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बनारस के गंगा घाटों की ऐसी दुर्दशा की देखकर आप भी कहेंगे हे भगवान! लोग अपने खर्चे पर कर रहे सफाई

बनारस के गंगा घाटों पर मिट्टी का मलबा जमा हुआ है. पर्यटक गिरकर चोटिल हो रहे हैं, लेकिन नगर निगम अपनी खानापूर्ति कर रहा है.

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बनारस के गंगा घाटों पर मिट्टी का मलबा (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 2 hours ago

वाराणसी: बनारस को गंगा घाटों की खूबसूरती के लिए जाना जाता है. लेकिन, लगभग 2 महीने तक बारिश के समय में गंगा में आए बाढ़ के कारण घाटों का संपर्क एक दूसरे से टूटा रहा है. घाटों पर मिट्टी जमी हुई है. गंगा घाटों पर मिट्टी का जमा हुआ मलबा देखकर आप भी चौक पड़ेंगे. क्योंकि पहाड़ की तरह यह मलबा घाटों पर जमा है. फिसलन इतनी की रोज पर्यटक गिरकर चोटिल हो रहे हैं. बावजूद इसके जिम्मेदार विभाग नगर निगम अब तक सिर्फ नाम के ही कर्मचारी लगाकर अपनी खानापूर्ति कर रहा है.

लोग अपने खर्चे पर कर रहे सफाई: वाराणसी के गंगा घाटों पर हर साल सावन के बाद भादो खत्म होने तक पानी के नीचे उतरते ही मिट्टी की सफाई युद्ध स्तर पर शुरू हो जाती है. लेकिन इस बार हालात ऐसे हैं, कि पर्यटक और आम व्यक्ति परेशान हैं. स्थानीय लोगों का तो यह हाल है, कि अपने खर्चे पर अपनी मशीन लगवा कर लोग गंगा घाटों की सफाई करवा रहे हैं. गंगा आरती करवाने वाली संस्था ने अपने बल पर पूरे घाट की सफाई करवाई है. इतना ही नहीं, बगल में त्रिपुरा भैरवी और अन्य घाटों पर भी लोग अपने खर्चे पर ही सफाई करवा रहे हैं.

बनारस के गंगा घाटों पर मिट्टी का मलबा, पर्यटकों ने साझा की जानकारी (ETV BHARAT)

वाराणसी नगर निगम की तरफ से क्या तैयारी है? इस बारे में पूछे जाने पर वाराणसी नगर निगम के जनसंपर्क अधिकारी संदीप श्रीवास्तव का कहना है, कि दीपावली से पहले हम पूरा प्रयास कर रहे हैं की गंगा घाटों को लगभग साफ कर लिया जाए. इसके लिए 25 पंपिंग मशीनों के साथ लगभग 20 से 22 लोगों को लगाया गया है. लेकिन, सवाल यही है कि जब 84 घाट हैं और हर घाट को साफ करने में 4 से 5 दिन का वक्त लगता है, तो इतनी मोटी मिट्टी की लेयर को हटाने के लिए क्या इतनी मशीन और व्यक्ति पर्याप्त हैं.

इसे भी पढ़े-बनारस के इन घाटों पर जरा बचकर, चूक गए तो जा सकती है जान, गंगा नहाने आएं तो रखें खुद का ध्यान

मिट्टी हटाने में हो रही परेशानी: इस बारे में स्थानीय और नाव संचालन करने वाले विनोद मांझी का कहना है, कि हर बार भादो से पहले गंगा नीचे चली जाती थी. पानी हटाने के बाद मिट्टी की सफाई करने के लिए नगर निगम एक-एक घाट पर 5 से 7 लोगों को और पंपिंग सेट को लगवाता था. 100 से ज्यादा पंपिंग सेट और व्यक्ति लगते थे. लेकिन, इस बार इतनी कम संख्या है, कि मिट्टी हटाने में बहुत परेशानी हो रही है. हालात ऐसे है की रोज कोई ना कोई पर्यटक गिरकर चोटिल हो रहा है. मिट्टी चिकनी होने के कारण पर्यटकों को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

मणिकर्णिका घाट से रास्ता बंद: सबसे बड़ी बात यह है, कि विश्वनाथ धाम के बाहर जमा मिट्टी को हटाने के लिए विश्वनाथ मंदिर प्रशासन ने अपने स्तर पर प्रयास करके गंगा घाट को साफ कर लिया है. लेकिन, उसके अगल-बगल मणिकर्णिका और ललिता घाट पर अभी भी इतनी मिट्टी जमा है, कि विश्वनाथ धाम जाने वाले रास्ते को भक्तों के लिए खोला ही नहीं जा सका है. गंगा के रास्ते भक्तों को अभी विश्वनाथ धाम में प्रवेश भी नहीं मिल रहा है. जमा मिट्टी की वजह से ललित कार्ड मणिकर्णिका घाट से रास्ता बंद है. यहां पर दर्शन करने के यहां लिए आने वाले भक्त परेशान हैं. यहां पर मिट्टी जमा होने की वजह से बंद रास्ते को देखते हुए पुलिस को भी तैनात किया गया है, जो आने वाले लोगों को वापस लौटा दे रही है.

नगर निगम की रफ्तार धीमी: पर्यटकों का कहना है, कि गंगा घाटों पर ना वह घूम पा रहे हैं, ना विश्वनाथ मंदिर गंगा के रास्ते जा पा रहे हैं. इसलिए युद्ध स्तर पर सफाई का काम होना चाहिए. अब त्योहार आने वाले हैं. नगर निगम की धीमी रफ्तार यहां आने वाले पर्यटकों को मायूस कर रही है. गंगा घाटों की स्थिति इतनी बुरी है, कि आप भी इसे देखकर बस यही कहेंगे, जाए तो जाएं कहां.

घाटों पर जमा मिट्टी को लेकर सोमवार को हुई मिनी सदन की बैठक में भी पार्षदों ने इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया है. गंगा घाटों पर सफाई उस स्तर पर नहीं हो रही, जैसे नगर निगम को करवानी चाहिए. इसके बाद महापौर अशोक तिवारी ने भी 24 घंटे सफाई करके त्योहार से पहले हर हाल में गंगा घाटों को साफ करने के लिए कहा है.

यह भी पढ़े-अब गंगा घाट पर बिना अनुमति के नहीं कर पाएंगे कोई कार्यक्रम, वाराणसी नगर निगम ने जारी किया नया आदेश

वाराणसी: बनारस को गंगा घाटों की खूबसूरती के लिए जाना जाता है. लेकिन, लगभग 2 महीने तक बारिश के समय में गंगा में आए बाढ़ के कारण घाटों का संपर्क एक दूसरे से टूटा रहा है. घाटों पर मिट्टी जमी हुई है. गंगा घाटों पर मिट्टी का जमा हुआ मलबा देखकर आप भी चौक पड़ेंगे. क्योंकि पहाड़ की तरह यह मलबा घाटों पर जमा है. फिसलन इतनी की रोज पर्यटक गिरकर चोटिल हो रहे हैं. बावजूद इसके जिम्मेदार विभाग नगर निगम अब तक सिर्फ नाम के ही कर्मचारी लगाकर अपनी खानापूर्ति कर रहा है.

लोग अपने खर्चे पर कर रहे सफाई: वाराणसी के गंगा घाटों पर हर साल सावन के बाद भादो खत्म होने तक पानी के नीचे उतरते ही मिट्टी की सफाई युद्ध स्तर पर शुरू हो जाती है. लेकिन इस बार हालात ऐसे हैं, कि पर्यटक और आम व्यक्ति परेशान हैं. स्थानीय लोगों का तो यह हाल है, कि अपने खर्चे पर अपनी मशीन लगवा कर लोग गंगा घाटों की सफाई करवा रहे हैं. गंगा आरती करवाने वाली संस्था ने अपने बल पर पूरे घाट की सफाई करवाई है. इतना ही नहीं, बगल में त्रिपुरा भैरवी और अन्य घाटों पर भी लोग अपने खर्चे पर ही सफाई करवा रहे हैं.

बनारस के गंगा घाटों पर मिट्टी का मलबा, पर्यटकों ने साझा की जानकारी (ETV BHARAT)

वाराणसी नगर निगम की तरफ से क्या तैयारी है? इस बारे में पूछे जाने पर वाराणसी नगर निगम के जनसंपर्क अधिकारी संदीप श्रीवास्तव का कहना है, कि दीपावली से पहले हम पूरा प्रयास कर रहे हैं की गंगा घाटों को लगभग साफ कर लिया जाए. इसके लिए 25 पंपिंग मशीनों के साथ लगभग 20 से 22 लोगों को लगाया गया है. लेकिन, सवाल यही है कि जब 84 घाट हैं और हर घाट को साफ करने में 4 से 5 दिन का वक्त लगता है, तो इतनी मोटी मिट्टी की लेयर को हटाने के लिए क्या इतनी मशीन और व्यक्ति पर्याप्त हैं.

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मिट्टी हटाने में हो रही परेशानी: इस बारे में स्थानीय और नाव संचालन करने वाले विनोद मांझी का कहना है, कि हर बार भादो से पहले गंगा नीचे चली जाती थी. पानी हटाने के बाद मिट्टी की सफाई करने के लिए नगर निगम एक-एक घाट पर 5 से 7 लोगों को और पंपिंग सेट को लगवाता था. 100 से ज्यादा पंपिंग सेट और व्यक्ति लगते थे. लेकिन, इस बार इतनी कम संख्या है, कि मिट्टी हटाने में बहुत परेशानी हो रही है. हालात ऐसे है की रोज कोई ना कोई पर्यटक गिरकर चोटिल हो रहा है. मिट्टी चिकनी होने के कारण पर्यटकों को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

मणिकर्णिका घाट से रास्ता बंद: सबसे बड़ी बात यह है, कि विश्वनाथ धाम के बाहर जमा मिट्टी को हटाने के लिए विश्वनाथ मंदिर प्रशासन ने अपने स्तर पर प्रयास करके गंगा घाट को साफ कर लिया है. लेकिन, उसके अगल-बगल मणिकर्णिका और ललिता घाट पर अभी भी इतनी मिट्टी जमा है, कि विश्वनाथ धाम जाने वाले रास्ते को भक्तों के लिए खोला ही नहीं जा सका है. गंगा के रास्ते भक्तों को अभी विश्वनाथ धाम में प्रवेश भी नहीं मिल रहा है. जमा मिट्टी की वजह से ललित कार्ड मणिकर्णिका घाट से रास्ता बंद है. यहां पर दर्शन करने के यहां लिए आने वाले भक्त परेशान हैं. यहां पर मिट्टी जमा होने की वजह से बंद रास्ते को देखते हुए पुलिस को भी तैनात किया गया है, जो आने वाले लोगों को वापस लौटा दे रही है.

नगर निगम की रफ्तार धीमी: पर्यटकों का कहना है, कि गंगा घाटों पर ना वह घूम पा रहे हैं, ना विश्वनाथ मंदिर गंगा के रास्ते जा पा रहे हैं. इसलिए युद्ध स्तर पर सफाई का काम होना चाहिए. अब त्योहार आने वाले हैं. नगर निगम की धीमी रफ्तार यहां आने वाले पर्यटकों को मायूस कर रही है. गंगा घाटों की स्थिति इतनी बुरी है, कि आप भी इसे देखकर बस यही कहेंगे, जाए तो जाएं कहां.

घाटों पर जमा मिट्टी को लेकर सोमवार को हुई मिनी सदन की बैठक में भी पार्षदों ने इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया है. गंगा घाटों पर सफाई उस स्तर पर नहीं हो रही, जैसे नगर निगम को करवानी चाहिए. इसके बाद महापौर अशोक तिवारी ने भी 24 घंटे सफाई करके त्योहार से पहले हर हाल में गंगा घाटों को साफ करने के लिए कहा है.

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