वाराणसी: मुख्तार अंसारी, पुर्वांचल में धाक जमाने के लिए बस ये नाम ही काफी था. खौफ इतना की एक बार जो नाम सुन लेता उसकी रूह कांप जाती. जिसे पता चलता मामला मुख्तार अंसारी से जुड़ा है. वो दोबारा उसमें नहीं पड़ता था. ये इज्जत नहीं बल्कि वो खौफ था, जिसे मुख्तार ने बनाकर रखा था. बड़ी मूछें, लंबा कद, चश्मे के पीछे से घूरती आंखें सामने वाले को असहज महसूस करा देती थीं. अकड़ ऐसी कि खाक किसी की नहीं सुनता था. ये कोई कहानी नहीं बल्कि हकीकत है. राजनीति में पकड़ और दिग्गजों के साथ बंद कमरों में बैठकी ने उसके लिए मजबूत कंधे का काम किया. जिन पर चढ़कर मुख्तार ने पूरे पूर्वांचल में धाक जमा ली थी.
मुख्तार अंसारी अब इस दुनिया में नहीं है. मगर जो साम्राज्य उसने अपने जीते जी खड़ा किया था, उसने उसको ध्वस्त होता भी अपनी ही आंखों से देखा. बेटा जेल में. राजनीतिक करियर को नुकसान हुआ. करोड़ों की अवैध संपत्ति मिट्टी में मिला दी गई. एक वक्त था जब कोई भी सरकार मुख्तार से दूरी बनाकर चलती थी. उसने उस दौर में भी अपना ये साम्राज्य स्थापित किया था. मगर बुरे दिनों की शुरुआत तो तब हुई जब उत्तर प्रदेश सरकार ने कोर्ट में अपील कर मुख्तार को पंजाब जेल से उत्तर प्रदेश की बांदा जेले में शिफ्ट करा लिया था. यूपी में आते ही मुख्तार के कारनामों की फाइलें खोली जाने लगीं. एक के बाद एक मुकदमों में सजा का ऐलान होने लगा. देखिए माफिया मुख्तार आंसारी का मुख्तारनामा.
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