फतेहपुर : जिले में एक ऐसा मंदिर भी है, जहां के बारे में बताया जाता है कि मुगल शासक औरंगजेब ने यहां जीत की मन्नत मांगी थी. यह मां पन्थेश्वरा देवी मंदिर है, जो कि खजुआ कस्बे में स्थित है. मान्यता है कि विजय मिलने के बाद औरंगजेब ने इस मंदिर में मत्था टेका था. अब यह मंदिर न सिर्फ हिंदू, बल्कि मुस्लिमों के लिए भी यह आस्था का केंद्र है. यहां पूरे वर्ष लोग भारी संख्या में लोग पूजन-अर्चन करते हैं और जो मन्नत मांगते हैं, वह पूरी होती है. वहीं नवरात्रि के समय एक बड़े मेले का आयोजन भी होता है.
औरंगजेब ने मंदिर निर्माण के लिए दिया था दान: फतेहपुर जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर खजुआ कस्बे में स्थिति मां पन्थेश्वरा देवी पीठ श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र है. मुगल बादशाह औरंगजेब द्वारा देवी के दरबार में मत्था टेकना श्रद्धालुओं की आस्था को और प्रबल कर देता है. बताया जाता है कि औरंगजेब ने यहां तालाब और मंदिर के निर्माण के लिए दान भी दिया था. मुगल बादशाह औरंगजेब को कट्टर इस्लाम धर्मावलंबी माना जाता है. लेकिन फतेहपुर में उसका दूसरा ही रूप देखने को मिलता है. किवदंती है कि अपने भाई शाहशुजा से युद्ध के दौरान यहां के खजुआ कस्बे में स्थित पन्थेश्वरा देवी मंदिर में औरंगजेब ने विजय के लिए प्रार्थना की थी. जीत के बाद उसने यहां देवी से आशिर्वाद लिया और तालाब और मंदिर के निर्माण के लिए दान दिया था.
युद्ध में विजय की मानी थी मन्नत: इस मंदिर के पुजारी दीना महाराज बताते हैं कि बादशाह शाहजहां के पुत्र शाहशुजा और औरंगजेब के मध्य 5 जनवरी 1659 को उत्तराधिकार के लिए युद्ध हुआ था. युद्ध के दौरान औरंगजेब की सेना इसी मंदिर के पीछे ठहरी हुई थी. ऐसी मान्यता है कि इस दौरान औरंगजेब द्वारा मंदिर के पुजारी से पूछा गया कि कि, किस समय युद्ध किया जाए कि जीत हो. पुजारी ने तब औरंगजेब से देवी से मन्नत मांगने को कहा. युद्ध में विजय मिलने पर दरबार में पूजन की मन्नत मांगने को कहा. इसके बाद पुजारी ने युद्ध का समय बताया. उसी समय पर आक्रमण कर औरंगजेब ने अपने भाई शाहशुजा से युद्ध में विजय प्राप्त की. मान्यता है कि युद्ध में विजय के उपरांत औरंगजेब ने पन्थेश्वरा देवी में मंदिर जाकर मत्था टेका और पुजारी को उपहार दिया. जिसके बाद यहां मंदिर और तालाब का निर्माण किया गया.