रतलाम। रतलाम जिले की सैलाना विधानसभा सीट पर 13 मई को लोकसभा चुनाव के लिए 84.37 प्रतिशत मतदान हुआ. मध्य प्रदेश के सभी विधानसभा क्षेत्रों में ये सर्वाधिक है. खास बात यह है कि असाक्षरता और आदिवासी बहुल क्षेत्र होने के बावजूद सैलाना के लोगों ने जागरूकता दिखाई. सैलाना विधानसभा क्षेत्र की सफलता में यहां के प्रशासनिक अधिकारी और निर्वाचन कर्मचारियों का बड़ा रोल है. स्थानीय प्रशासन ने पलायन कर गए परिवारों को फोन कर मतदान करने के लिए आमंत्रित किया. वहीं हर मतदाता की मार्किंग कर उसका मतदान सुनिश्चित करवाया.
कैसे बना सैलाना वोटिंग में नंबर वन
सैलाना एसडीएम मनीष जैन का कहना है- "सैलाना विधानसभा क्षेत्र में 80 से 90 फ़ीसदी तक पलायन होता है. खासकर अप्रैल और मई के महीने में गांव खाली हो जाते हैं. ऐसे में इतने बड़े पैमाने पर वोटिंग करवाना बड़ी चुनौती थी. इसके लिए हर पंचायत में पलायन करने वाले लोगों की सूची तैयार करवाई गई. एक महीने से लेकर 15 दिन तक लगातार कर्मचारियों की ड्यूटी लगवाकर इन मतदाताओं को बारी-बारी से फोन लगवाए गए. उन्हें मतदान के लिए सैलाना बुलाया गया. यह रणनीति काम कर गई और सैलाना में विधानसभा चुनाव के बाद लोकसभा चुनाव में भी बंपर वोटिंग हुई."
प्रशासन और निर्वाचन कर्मियों का बड़ा योगदान
इस बड़े रिकॉर्ड के पीछे सैलाना अनुभाग के अधिकारियों और कर्मचारी का बड़ा योगदान है. विधानसभा चुनाव के पूर्व ही मतदाता सूची का शुद्धिकरण करवाया गया. मृत हो चुके या कहीं और जा चुके मतदाताओं के नाम विलोपित किए गए. नए मतदाताओं के नाम जोड़े गए. कई मतदाताओं को मतदान करने के लिए 5 से 6 किलोमीटर दूर जाना पड़ता था, उन मतदाताओं के नाम पास के ही मतदान केंद्र पर जोड़े गए. ऐसे में वोटर बड़ी संख्या में वोट देने के लिए पोलिंग बूथ तक पहुंचे. एसडीम मनीष जैन ने बताया - "बीमार और बुजुर्ग मतदाताओं के लिए टीम ने घर पहुंच कर उनका मतदान करवाया. इसी वजह से विधानसभा चुनाव में सैलाना में 90% और लोकसभा चुनाव में 84.37 प्रतिशत मतदान हुआ."