लखनऊ: कुशीनगर में पडरौना नगर पालिका ने अपने क्षेत्र के पुजारियों को हर महीने 1500 वेतन देने का फैसला लिया है. वहीं, शासन ने इस पूरे प्रकरण का संज्ञान लेकर जांच शुरू कर दी है. इसको दुर्भावना पूर्ण और नियम विरुद्ध बताया गया है. शासन का कहना है कि इस फैसले को नजीर मानकर पूरे प्रदेश के पुजारी और धर्म गुरुओं की ओर से भी मानदेय की मांग की जा सकती है. माना जा रहा है कि शासन इस आदेश को जल्द समाप्त कर देगा.
120 मंदिरों के पुजारी को वेतन देने की योजनाः बता दें कि कुशीनगर की पडरौना नगर पालिका ने अपने क्षेत्र के लगभग 120 मंदिरों के पुजारी को मानदेय देने की घोषणा की है. नगर पालिका के अध्यक्ष विनय जायसवाल ने जारी आदेश में कहा है कि जो हमारे आराध्य की सेवा करते हैं. हम सभी उनके लिए समर्पण का भाव रखते हुए या फैसला कर रहे हैं. इसको नगर पालिका बोर्ड के प्रस्ताव में रखा जा रहा है. यह एजेंडा तैयार किया गया है. जिसके तहत पुजारी को प्रतिमा 15 सो रुपये खाते में देने की तैयारी की जा रही है.
नगर निकाय निदेशालय ने जताई आपत्तिः पडरौना नगर पालिका अध्यक्ष के इस प्रस्ताव पर नगर निकाय निदेशालय में अफसर सख्ते में आ गए. मंत्रालय के अधिकारी तत्काल प्रकरण की जांच का आदेश दे दिया है. अधिकारियों को कहना है कि अगर ऐसा कोई भी आदेश होता है तो उसका बुरा प्रभाव पड़ेगा. नगर पालिका वैसे ही आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं. एक धर्म विशेष के धर्म गुरुओं को अगर इस तरह से मानदेय दिया जाने लगा तो सभी ओर से मांग उठेगी. केवल पडरौना ही नहीं फिर पूरे प्रदेश में धर्मगुरु मांग करने लगेंगे कि उनको भी नगर निकाय की ओर से मानदेय दिया जाए. इसलिए इस फैसले को जल्द ही वापस ले लिया जाएगा. जांच में यह तथ्य भी सामने आया है कि अभी पडरौना नगर पंचायत ने इसे अपने प्रस्ताव में ही रखा है. यह केवल एजेंडा तक ही सीमित है. इसको पास करने के लिए मीटिंग में नहीं लाया जाएगा.
नगर पालिका को प्रस्ताव न पारित करने का निर्देशः नगर निकाय निदेशालय की विशेष सचिव नगर विकास ऋतु सुहास ने बताया कि हम इस पूरे प्रकरण की जांच कर रहे हैं. जांच में यह पाया गया है कि अभी यह केवल एक प्रस्ताव है. जिसकी वैधानिकता को चुनौती देना बहुत आसान होगा. इसलिए शासन ने इस प्रस्ताव को न पारित करने के लिए पडरौना नगर पंचायत को निर्देशित कर दिया है.
ये थी योजनाः वहीं, पडरौना नगर पालिका अध्यक्ष विनय जायसवाल का कहना है कि इस योजना को चलाने वाला देश का पहला नगर पालिका पडरौना है. नगर पालिका अध्यक्ष विनय जायसवाल ने बताया कि नगर की बोर्ड मीटिंग में रखे प्रस्ताव को सभी सदस्यों ने मंजूरी दी. नगर के लगभग 120 छोटे बड़े मंदिरों के पुजारियों को 1500 रुपये का मानदेय देने की पहल की गयी है. कोरोना के समय से ही इस कार्य की जरूरत महसूस हुई थी.साधु संत सेवा योजना के नाम से शुरू हुई यह योजना चर्चा में हैं. इसके पहले भी पडरौना नगरपालिका ने पथिक वाहन, रोटी बैंक, हाईटेक लाइब्रेरी, कुओं का जीर्णोद्धार सहित कई योजनाएं शुरू करके सुर्खियां बटोरी थीं. नगरपालिका क्षेत्र के सभी मंदिरों के पुजारियों को मिलने वाली राशि की घोषणा पर साधु संतों ने नगर पालिका परिषद के प्रति आभार जताया है.
यूपी के कुशीनगर में पुजारियों का तय की सैलरी, बैंक खाते में आने से पहले योगी सरकार ने बैठा दी जांच
कुशीनगर की पडरौना नगर पालिका के प्रस्ताव पर नगर निकाय निदेशालय ने जताई आपत्ति, कहा, ऐसे में पूरे प्रदेश में उठने लगेगी मांग
By ETV Bharat Uttar Pradesh Team
Published : Oct 21, 2024, 6:49 PM IST
लखनऊ: कुशीनगर में पडरौना नगर पालिका ने अपने क्षेत्र के पुजारियों को हर महीने 1500 वेतन देने का फैसला लिया है. वहीं, शासन ने इस पूरे प्रकरण का संज्ञान लेकर जांच शुरू कर दी है. इसको दुर्भावना पूर्ण और नियम विरुद्ध बताया गया है. शासन का कहना है कि इस फैसले को नजीर मानकर पूरे प्रदेश के पुजारी और धर्म गुरुओं की ओर से भी मानदेय की मांग की जा सकती है. माना जा रहा है कि शासन इस आदेश को जल्द समाप्त कर देगा.
120 मंदिरों के पुजारी को वेतन देने की योजनाः बता दें कि कुशीनगर की पडरौना नगर पालिका ने अपने क्षेत्र के लगभग 120 मंदिरों के पुजारी को मानदेय देने की घोषणा की है. नगर पालिका के अध्यक्ष विनय जायसवाल ने जारी आदेश में कहा है कि जो हमारे आराध्य की सेवा करते हैं. हम सभी उनके लिए समर्पण का भाव रखते हुए या फैसला कर रहे हैं. इसको नगर पालिका बोर्ड के प्रस्ताव में रखा जा रहा है. यह एजेंडा तैयार किया गया है. जिसके तहत पुजारी को प्रतिमा 15 सो रुपये खाते में देने की तैयारी की जा रही है.
नगर निकाय निदेशालय ने जताई आपत्तिः पडरौना नगर पालिका अध्यक्ष के इस प्रस्ताव पर नगर निकाय निदेशालय में अफसर सख्ते में आ गए. मंत्रालय के अधिकारी तत्काल प्रकरण की जांच का आदेश दे दिया है. अधिकारियों को कहना है कि अगर ऐसा कोई भी आदेश होता है तो उसका बुरा प्रभाव पड़ेगा. नगर पालिका वैसे ही आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं. एक धर्म विशेष के धर्म गुरुओं को अगर इस तरह से मानदेय दिया जाने लगा तो सभी ओर से मांग उठेगी. केवल पडरौना ही नहीं फिर पूरे प्रदेश में धर्मगुरु मांग करने लगेंगे कि उनको भी नगर निकाय की ओर से मानदेय दिया जाए. इसलिए इस फैसले को जल्द ही वापस ले लिया जाएगा. जांच में यह तथ्य भी सामने आया है कि अभी पडरौना नगर पंचायत ने इसे अपने प्रस्ताव में ही रखा है. यह केवल एजेंडा तक ही सीमित है. इसको पास करने के लिए मीटिंग में नहीं लाया जाएगा.
नगर पालिका को प्रस्ताव न पारित करने का निर्देशः नगर निकाय निदेशालय की विशेष सचिव नगर विकास ऋतु सुहास ने बताया कि हम इस पूरे प्रकरण की जांच कर रहे हैं. जांच में यह पाया गया है कि अभी यह केवल एक प्रस्ताव है. जिसकी वैधानिकता को चुनौती देना बहुत आसान होगा. इसलिए शासन ने इस प्रस्ताव को न पारित करने के लिए पडरौना नगर पंचायत को निर्देशित कर दिया है.
ये थी योजनाः वहीं, पडरौना नगर पालिका अध्यक्ष विनय जायसवाल का कहना है कि इस योजना को चलाने वाला देश का पहला नगर पालिका पडरौना है. नगर पालिका अध्यक्ष विनय जायसवाल ने बताया कि नगर की बोर्ड मीटिंग में रखे प्रस्ताव को सभी सदस्यों ने मंजूरी दी. नगर के लगभग 120 छोटे बड़े मंदिरों के पुजारियों को 1500 रुपये का मानदेय देने की पहल की गयी है. कोरोना के समय से ही इस कार्य की जरूरत महसूस हुई थी.साधु संत सेवा योजना के नाम से शुरू हुई यह योजना चर्चा में हैं. इसके पहले भी पडरौना नगरपालिका ने पथिक वाहन, रोटी बैंक, हाईटेक लाइब्रेरी, कुओं का जीर्णोद्धार सहित कई योजनाएं शुरू करके सुर्खियां बटोरी थीं. नगरपालिका क्षेत्र के सभी मंदिरों के पुजारियों को मिलने वाली राशि की घोषणा पर साधु संतों ने नगर पालिका परिषद के प्रति आभार जताया है.