लखनऊ: सार्वजनिक उपक्रम विभाग के प्रमुख सचिव आईएएस अधिकारी मोहम्मद मुस्तफा ने सरकार से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का आवेदन किया है. 1995 बैच के आईएएस अधिकारी मोहम्मद मुस्तफा अलग-अलग सरकारों के समय में महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं.
पिछले कुछ सालों में लगातार IAS अधिकारी वीआरएस ले रहे हैं. जिससे उत्तर प्रदेश की अफसरशाही में अलग ही माहौल बना हुआ है. आईएएस अधिकारी मोहम्मद मुस्तफा का कहना है कि मन अब नौकरी में नहीं लग रहा है. इसलिए उन्होंने अपने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते सरकार से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति देने का अनुरोध किया है.
पिछले साल भी उत्तर प्रदेश कैडर के तीन आईएएस अधिकारियों ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की मांग की थी. यह कोई पहली बार नहीं हो रहा है. इससे पहले उत्तर प्रदेश कैडर के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी राजीव अग्रवाल ने इस्तीफा देकर निजी कंपनी में बड़े पद पर नौकरी कर ली थी.
उत्तर प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी में इन दिनों यह चर्चा आम है कि आईएएस अधिकारियों की ताकत दिन पर दिन कम होती जा रही है. इसके अलावा उन पर सख्ती और सर्विलांस बहुत अधिक हो गया है. इस वजह से वे अब इस सेवा को जारी रखने के इच्छुक नहीं है. इसीलिए विपरीत परिस्थितियां पड़ते ही वे पद को छोड़ना ही उचित समझ रहे हैं.
पिछले साल 28 जुलाई को एक आदेश जारी हुआ था जिसमें 1987 बैच की वरिष्ठ आईएएस रेणुका कुमार को केंद्र सरकार में बिना प्रतिनियुक्ति पूरी हुए उनके मूल कैडर में उत्तर प्रदेश में प्रत्यावर्तित किया गया था. 25 जुलाई को ही रेणुका कुमार ने वीआरएस के लिए डीओपीटी की सचिव को आवेदन भेज दिया था. साथ ही मुख्य सचिव और अपर मुख्य सचिव नियुक्ति को भी इस सम्बंध में पत्र भेजा था.
इसके अलावा आईएएस विकास गोठलवाल 2003 बैच और जूथिका पाटणकर 1988 ने भी वीआरएस मांगा था. पहले वे सचिव अवस्थापना और औद्योगिक विकास पर तैनात थे. स्वास्थ्य कारणों से विकास ने वीआरएस मांगा है.
1988 बैच की यूपी कैडर की IAS जूथिका पाटणकर ने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए वीआरएस मांगा था. वह केंद्रीय सूचना आयोग में तैनात थीं. साल 2019 में यूपी कैडर के संयुक्त सचिव स्तर के केंद्र में अधिकारी राजीव अग्रवाल ने भी इस्तीफा देकर टैक्सी स्टार्टअप उबर में उच्च पद पर ज्वाइन कर लिया था.
वर्तमान सरकार के बारे में कहा जा रहा है कि आईएएस अधिकारियों के पर कतरे जा चुके हैं. उनको सरकार के दिशा निर्देशों का सख्ती से पालन करना पड़ता है. इसके अलावा कायदे कानूनों पर अमल करने में कोई कोताही नहीं बरती जा रही है. इस वजह से आईएएस अधिकारी अपनी पूरी ताकत के साथ काम नहीं कर पा रहे हैं. यही नहीं आईपीएस अधिकारियों के बढ़ते प्रभाव के चलते भी उच्च प्रशासनिक सेवा अनेक अफसरों पर बोझ के समान हो गई है. इसलिए वे इस सेवा से निजात पा रहे हैं.
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