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गया में मुस्लिम परिवार पिछले 80 सालों से बना रहा रामनवमी का झंडा, बिहार ही नहीं झारखंड तक डिमांड - Ram Navami 2024

Muslim Man Making Ram Navami Flag: गया में रामनवमी के मौके पर मुस्लिम परिवार पिछले 80 सालों से झंडा बनाता आ रहा है. इनका बनाया झंडा इतना प्रसिद्ध है कि बिहार ही नहीं झारखंड तक इसे भेजा जाता हैं. आगे पढ़ें पूरी खबर.

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Apr 17, 2024, 2:50 PM IST

गया में रामनवमी की खास मिसाल

गया: बिहार के गया में मुस्लिम परिवार के लोग रामनवमी का झंडा बना रहे हैं. पिछले 8 दशकों से यह परिवार ये काम करता है. मुस्लिम परिवार के द्वारा होली खत्म होते ही रामनवमी का झंडा सिलने का काम शुरू कर दिया जाता है. इनके बनाए रामनवमी के झंडे बिहार ही नहीं, बल्कि झारखंड के कई जिलों में जाते हैं. एक ओर जहां धर्म के नाम पर नफरत फैलाने की कोशिश करने वाले तत्व होते हैं, वहीं दूसरी ओर यूनुस, सलीम और रशिद जैसे मुस्लिम परिवार के लोग गंगा-जमुनी तहजीब की बड़ी मिसाल पेश कर रहे हैं.

गया के बाजार में दिखी रौनक
गया के बाजार में दिखी रौनक

मुस्लिम परिवार बनाता आ रहा रामनवमी का झंडा: रामनवमी में रामनवमी के झंडे की मांग को देखते हुए ये लगातार झंडे को सिलने का काम करते हैं. इनके बनाए झंडे बिहार ही नहीं बल्कि झारखंड के कई जिलों में भेजे जाते हैं. यह मुस्लिम परिवार पुश्तों से रामनवमी का झंडा बनाता आ रहा है. फिलहाल मोहम्मद रसीद की बात करें, तो उनकी तीसरी पुश्त है, जो रामनवमी के झंडे बना रही है.

मार्केट में बढ़ी रामनवमी के झंडे की डिमांड
मार्केट में बढ़ी रामनवमी के झंडे की डिमांड

श्रद्धा से सिलते हैं रामनवमी के झंडे: मोहम्मद रशीद 70 वर्ष के हो चुके हैं. 15 वर्ष की उम्र से ही उन्होंने रामनवमी के झंडे सिलने शुरू कर दिए थे. आज इस काम के उनके 50 साल से अधिक हो चुके हैं. उनके पिता और दादा भी इसी पेशे से जुड़े थे. वे भी रामनवमी का झंडा बनाते थे. मोहम्मद सलीम बताते हैं कि तकरीबन 80-90 साल से हमारे परिवार के लोग झंडा बनाते आए हैं. रामनवमी का झंडा बनाकर उन्हें इस बात का सुकून मिलता है कि गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल के रूप में लोग उन्हें देखते हैं.

रामनवमी का झंडा बना रहा मुस्लिम परिवार
रामनवमी का झंडा बना रहा मुस्लिम परिवार
किसी तरह के नफरत-विद्वेष से नहीं है लेना-देना : मोहम्मद सलीम, मोहम्मद यूनुस बताते हैं कि वह रामनवमी के झंडे श्रद्धापूर्वक बनाते हैं. हर धर्म में इंसान को विश्वास रखना चाहिए. उनका यही मानना है किसी तरह की नफरत- विद्वेष से उन्हें कोई लेना देना नहीं है. फिलहाल में गया शहर के मार्केट के पास यह मुस्लिम परिवार अपने पुस्तों से विरासत में मिली रामनवमी के झंडे बनाने के काम को लगातार कर रहा है.रामनवमी के झंडे सिलते हैं, हनुमान जी की मूर्ति लगाते हैं: मोहम्मद सलीम, मोहम्मद रशीद और मोहम्मद यूनुस बताते हैं, कि रामनवमी के झंडे काफी समय से सिल रहे हैं. कई दशक उन्हें रामनवमी का झंडा बनाते हो गए. उन्हें बेहद सुकून लगता है, कि वह रामनवमी का झंडा बनाते हैं और यह झंडा बिहार ही नहीं बल्कि झारखंड तक में बिकता है. झारखंड के रांची, धनबाद में भी हमारा बनाया हुआ रामनवमी का झंडा बिखता है और लोगों के घर को जाता है.

"रामनवमी के झंडे सिलते हैं, उसमें हनुमान जी की, श्री राम जी की मूर्ति भी लगाते हैं. जय श्री राम भी धागे से लिखते हैं या लिखा हुआ पट्टा आता है तो उसे लगाते हैं.रामनवमी का झंडा बिहार -झारखंड दोनों राज्यों में जाता है."-मोहम्मद रशीद, झंडा बनाने वाले मुस्लिम कारीगर

6000 रुपये तक बिकते हैं झंडे: मोहम्मद यूनुस बताते हैं कि 90 फीट से 100 फीट तक का रामनवमी का झंडा वे लोग बना रहे हैं. वे कम दामों से लेकर अधिक दामों वाले रामनवमी के झंडे बनाते हैं. 1000 से लेकर 5000 -6000 रुपये तक के झंडे उनके द्वारा बनाए जा रहे हैं. वे लोग रामनवमी का झंडा बनाने में इतने कुशल हो चुके हैं, कि ज्यादा समय नहीं लगता. यही वजह है कि वे ज्यादा से ज्यादा रामनवमी का झंडा बनाते हैं, जिसके कारण ऑर्डर काफी आते हैं.

पूरा परिवार बनाता है रामनवमी का झंडा
पूरा परिवार बनाता है रामनवमी का झंडा

गया जिला हमेशा देता है गंगा-जमुनी तहजीब का संदेश: गया जिला हमेशा गंगा-जमुनी तहजीबी की बड़ी मिसाल देता रहा है. यहां हिंदू पर्व में मुस्लिम तो मुस्लिम पर्व में हिंदू बढ़ चढ़कर भाग लेते हैं और गंगा -जमुनी तहजीब की मिसाल पेश करते हैं. जिस तरह से मुस्लिम परिवार के लोग पुश्त दर पुश्त पिछले 80- 90 सालों से गया में रामनवमी का झंडा जिस श्रद्धा से बना रहे हैं, उससे निश्चित तौर पर समाज में एक बड़ा संदेश जाता है.

पढ़ें-Gaya News: रामनवमी के दौरान हुआ विवाद मंत्री के हस्तक्षेप के बाद सुलझा, दोनों पक्षों ने गले मिलकर खत्म किए गिले शिकवे

गया में रामनवमी की खास मिसाल

गया: बिहार के गया में मुस्लिम परिवार के लोग रामनवमी का झंडा बना रहे हैं. पिछले 8 दशकों से यह परिवार ये काम करता है. मुस्लिम परिवार के द्वारा होली खत्म होते ही रामनवमी का झंडा सिलने का काम शुरू कर दिया जाता है. इनके बनाए रामनवमी के झंडे बिहार ही नहीं, बल्कि झारखंड के कई जिलों में जाते हैं. एक ओर जहां धर्म के नाम पर नफरत फैलाने की कोशिश करने वाले तत्व होते हैं, वहीं दूसरी ओर यूनुस, सलीम और रशिद जैसे मुस्लिम परिवार के लोग गंगा-जमुनी तहजीब की बड़ी मिसाल पेश कर रहे हैं.

गया के बाजार में दिखी रौनक
गया के बाजार में दिखी रौनक

मुस्लिम परिवार बनाता आ रहा रामनवमी का झंडा: रामनवमी में रामनवमी के झंडे की मांग को देखते हुए ये लगातार झंडे को सिलने का काम करते हैं. इनके बनाए झंडे बिहार ही नहीं बल्कि झारखंड के कई जिलों में भेजे जाते हैं. यह मुस्लिम परिवार पुश्तों से रामनवमी का झंडा बनाता आ रहा है. फिलहाल मोहम्मद रसीद की बात करें, तो उनकी तीसरी पुश्त है, जो रामनवमी के झंडे बना रही है.

मार्केट में बढ़ी रामनवमी के झंडे की डिमांड
मार्केट में बढ़ी रामनवमी के झंडे की डिमांड

श्रद्धा से सिलते हैं रामनवमी के झंडे: मोहम्मद रशीद 70 वर्ष के हो चुके हैं. 15 वर्ष की उम्र से ही उन्होंने रामनवमी के झंडे सिलने शुरू कर दिए थे. आज इस काम के उनके 50 साल से अधिक हो चुके हैं. उनके पिता और दादा भी इसी पेशे से जुड़े थे. वे भी रामनवमी का झंडा बनाते थे. मोहम्मद सलीम बताते हैं कि तकरीबन 80-90 साल से हमारे परिवार के लोग झंडा बनाते आए हैं. रामनवमी का झंडा बनाकर उन्हें इस बात का सुकून मिलता है कि गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल के रूप में लोग उन्हें देखते हैं.

रामनवमी का झंडा बना रहा मुस्लिम परिवार
रामनवमी का झंडा बना रहा मुस्लिम परिवार
किसी तरह के नफरत-विद्वेष से नहीं है लेना-देना : मोहम्मद सलीम, मोहम्मद यूनुस बताते हैं कि वह रामनवमी के झंडे श्रद्धापूर्वक बनाते हैं. हर धर्म में इंसान को विश्वास रखना चाहिए. उनका यही मानना है किसी तरह की नफरत- विद्वेष से उन्हें कोई लेना देना नहीं है. फिलहाल में गया शहर के मार्केट के पास यह मुस्लिम परिवार अपने पुस्तों से विरासत में मिली रामनवमी के झंडे बनाने के काम को लगातार कर रहा है.रामनवमी के झंडे सिलते हैं, हनुमान जी की मूर्ति लगाते हैं: मोहम्मद सलीम, मोहम्मद रशीद और मोहम्मद यूनुस बताते हैं, कि रामनवमी के झंडे काफी समय से सिल रहे हैं. कई दशक उन्हें रामनवमी का झंडा बनाते हो गए. उन्हें बेहद सुकून लगता है, कि वह रामनवमी का झंडा बनाते हैं और यह झंडा बिहार ही नहीं बल्कि झारखंड तक में बिकता है. झारखंड के रांची, धनबाद में भी हमारा बनाया हुआ रामनवमी का झंडा बिखता है और लोगों के घर को जाता है.

"रामनवमी के झंडे सिलते हैं, उसमें हनुमान जी की, श्री राम जी की मूर्ति भी लगाते हैं. जय श्री राम भी धागे से लिखते हैं या लिखा हुआ पट्टा आता है तो उसे लगाते हैं.रामनवमी का झंडा बिहार -झारखंड दोनों राज्यों में जाता है."-मोहम्मद रशीद, झंडा बनाने वाले मुस्लिम कारीगर

6000 रुपये तक बिकते हैं झंडे: मोहम्मद यूनुस बताते हैं कि 90 फीट से 100 फीट तक का रामनवमी का झंडा वे लोग बना रहे हैं. वे कम दामों से लेकर अधिक दामों वाले रामनवमी के झंडे बनाते हैं. 1000 से लेकर 5000 -6000 रुपये तक के झंडे उनके द्वारा बनाए जा रहे हैं. वे लोग रामनवमी का झंडा बनाने में इतने कुशल हो चुके हैं, कि ज्यादा समय नहीं लगता. यही वजह है कि वे ज्यादा से ज्यादा रामनवमी का झंडा बनाते हैं, जिसके कारण ऑर्डर काफी आते हैं.

पूरा परिवार बनाता है रामनवमी का झंडा
पूरा परिवार बनाता है रामनवमी का झंडा

गया जिला हमेशा देता है गंगा-जमुनी तहजीब का संदेश: गया जिला हमेशा गंगा-जमुनी तहजीबी की बड़ी मिसाल देता रहा है. यहां हिंदू पर्व में मुस्लिम तो मुस्लिम पर्व में हिंदू बढ़ चढ़कर भाग लेते हैं और गंगा -जमुनी तहजीब की मिसाल पेश करते हैं. जिस तरह से मुस्लिम परिवार के लोग पुश्त दर पुश्त पिछले 80- 90 सालों से गया में रामनवमी का झंडा जिस श्रद्धा से बना रहे हैं, उससे निश्चित तौर पर समाज में एक बड़ा संदेश जाता है.

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