री और दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के सामने किडनी की डिमांड की थी, लेकिन इस बात को कहे भी महीने बीत गए. इसी बीच सुनीता ने धीरज खो दिया और इस दुनिया को अलविदा कह दिया. सुनीता अपने बच्चों को अकेला नहीं छोड़ गई बल्कि उसकी मौत सिस्टम के सामने कई सवाल भी छोड़कर गई है.

नामजद अभियुक्त डॉक्टर पवन कुमार को बनाया था: मानवाधिकार अधिवक्ता एसके झा ने बताया कि मामले में सकरा (बरियारपुर ओपी ) में अभियुक्तों के विरुद्ध दर्ज किया गया. जिसमें नामजद अभियुक्त डॉ. पवन कुमार, आर के सिंह, संगीता देवी एवं अन्य दो अज्ञात के विरुद्ध मामला सत्य पाया गया है. प्राथमिक अभियुक्त डॉ. पवन कुमार को 7 वर्ष के कारावास की सजा भी सुनाई गई.

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मुजफ्फरपुर: बिहार के मुजफ्फरपुर चर्चित किडनी कांड की पीड़िता सुनीता ने आखिरकार एसकेएमसीएच में आखिरी सांस ली. बता दें कि झोला छाप डॉक्टर ने गर्भाशय के ऑपरेशन के नाम पर सुनीता की किडनी गायब कर दी थी. इसके बाद मुजफ्फरपुर SKMCH में उनका इलाज किया गया और लगभग दो साल से उनका इलाज चल रहा था, लेकिन उसे बचाया न जा सका.

किडनी कांड पीड़िता सुनीता की मौत : सुनीता ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से लेकर देश के स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा तक से किडनी ट्रांसप्लांट की गुहार लगाई लेकिन दो साल बीतने के बावजूद वो जिंदगी के लिए पल पल लड़ती रही. इस बीच उसका इलाज अलग-अलग अस्पतालों में कराया गया लेकिन उसकी सेहत में सुधार नहीं हुआ.

चर्चित किडनी कांड की पीड़ित सुनीता
चर्चित किडनी कांड की पीड़ित सुनीता (ETV Bharat)

मानवाधिकार अधिवक्ता ने दाखिल की थी याचिका: विदित हो कि पीड़ित महिला सुनीता देवी के ओवरी के ऑपरेशन के दौरान दोनों किडनी निकालने का मामला प्रकाश में आने के बाद मानवाधिकार अधिवक्ता एसके झा ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग एवं राज्य मानवाधिकार आयोग में याचिका दाखिल की थी. जिसपर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने बिहार सरकार को किडनी ट्रांसप्लांट की व्यवस्था करने का आदेश दिया था, लेकिन मामले में सरकार का रवैया शुरू से ही काफी निराशाजनक था.

"सुनीता की मौत राज्य के पूरे स्वास्थ्य महकमे और प्रशासनिक व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़ा करता है. यह सुनीता की मौत नहीं, उन सभी उम्मीदों की मौत है. जो राज्य भर के लोगों ने सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था से लगा रखी थी. प्रश्न अब भी शेष है कि क्या एक गरीब को इलाज का हक नहीं." -एस के झा, मानवाधिकार अधिवक्ता

सुनीता के गर्भाशय का ऑपरेशन: बता दें कि वर्ष 2022 में 11 जुलाई को सकरा थाना क्षेत्र के बाजी राउत गांव की 35 वर्षीय सुनीता देवी के पेट में दर्द हुआ तो इलाज के लिए उसे डॉक्टर पवन कुमार के क्लिनिक लाया गया. डॉक्टर ने उसे गर्भाशय निकलने के लिए ऑपरेशन की सलाह दी. बरियारपुर स्थित शुभकांत क्लिनिक में 3 सितंबर 2022 को सुनीता के गर्भाशय का ऑपरेशन किया गया था, जो झोलाछाप डॉक्टर पवन कुमार ने किया था. उसने इस ऑपरेशन के लिए 30 हजार रुपए लिए थे.

सीएम नीतीश और जेपी नड्डा भी कर चुके हैं मुलाकात : एसकेएमसीएच में सीएम नीतीश कुमार पहुंचे हुए थे तो उन्होंने किडनी कांड की पीड़िता सुनीता से भी मुलाकात की. सीएम ने मानवीय पहलू दिखाते हुए उसकी आर्थिक मदद मुहैया कराया था. खुद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री भी जब एसकेएमसीएच परिसर में बने सुपर स्पेशलिटी अस्पताल का उद्घाटन करने पहुंचे थे तो वो भी किडनी पीड़िता सुनीता से मिले थे.

सिस्टम पर सवाल छोड़ गई सुनीता : सुनीता ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री और दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के सामने किडनी की डिमांड की थी, लेकिन इस बात को कहे भी महीने बीत गए. इसी बीच सुनीता ने धीरज खो दिया और इस दुनिया को अलविदा कह दिया. सुनीता अपने बच्चों को अकेला नहीं छोड़ गई बल्कि उसकी मौत सिस्टम के सामने कई सवाल भी छोड़कर गई है.

नामजद अभियुक्त डॉक्टर पवन कुमार को बनाया था: मानवाधिकार अधिवक्ता एसके झा ने बताया कि मामले में सकरा (बरियारपुर ओपी ) में अभियुक्तों के विरुद्ध दर्ज किया गया. जिसमें नामजद अभियुक्त डॉ. पवन कुमार, आर के सिंह, संगीता देवी एवं अन्य दो अज्ञात के विरुद्ध मामला सत्य पाया गया है. प्राथमिक अभियुक्त डॉ. पवन कुमार को 7 वर्ष के कारावास की सजा भी सुनाई गई.

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