गया: बिहार के गया में मुस्लिम परिवार के लोग रामनवमी का झंडा बना रहे हैं. पिछले 8 दशकों से यह परिवार ये काम करता है. मुस्लिम परिवार के द्वारा होली खत्म होते ही रामनवमी का झंडा सिलने का काम शुरू कर दिया जाता है. इनके बनाए रामनवमी के झंडे बिहार ही नहीं, बल्कि झारखंड के कई जिलों में जाते हैं. एक ओर जहां धर्म के नाम पर नफरत फैलाने की कोशिश करने वाले तत्व होते हैं, वहीं दूसरी ओर यूनुस, सलीम और रशिद जैसे मुस्लिम परिवार के लोग गंगा-जमुनी तहजीब की बड़ी मिसाल पेश कर रहे हैं.
मुस्लिम परिवार बनाता आ रहा रामनवमी का झंडा: रामनवमी में रामनवमी के झंडे की मांग को देखते हुए ये लगातार झंडे को सिलने का काम करते हैं. इनके बनाए झंडे बिहार ही नहीं बल्कि झारखंड के कई जिलों में भेजे जाते हैं. यह मुस्लिम परिवार पुश्तों से रामनवमी का झंडा बनाता आ रहा है. फिलहाल मोहम्मद रसीद की बात करें, तो उनकी तीसरी पुश्त है, जो रामनवमी के झंडे बना रही है.
श्रद्धा से सिलते हैं रामनवमी के झंडे: मोहम्मद रशीद 70 वर्ष के हो चुके हैं. 15 वर्ष की उम्र से ही उन्होंने रामनवमी के झंडे सिलने शुरू कर दिए थे. आज इस काम के उनके 50 साल से अधिक हो चुके हैं. उनके पिता और दादा भी इसी पेशे से जुड़े थे. वे भी रामनवमी का झंडा बनाते थे. मोहम्मद सलीम बताते हैं कि तकरीबन 80-90 साल से हमारे परिवार के लोग झंडा बनाते आए हैं. रामनवमी का झंडा बनाकर उन्हें इस बात का सुकून मिलता है कि गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल के रूप में लोग उन्हें देखते हैं.
"रामनवमी के झंडे सिलते हैं, उसमें हनुमान जी की, श्री राम जी की मूर्ति भी लगाते हैं. जय श्री राम भी धागे से लिखते हैं या लिखा हुआ पट्टा आता है तो उसे लगाते हैं.रामनवमी का झंडा बिहार -झारखंड दोनों राज्यों में जाता है."-मोहम्मद रशीद, झंडा बनाने वाले मुस्लिम कारीगर
6000 रुपये तक बिकते हैं झंडे: मोहम्मद यूनुस बताते हैं कि 90 फीट से 100 फीट तक का रामनवमी का झंडा वे लोग बना रहे हैं. वे कम दामों से लेकर अधिक दामों वाले रामनवमी के झंडे बनाते हैं. 1000 से लेकर 5000 -6000 रुपये तक के झंडे उनके द्वारा बनाए जा रहे हैं. वे लोग रामनवमी का झंडा बनाने में इतने कुशल हो चुके हैं, कि ज्यादा समय नहीं लगता. यही वजह है कि वे ज्यादा से ज्यादा रामनवमी का झंडा बनाते हैं, जिसके कारण ऑर्डर काफी आते हैं.
गया जिला हमेशा देता है गंगा-जमुनी तहजीब का संदेश: गया जिला हमेशा गंगा-जमुनी तहजीबी की बड़ी मिसाल देता रहा है. यहां हिंदू पर्व में मुस्लिम तो मुस्लिम पर्व में हिंदू बढ़ चढ़कर भाग लेते हैं और गंगा -जमुनी तहजीब की मिसाल पेश करते हैं. जिस तरह से मुस्लिम परिवार के लोग पुश्त दर पुश्त पिछले 80- 90 सालों से गया में रामनवमी का झंडा जिस श्रद्धा से बना रहे हैं, उससे निश्चित तौर पर समाज में एक बड़ा संदेश जाता है.