सागर। मध्य प्रदेश में उपचुनाव के बाद मोहन यादव मंत्रिमंडल विस्तार के लिए सरकार और भाजपा संगठन पर दबाव बढ़ता जा रहा है. वरिष्ठ विधायकों की वरिष्ठता को ताक पर रखकर हुए फैसलों से अंदरुनी खुसफुस चल रही है. यह भाजपा संगठन के लिए परेशानी का सबब बन गया है. पहले तो संगठन ने लोकसभा और फिर उपचुनाव के नाम पर मंत्रिमंडल विस्तार टाल दिया, लेकिन कांग्रेस से आए रामनिवास रावत के मंत्री बनते ही वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी खुलकर सामने आ गई, क्योंकि प्रदेश में कई वरिष्ठ विधायक घर पर बैठे हैं, जिन्हें मंत्री बनने की आस थी.
अगर बुंदेलखंड में मंत्री पद के दावेदारों की सूची देखी जाए, तो कई वरिष्ठ विधायक जिनको लंबा राजनीतिक अनुभव है. अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं. अब समय-समय पर उनकी नाराजगी भी जाहिर होने लगी है. इन वरिष्ठ विधायकों में गोपाल भार्गव, जयंत मलैया, भूपेंद्र सिंह और बृजेंद्र प्रताप सिंह जैसे दिग्गजों के नाम है. इनके अलावा कई ऐसे विधायक हैं, जो तीन-चार बार विधायक बन चुके हैं और पहली बार मंत्री पद का इंतजार कर रहे हैं.
मंत्रिमंडल में ज्यादातर नए चेहरों को दिया मौका
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में दो तिहाई बहुमत से बंपर जीत हासिल करने के बाद भाजपा ने मुख्यमंत्री चयन और मंत्रिमंडल गठन को लेकर सबको चौंकाने का काम किया है. कई वरिष्ठ और दिग्गज दावेदारों की दावेदारी ताक पर रखते हुए कम अनुभवी को बड़ा पद दिया गया, मंत्रिमंडल में भी वरिष्ठ विधायकों की वरिष्ठता को ताक पर रख नए चेहरों को जगह दी गयी. इस बात पर दिग्गजों की नाराजगी पहले ही खुलकर सामने आ गई थी, लेकिन आलाकमान ने लोकसभा और उपचुनाव के नाम पर सबका मुंह बंद कर दिया. चुनाव के बाद नए सिरे से मंत्रीमंडल विस्तार करने की बात कही.
संगठन की बातों पर भरोसा कर दिग्गज दावेदार चुप हो गए, लेकिन जब अमरवाड़ा उपचुनाव की वोटिंग के पहले कांग्रेस से आए रामनिवास रावत को मंत्री बनने के लिए विशेष शपथ ग्रहण समारोह हुआ, तो दिग्गजों की नाराजगी फिर सतह पर आ गई. अब संगठन फिर मंत्रिमंडल विस्तार के नाम पर दिग्गज और वरिष्ठों को शांत रहने की हिदायत दे रहा है और जल्द मंत्रिमंडल विस्तार की बात कह रहा है.
लोकसभा चुनाव के बाद नेता हुए मुखर
इन हालातों के लिए लोकसभा चुनाव के परिणाम भी जिम्मेदार हैं. दरअसल पिछले 10 साल से भाजपा में एकतरफा पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा फैसला लिए जाते थे, लेकिन लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी को अपने दावे के अनुसार सफलता न मिलने के बाद संगठन और प्रदेश सरकारों पर उनका दबाव कमजोर हुआ है. अब वो नेता जो मोदी मैजिक के आगे चुप्पी साधना बेहतर समझते थे. मौका देखकर बयानबाजी करने लगे हैं और संगठन पर दबाव बनाने लगे हैं. उनके बयान और सियासी पेंच सरकार और संगठन के लिए परेशानी खड़े करने लगे हैं. राजनीतिक गलियारों में चर्चा है की कहानी मध्य प्रदेश के हाल उत्तर प्रदेश की तरह ना हो जाए और योगी और केशव प्रसाद मौर्य जैसे हालात ना बन जाए.
बुंदेलखंड को साधने में आ जाएगा पसीना
पूरे मध्य प्रदेश में भाजपा में ऐसे कई वरिष्ठ और दिग्गज नेता हैं. जिन्हें मोहन यादव मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी गयी. अकेले बुंदेलखंड की बात करें तो कई वरिष्ठ और दिग्गज नेता मंत्री बनने का इंतजार कर रहे हैं. कुछ नेता रणनीतिक रूप से चुप्पी साधे हुए हैं, लेकिन कुछ खुले तौर पर बयानबाजी कर रहे हैं. राम निवास रावत के मंत्री बनाए जाने पर पूर्व मंत्री और पूर्व नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव की नाराजगी खुलकर सामने आ गयी. उनके द्वारा अभी भी बयान पर कायम रहने के कारण संगठन और सरकार असहज महसूस कर रही है.
गोपाल भार्गव के अलावा जयंत मलैया, भूपेंद्र सिंह, बृजेंद्र प्रताप सिंह, ललिता यादव हरिशंकर खटीक जैसे वरिष्ठ नेता मंत्री पद का इंतजार कर रहे हैं. इसके अलावा कई नेता ऐसे हैं, जो तीन और चार बार विधायक बन चुके हैं और मंत्री पद की उम्मीद लगा रहे हैं. जिनमें सागर से शैलेंद्र यादव, नरयावली से प्रदीप लारिया, दमोह के हटा से उमा देवी खटीक जैसे नाम शामिल है.
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वरिष्ठ दिग्गजों पर डोरे डाल रही है कांग्रेस
इन हालातों पर विपक्षी दल कांग्रेस की पहली नजर है. हालांकि कांग्रेस विधानसभा में कमजोर विपक्ष के तौर पर नजर आ रही है, लेकिन अब सड़क पर कांग्रेस विपक्ष की भूमिका निभाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है. भाजपा में मंत्रिमंडल को लेकर बने हालातों पर कांग्रेस की पैनी नजर है. कांग्रेस ऐसे नेताओं पर अब भी डोरे डाल रही है. जो मंत्री पद के दावेदार तो हैं, लेकिन उन्हें मंत्री पद अब तक हासिल नहीं हुआ है. भाजपा की इन परिस्थितियों को भुनाकर कांग्रेस अपने संगठन को मजबूत करने के साथ भाजपा के चुनावी समीकरण बिगड़ना की पूरी कोशिश कर रही है.