जबलपुर। मध्य प्रदेश स्टेट पुलिस ऑफिसर एसोसिएशन के सदस्य जितेन्द्र सिंह और पुलिस अधीक्षक साइबर क्राइम इंदौर द्वारा केंद्रीय न्यायिक अधिकरण जबलपुर के समक्ष याचिका प्रस्तुत करते हुए विशेष कैडर रिव्यू की मांग की. जिसकी सुनवाई आज हुई एवं उसे स्वीकार करते हुए CAT की सिंगल बेंच ने केंद्र सरकार से पूछा है कि कैडर रिव्यू जो कि हर 5 वर्ष में होना चाहिए. उसमें इतनी देरी क्यों की जा रही है और विशेष कैडर रिव्यू का आर्डर क्यों न किया जाये.
क्या हम नहीं बन पाएंगे आईपीएस
राज्य सरकार में राज्य लोक सेवा आयोग से भर्ती हुए एसपी रैंक के अधिकारियों को केवल दो ही प्रमोशन मिल पाते हैं और वह ज्यादा से ज्यादा एडिशनल एसपी होकर रिटायर हो जाते हैं. जबकि इन्हें उनके अनुभव के आधार पर आईपीएस में शामिल किया जाता है, लेकिन इसके लिए राज्य सरकार की ओर से केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजना पड़ता है. इस याचिका में इस बात का जिक्र किया गया है कि राज्य सरकार केवल क्रमन्नति दे रही है. जबकि जो लोग आईपीएस होने के हकदार हैं, उन्हें पदोन्नति नहीं मिल रही है.
![MP Police Officials want to IPS](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/24-01-2024/mp-jab-01-police-7211635_24012024143429_2401f_1706087069_67.jpeg)
आईपीएस कैडर की समस्या
मध्य प्रदेश में एक दूसरी समस्या आईपीएस के कैडर की है. मध्य प्रदेश में यदि राज्य सरकार सीएसपी को आईपीएस के लिए प्रमोशन दिलवा भी दे तो उन्हें नियुक्ति कहां दी जाए, क्योंकि राज्य सरकार में इतने पद ही नहीं है. कैडर संख्या कम होने से आईपीएस award होने स्थिति क्षीण होती जा रही है और ASP के पद से ही बहुसंख्यक रिटायर हो जाएंगे. जबकि इस मामले में दूसरे राज्य मध्य प्रदेश से कहीं आगे हैं और वहां पर आसानी से पुलिस अधिकारियों को आईपीएस बनाया जा रहा है.
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एक हफ्ते बाद होगी अगली सुनवाई
इस याचिका में यह भी कहा गया है कि मध्य प्रदेश सरकार ने इस मामले में उदासीन रवैया अपनाया है. राज्य सरकार की ओर से ही आईपीएस के पद बढ़ाने को लेकर कोई रुचि नहीं दिखाई गई है. जबकि सुप्रीम कोर्ट ऐसे ही एक मामले में कह चुका है की प्रमोशन अच्छे अधिकारी का अधिकार है. मध्य प्रदेश स्टेट पुलिस एसोसिएशन की ओर से हाई कोर्ट के एडवोकेट पंकज दुबे ने इस मामले को केंद्रीय न्यायिक अभिकरण के सामने पेश किया है. अभिकरण के द्वारा राज्य सरकार से इस मामले में जवाब मांगा गया है. इस मामले की अगली सुनवाई एक सप्ताह बात की जाएगी. हालांकि राज्य सरकार मध्य प्रदेश के कई बड़े शहरों में कमिश्नर प्रणाली शुरू करने की तैयारी में है. यदि पुलिस की व्यवस्था शुरू हो जाती है तो आईपीएस के लिए नए पदों का सृजन होगा.