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सर्दी ने पकड़ा जोर तो सरसों की फसल रह सकती है कमजोर, गेहूं, जौ व चना कर सकता है निहाल - RABI CROP IN ALWAR

अलवर​ में सर्दी का असर बढ़ने लगा है. इससे जहां सरसों की फसल को नुकसान की आशंका है, वहीं गेहूं व जो को फायदा होगा.

Rabi Crop in Alwar
अलवर​ जिले में सरसों की फसल (Photo ETV Bharat Alwar)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Dec 10, 2024, 1:00 PM IST

अलवर: जिले में सर्दी ने आगामी दिनों में जोर पकड़ा तो सरसों की फसल कमजोर रह सकती है. अभी जिले में मौसम रबी फसल के अनुकूल है, लेकिन आगामी दिनों में शीतलहर चलने और तापमान में गिरावट से सरसों उत्पादक किसानों की चिंता बढ़ सकती है. हालांकि सर्दी का असर बढ़ने से गेहूं, जौ व चने की फसल को फायदा मिलेगा.

प्रदेश के अन्य जिलों के साथ ही अलवर में भी सर्दी का असर बढ़ने लगा है. अभी जिले में न्यूनतम तापमान 8 डिग्री सेल्सियस के आसपास है. यानी यह तापमान सरसों, गेहूं, जौ, चना व रबी की सभी फसलों के लिए उपयुक्त है, लेकिन न्यूनतम तापमान में गिरावट सरसों की फसल के लिए नुकसानदेह रह सकती है. अलवर जिले में आमतौर पर नवम्बर के मध्य में सर्दी का असर दिखाई देने लगता है. इस साल दिसम्बर का आधा सफर पूरा होने को है, लेकिन सर्दी का असर अभी रात व सुबह ही महसूस हो पा रहा है. इस कारण रबी की फसलों में अभी कोई नुकसान नहीं है.

डॉ. अरविंद कुमार, सहायक निदेशक, कृषि विभाग (ETV Bharat Alwar)

पढ़ें: फतेहपुर में 1 डिग्री पहुंचा तापमान, माउंट आबू में भी चल रहीं बर्फीली हवाएं

ज्यादा सर्दी सरसों की फसल पर भारी: कृषि विभाग के सहायक निदेशक डॉ. अरविंद कुमार ने बताया कि सरसों अलवर जिले की रबी की प्रमुख फसल है. ज्यादातर किसान रबी की फसल में सरसों की बुवाई को प्राथमिकता देता है. जिले में अक्सर सर्दी के दौरान तापमान में ज्यादा गिरावट नहीं होती, इस कारण अलवर का मौसम सरसों की फसल के लिए अनुकूल माना जाता है, लेकिन कई बार मानसून के दौरान बारिश अच्छी होने पर सर्दी का असर भी बढ़ जाता है. वैसे इस साल जिले में कई साल बाद मानसून के दौरान अच्छी बारिश हुई है. इसके चलते इस बार जिले में सर्दी का असर ज्यादा रहने के आसार हैं. इसकी शुरुआत जल्द ही होने की संभावना है. इस कारण सरसों की फसल को लेकर किसानों की चिंता बढ़ने लगी है. हालांकि, गेहूं की फसल के लिए ज्यादा सर्दी पड़ना अच्छा माना जाता है. कारण है कि तेज सर्दी के चलते गेहूं का दाना मोटा होता है और उत्पादन भी बढ़ता है.

1.40 लाख हेक्टेयर में सरसों की बुवाई : डॉ. कुमार ने कहा कि प्रदेश में सरसों की फसल सबसे ज्यादा अलवर, भरतपुर, दौसा, झुंझुनू में होती है. अलवर जिले में इस साल 1.40 लाख हेक्टेयर में सरसों की बुवाई की गई है, वहीं 2023 में पुराने अविभाज्य अलवर जिले में 3 लाख हेक्टेयर सरसों की बुवाई की गई. सरसों के बाद अलवर जिले में गेहूं की बुवाई सबसे ज्यादा की जाती है. सरसों की बुवाई सितंबर से अक्टूबर मध्य तक की जाती है. वहीं, गेहूं की बुवाई नवंबर व दिसंबर के पहले सप्ताह तक होती है. उन्होंने कहा कि सरसों की फसल के लिए वर्तमान मौसम अच्छा है. सरसों को साफ मौसम चाहिए, जिससे उसके दाने खिल सके. वहीं, गेहूं के लिए मौसम ठंडा होना आवश्यक है, कारण है कि जब तक मौसम ठंडा नहीं होगा तब तक गेहूं की फसल की वेजिटेटिव ग्रोथ नहीं होगी, जिससे कि गेहूं की फसल का दाना सिकुड़ जाता है. इसके चलते प्रोडक्शन में भी कमी आती है.

अलवर: जिले में सर्दी ने आगामी दिनों में जोर पकड़ा तो सरसों की फसल कमजोर रह सकती है. अभी जिले में मौसम रबी फसल के अनुकूल है, लेकिन आगामी दिनों में शीतलहर चलने और तापमान में गिरावट से सरसों उत्पादक किसानों की चिंता बढ़ सकती है. हालांकि सर्दी का असर बढ़ने से गेहूं, जौ व चने की फसल को फायदा मिलेगा.

प्रदेश के अन्य जिलों के साथ ही अलवर में भी सर्दी का असर बढ़ने लगा है. अभी जिले में न्यूनतम तापमान 8 डिग्री सेल्सियस के आसपास है. यानी यह तापमान सरसों, गेहूं, जौ, चना व रबी की सभी फसलों के लिए उपयुक्त है, लेकिन न्यूनतम तापमान में गिरावट सरसों की फसल के लिए नुकसानदेह रह सकती है. अलवर जिले में आमतौर पर नवम्बर के मध्य में सर्दी का असर दिखाई देने लगता है. इस साल दिसम्बर का आधा सफर पूरा होने को है, लेकिन सर्दी का असर अभी रात व सुबह ही महसूस हो पा रहा है. इस कारण रबी की फसलों में अभी कोई नुकसान नहीं है.

डॉ. अरविंद कुमार, सहायक निदेशक, कृषि विभाग (ETV Bharat Alwar)

पढ़ें: फतेहपुर में 1 डिग्री पहुंचा तापमान, माउंट आबू में भी चल रहीं बर्फीली हवाएं

ज्यादा सर्दी सरसों की फसल पर भारी: कृषि विभाग के सहायक निदेशक डॉ. अरविंद कुमार ने बताया कि सरसों अलवर जिले की रबी की प्रमुख फसल है. ज्यादातर किसान रबी की फसल में सरसों की बुवाई को प्राथमिकता देता है. जिले में अक्सर सर्दी के दौरान तापमान में ज्यादा गिरावट नहीं होती, इस कारण अलवर का मौसम सरसों की फसल के लिए अनुकूल माना जाता है, लेकिन कई बार मानसून के दौरान बारिश अच्छी होने पर सर्दी का असर भी बढ़ जाता है. वैसे इस साल जिले में कई साल बाद मानसून के दौरान अच्छी बारिश हुई है. इसके चलते इस बार जिले में सर्दी का असर ज्यादा रहने के आसार हैं. इसकी शुरुआत जल्द ही होने की संभावना है. इस कारण सरसों की फसल को लेकर किसानों की चिंता बढ़ने लगी है. हालांकि, गेहूं की फसल के लिए ज्यादा सर्दी पड़ना अच्छा माना जाता है. कारण है कि तेज सर्दी के चलते गेहूं का दाना मोटा होता है और उत्पादन भी बढ़ता है.

1.40 लाख हेक्टेयर में सरसों की बुवाई : डॉ. कुमार ने कहा कि प्रदेश में सरसों की फसल सबसे ज्यादा अलवर, भरतपुर, दौसा, झुंझुनू में होती है. अलवर जिले में इस साल 1.40 लाख हेक्टेयर में सरसों की बुवाई की गई है, वहीं 2023 में पुराने अविभाज्य अलवर जिले में 3 लाख हेक्टेयर सरसों की बुवाई की गई. सरसों के बाद अलवर जिले में गेहूं की बुवाई सबसे ज्यादा की जाती है. सरसों की बुवाई सितंबर से अक्टूबर मध्य तक की जाती है. वहीं, गेहूं की बुवाई नवंबर व दिसंबर के पहले सप्ताह तक होती है. उन्होंने कहा कि सरसों की फसल के लिए वर्तमान मौसम अच्छा है. सरसों को साफ मौसम चाहिए, जिससे उसके दाने खिल सके. वहीं, गेहूं के लिए मौसम ठंडा होना आवश्यक है, कारण है कि जब तक मौसम ठंडा नहीं होगा तब तक गेहूं की फसल की वेजिटेटिव ग्रोथ नहीं होगी, जिससे कि गेहूं की फसल का दाना सिकुड़ जाता है. इसके चलते प्रोडक्शन में भी कमी आती है.

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