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मध्य प्रदेश में तहसीलदारों पर सीधे दर्ज नहीं होगी FIR, जानिए क्यों मिल गया ये विशेषाधिकार - Tehsildar Special Privileges

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 3 hours ago

मध्य प्रदेश में तहसीलदारों को हड़ताल करने का लाभ मिल गया. सरकार ने तहसीलदारों को विशेषाधिकार देने की बात कही है. इस आदेश के तहत अब तहसीलदारों पर सीधे एफआईआर दर्ज नहीं की जा सकती है. इस आदेश को लेकर राजस्व विभाग ने कलेक्टर और अपर मुख्य सचिव गृह विभाग को आदेश का स्मरण पत्र भेजा है.

TEHSILDAR SPECIAL PRIVILEGES
मध्य प्रदेश में तहसीलदारों पर सीधे दर्ज नहीं होगी FIR (Mohan Yadav X Image)

भोपाल: मध्य प्रदेश में बीते कई दिनों से तहसीलदार अपनी मांगों को लेकर हड़ताल कर रहे हैं. तहसीलदारों की ये हड़ताल हरि सिंह धुर्वे के खिलाफ दर्ज हुई एफआईआर को लेकर शुरु हुई थी. तहसीलदारों की हड़ताल का असर यह हुआ कि सरकार ने उन्हें विशेष अधिकारी देने का ऐलान कर दिया है. राजस्व विभाग ने सभी कलेक्टर और अपर मुख्य सचिव गृह विभाग को तीन साल पुराने आदेश का स्मरण पत्र भेजा है.

तहसीलदारों को विशेष अधिकार देने की बात

राजस्व विभाग द्वारा भेजे गए पत्र में लिखा है कि सभी पीठासीन अधिकारी, जो मध्य प्रदेश भू-राजस्व संहिता की धारा 31 या किसी विधिक प्रावधान में अर्ध न्यायिक और न्यायिक कार्यवाही के दौरान किए गए किसी कार्य के विरुद्ध सिविल या दांडिक कार्यवाही से बचाव का संरक्षण प्राप्त है. यह संरक्षण अधिनियम धारा 3(2) में दिया गया है. सभी कमिश्रर और कलेक्टर राजस्व न्यायालय की इस बात पर ध्यान रखेंगे. बता दें यह पत्र राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव विवेक पोरवाल द्वारा लिखा गया है. पत्र को लेकर विवेक पोरवाल का कहना है कि तहसीलदारों के अतिरिक्त संरक्षण के प्रावधानों का पालन करना संभागयुक्त और कलेक्टरों की जिम्मेदारी है.

आखिर क्यों हड़ताल पर गए तहसीलदार

गौरतलब है कि जबलपुर के तहसीलदार हरि सिंह धुर्वे पुलिस ने उनके घर से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. तहसीलदार हरि सिंह धुर्वे पर आरोप है कि उन्होंने अधारताल तहसील में पदस्थ कंप्यूटर ऑपरेटर की फर्जी वसीयत के आधार पर जमीन का गलत ढंग से ट्रांसफर कर दिया था. दरअसल, जबलपुर के रैगवा गांव में महावीर पांडे के नाम पर एक हेक्टेयर जमीन थी. महीवीर पांडे की मौत के बाद यह जमीन उनके बेटे शिवचरण पांडे के नाम पर दर्ज होनी थी, लेकिन अधारताल तहसील में पदस्थ कंप्यूटर ऑपरेटर दीपा दुबे ने इस जमीन को एक फर्जी वसीयत बनाकर अपने पिता श्याम नारायण दुबे के नाम पर ट्रांसफर करवा लिया.

यहां पढ़ें...

जबलपुर में हड़ताल पर तहसीलदार, जानिए क्यों हुई हरि सिंह धुर्वे की गिरफ्तारी

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जिसके बाद यह जमीन दीपा दुबे और उसके भाईयों के पास चली गई. जिसे इन लोगों ने मिलकर बेचने की कोशिश की. इसी बीच शिवचरण पांडे ने इस धोखादड़ी की शिकायत की. जिसकी जांच में हरि सिंह धुर्वे और पटवारी जोगेंद्र पिपरी की भूमिका संदिग्ध पाई गई. लिहाजा पुलिस ने हरि सिंह धुर्वे को उनके घर से गिरफ्तार कर लिया था.

भोपाल: मध्य प्रदेश में बीते कई दिनों से तहसीलदार अपनी मांगों को लेकर हड़ताल कर रहे हैं. तहसीलदारों की ये हड़ताल हरि सिंह धुर्वे के खिलाफ दर्ज हुई एफआईआर को लेकर शुरु हुई थी. तहसीलदारों की हड़ताल का असर यह हुआ कि सरकार ने उन्हें विशेष अधिकारी देने का ऐलान कर दिया है. राजस्व विभाग ने सभी कलेक्टर और अपर मुख्य सचिव गृह विभाग को तीन साल पुराने आदेश का स्मरण पत्र भेजा है.

तहसीलदारों को विशेष अधिकार देने की बात

राजस्व विभाग द्वारा भेजे गए पत्र में लिखा है कि सभी पीठासीन अधिकारी, जो मध्य प्रदेश भू-राजस्व संहिता की धारा 31 या किसी विधिक प्रावधान में अर्ध न्यायिक और न्यायिक कार्यवाही के दौरान किए गए किसी कार्य के विरुद्ध सिविल या दांडिक कार्यवाही से बचाव का संरक्षण प्राप्त है. यह संरक्षण अधिनियम धारा 3(2) में दिया गया है. सभी कमिश्रर और कलेक्टर राजस्व न्यायालय की इस बात पर ध्यान रखेंगे. बता दें यह पत्र राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव विवेक पोरवाल द्वारा लिखा गया है. पत्र को लेकर विवेक पोरवाल का कहना है कि तहसीलदारों के अतिरिक्त संरक्षण के प्रावधानों का पालन करना संभागयुक्त और कलेक्टरों की जिम्मेदारी है.

आखिर क्यों हड़ताल पर गए तहसीलदार

गौरतलब है कि जबलपुर के तहसीलदार हरि सिंह धुर्वे पुलिस ने उनके घर से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. तहसीलदार हरि सिंह धुर्वे पर आरोप है कि उन्होंने अधारताल तहसील में पदस्थ कंप्यूटर ऑपरेटर की फर्जी वसीयत के आधार पर जमीन का गलत ढंग से ट्रांसफर कर दिया था. दरअसल, जबलपुर के रैगवा गांव में महावीर पांडे के नाम पर एक हेक्टेयर जमीन थी. महीवीर पांडे की मौत के बाद यह जमीन उनके बेटे शिवचरण पांडे के नाम पर दर्ज होनी थी, लेकिन अधारताल तहसील में पदस्थ कंप्यूटर ऑपरेटर दीपा दुबे ने इस जमीन को एक फर्जी वसीयत बनाकर अपने पिता श्याम नारायण दुबे के नाम पर ट्रांसफर करवा लिया.

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जिसके बाद यह जमीन दीपा दुबे और उसके भाईयों के पास चली गई. जिसे इन लोगों ने मिलकर बेचने की कोशिश की. इसी बीच शिवचरण पांडे ने इस धोखादड़ी की शिकायत की. जिसकी जांच में हरि सिंह धुर्वे और पटवारी जोगेंद्र पिपरी की भूमिका संदिग्ध पाई गई. लिहाजा पुलिस ने हरि सिंह धुर्वे को उनके घर से गिरफ्तार कर लिया था.

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