करनाल: इन दिनों युवा खेती किसानी का रूख कर रहे हैं. बात अगर करनाल जिले की करें तो यहां के युवा खेती को लेकर अधिक जागरूक हैं. यहां रहने वाले मुनीश एक युवा किसान हैं. 4 साल पहले मुनीश ने 12/24 के कमरे से मशरूम की खेती की शुरुआत की थी. आज 2 कनाल में बांस और पराली के 3 शेड बना कर वो मशरूम की फार्मिंग से लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं. अन्य किसानों को अच्छे मुनाफे के लिए अलग हटकर खेती करने की सलाह दे रहे हैं.
ऐसे की शुरुआत: किसान मुनीश से ईटीवी भारत ने बातचीत की. मुनीश ने बताया, "4 साल पहले अपने दोस्त सुशील से प्रेरणा मिली. मशरूम की खेती के लिए किसानों से प्रशिक्षण लेने के बाद मैंने मशरूम की खेती करनी शुरू की. अपने घर में बने 12/24 के कमरे से मैंने मशरूम की खेती की शुरुआत की. 3 साल में मेहनत रंग लाई और आज 2 कनाल में 3 शेड बनाकर मशरूम फार्मिंग कर रहे है. 3 सालों में मशरूम की खेती में अच्छा मुनाफा होने के बाद अपनी जमीन पर 2 कनाल में 3 शेड बना कर मैंने मशरूम की खेती के काम को और भी बढ़ाया."
खेती में लागत और मुनाफा : किसान मुनीश ने आगे कहा, "शुरू में 70/35 का एक शेड 1.50 से 2 लाख रुपये में तैयार हुआ. खेती के लिए उचित तापमान को बनाये रखने के लिए शेड को पहले पॉलीथिन से फिर पराली डाल कर कवर किया. दूसरे साल में शेड बनाने का खर्चा बच जाने से खेती में लागत कम हो जाती. साथ ही मुनाफा अच्छा हो जाता है."
इस विधि से करें उत्पादन: मुनीश का कहना है, "मशरूम को उगाने के लिए कम्पोस्ट की जरूरत पड़ती है. कम्पोस्ट भूसा, गेहूं का चापड़, यूरिया और जिप्सम को एक साथ मिलाकर और सड़ाकर तैयार किया जाता है. इस मिश्रण को कई तरह की सूक्ष्मजीव रासायनिक क्रिया द्वारा कार्बनिक पदार्थों का विघटन कर कम्पोस्ट में परिवर्तित कर देते हैं. यह एक जैविक विधि है. फिर इसके बाद बिजाई की जाती है. मशरूम की मौसमी खेती करने के लिए अक्टूबर से मार्च तक का समय उपयुक्त माना जाता है.इस दौरान मशरूम की दो फसलें ली जा सकती हैं, मशरूम की खेती के लिए अनुकूल तापमान 15-22 डिग्री सेंटीग्रेट और सापेक्षित नमी 80-90 प्रतिशत होनी चाहिए. इस खेती में ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं होती. समय-समय पर पानी का स्प्रे करने से काम चल जाता है, ताकि नमी बनी रहे."
मशरूम का भाव: किसान मुनीश अपनी मशरूम की मार्केटिंग करनाल में ही करते हैं, जहां पर उनको मशरूम का रेट 100 रुपये से लेकर 120 रुपये तक मिल जाता है. एक मशरूम का पैकेट 200 ग्राम के करीब का होता है, जिसको वे मार्केट में सेल करते हैं.
किसानों को सलाह: मुनीश ने मशरूम के किसानों को खास सलाह दी है. उन्होंने कहा, "अगर किसान भाई अलग-अलग किस्म की फसल उगाते हैं, तो मुनाफा ज्यादा होने की सम्भावना बढ़ जाती है, क्योंकि इस किस्म की खेती से थोड़े समय में ही कम लागत और ज्यादा मुनाफा मिल जाता है."
बीमारियों से निजात: मुनीश ने आगे बताया कि इस खेती में समय और अनुभव का खास महत्व है. पहली बार की गई खेती में किसान को बीमारी से जूझना पड़ सकता है. अनुभवी किसान को बीमारी का पहले से आभास हो जाता है, जिसका वो समय रहते उसका इलाज कर देता है. मशरूम की खेती के दौरान फसल को बाईट मोल्ड, ग्रीन मोल्ड और येलो मोल्ड बीमारी हो सकती है. इन बीमारियों के कारण मशरूम का रंग बदल जाता है. वह विकृत हो जाता है. उसकी पैदावार कम हो जाती है. इन बीमारियों से खेती को बचाने के लिए शेड में कम पानी और ऑक्सीजन को बनाये रखना बेहद जरूरी हो जाता है, ताकि इन बीमारियों से खेती को नुकसान से बचाया जा सके.
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