भोपाल: मध्य प्रदेश के नगरीय निकायों में चुने जाने वाले नगर पालिका अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाकर उन्हें हटाना आसान नहीं होगा. मोहन यादव सरकार ने इस दिशा में महत्वपूर्ण बदलाव किया है. अब नगर पालिका अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव 3 साल के पहले नहीं लाया जा सकता. पिछले दिनों बानमोर नगरीय निकाय की घटना के बाद राज्य सरकार यह अध्यादेश लेकर आई है.
3 साल से पहले नहीं अविश्वास प्रस्ताव
मंगलवार को मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में नगर पालिका अधिनियम 1961 की धारा 43 (क) में संशोधन को मंजूरी दे दी गई. इसके जरिए नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को बड़ी राहत दी गई है. इस नए नियम के तहत अब नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाकर हटाना आसान नहीं होगा. अब अविश्वास प्रस्ताव 3 साल के पहले नहीं लाया जा सकता. इसके अलावा अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए तीन-चौथाई पार्षदों की सहमति अनिवार्य होगी.
अभी तक क्या था नियम
अभी तक किसी नगर पालिका के किसी अध्यक्ष या उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए दो-तिहाई पार्षदों की सहमति जरूरी होती थी. नए संशोधन विधेयक में 3 साल से पहले अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता है. अभी तक यह समय सीमा 2 साल की थी.
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इसलिए सरकार ने बदला नियम
राज्य सरकार ने नगर पालिका अधिनियम में संशोधन का फैसला पिछले दिनों बानमोर की घटना के बाद लिया है. दरअलस, बानमोर नगरीय निकाय में बीजेपी की पालिका अध्यक्ष गीता जाटव के खिलाफ भाजपा के ही पार्षदों ने अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था. कहा जा रहा था कि, अविश्वास प्रस्ताव लाने वाले पार्षदों में ज्यादातर पहले कांग्रेस पार्टी से पार्षद थे जो बाद में पार्टी बदलकर बीजेपी में शामिल हो गए थे.