कोरिया: मध्यप्रदेश के कान्हा नेशनल पार्क से निकला बाघ छत्तीसगढ़ में अपना सफर जारी रखे हुए है. सबसे पहले अमरकंटक के रास्ते बाघ गौरेला पेंड्रा मरवाही पहुंचा. मरवाही वन मंडल के जंगलों में बाघ ने बड़े मजे से मवेशियों का शिकार किया. उसके बाद टाइगर अपने टशन में लगातार सफर कर रहा है. मरवाही वनमंडल से भोजन पानी का स्वाद चखने के बाद वह सरगुजा के जंगलों में चला गया.
जारी है टाइगर की चहलकदमी: टाइगर की चहलकदमी एक ओर लोगों को परेशान और चिंतित कर रही है. वहीं इस खबर को जो भी शख्स पढ़ रहा है उसे टाइगर के मूवमेंट की जानकारी काफी रोचक लग रही है. यह टाइगर कई किलोमीटर का सफर तय कर मध्यप्रदेश के कान्हा टाइगर रिजर्व से छत्तीसगढ़ में मजे से घूम रहा है. दूसरी ओर कोरिया और मनेंद्रगढ़ के जिलों से सटे जंगली इलाकों में लोगों के अंदर दहशत है.
छत्तीसगढ़ में एमपी का बाघ: बीते 6 दिसंबर से छत्तीसगढ़ में एमपी का बाघ घूम रहा है. सबसे पहले बाघ मरवाही वन मंडल के गौरेला में पहुंचा. उसके बाद वह अचानकमार टाइगर रिजर्व होते हुए सात दिसंबर को सरगुजा के मनेंद्रगढ़ पहुंचा. उसके बाद बाघ 11 दिसंबर को चिरमिरी पहुंचा. 13 दिसंबर को बाघ कोरिया की सीमा में प्रवेश कर गया. वन विभाग के मुताबिक यह बाघ कोरिया और एमसीबी के सरहदी इलाकों में विचरण कर रहा है.
चिरमिरी के मौहारी में बाघ की दस्तक: एमपी के बाघ की दस्तक अब चिरमिरी के मौहारी इलाके में है. यहां बीते 24 घंटे से बाघ की दहशत है. वन विभाग ने बताया है कि बाघ ने एक मवेशी का शिकार किया है. इस घटना के बाद से लोगों में डर का माहौल है. वन विभाग लगातार अलर्ट है. वन विभाग का कहना है कि जिस इलाके में टाइगर की चहलकदमी है वहां पर हम लोग ज्यादा अलर्ट है. सतत तौर पर निगरानी रखी जा रही है. जिससे किसी भी अप्रिय घटना को रोका जा सके.
बाघ की गतिविधियों पर 24 घंटे नजर रखी जा रही है. गांववालों को सतर्क रहने और बाघ के पास न जाने की हिदायत दी गई है-अखिलेश मिश्रा, वन विभाग के एसडीओ
बाघ सुबह मेरे बैल का शिकार कर गया. मैंने गांववालों को जानकारी दी, लेकिन शुरुआत में मेरी बात को झूठ माना गया. उसके बाद मैंने टाइगर के फुट प्रिंट के बारे में वन विभाग को बताया- छोटू, ग्रामीण, मौहारी
मेरे घर के पीछे नाले में बाघ छिपा हुआ था. रात में डर के कारण हम लोग अपना घर छोड़कर पड़ोसी छोटेलाल के घर में रुके. वन विभाग के गार्ड ने हमें वहां से हटाकर सुरक्षित जगह पर भेज दिया-लीलावती, ग्रामीण, मौहारी
बाघ की छत्तीसगढ़ में चहलकदमी से ऐसा लग रहा है कि, इस बाघ को छत्तीसगढ़ का जंगल बेहद पसंद आ गया है. उसे समय समय पर शिकार करने का मौका भी मिल रहा है. भोजन,पानी और घना जंगल होने की वजह से लगातार बाघ छत्तीसगढ़ के सरगुजा में आगे बढ़ता जा रहा है.