भोपाल: साइबर ठगों ने लोगों को ठगने के लिए मध्य प्रदेश पुलिस के नाम का उपयोग करना शरू कर दिया है. इस पूरे मामले में साइबर क्राइम भोपाल द्वारा एक एडवाइजरी जारी की गई है, जिसमें इस तरह के फर्जी एप के उपयोग से सावधान रहने सलाह दी गई है. साइबर क्राइम का ग्राफ तेजी से बढ़ता जा रहा है. हर दिन साइबर क्राइम की नई-नई घटनाएं और फ्रॉड करने के नए तरीके सामने आ रहे हैं.
भोपाल पुलिस ने जारी की एडवाइजरी
इन सबके बीच साइबर ठग लागातर अपनी ठगी के पैटर्न को बदलते रहते हैं और अब इन साइबर जालसाजों ने भोले-भाले लोगों को ठगने के लिए एक नया तरीका ढूंढा है. ठगों ने अब अपने धंधे में मध्य प्रदेश पुलिस के नाम का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है. इसे लेकर साइबर पुलिस को लगातार शिकायतें मिल रही हैं. अज्ञात व्यक्तियों द्वारा व्हाट्सएप ग्रुप पर मध्य प्रदेश पुलिस के एप का एपीके फाइल शेयर किया जा रहा है, जिसे लेकर पुलिस की तरह से अलर्ट जारी किया गया है.
मध्य प्रदेश पुलिस का नहीं है ऐप
साइबर क्राइम पुलिस के सहायक उपायुक्त सुजीत तिवारी ने एडवाइजरी के विषय में जानकारी दी देते हुए कहा कि, ''इस एप को शेयर डाउनलोड और इंस्टॉल बिल्कुल भी ना करें. यह मध्य प्रदेश पुलिस का ऐप नहीं है.'' पुलिस ने कहा कि अज्ञात सोर्सेस से ऐप डाउनलोड ना करें. इससे आप ठगी का शिकार हो सकते हैं. अपने फोन पर दो-स्तरीय प्रमाणीकरण को एक्टिव रखें. इसके अलावा किसी भी सन्दिग्ध लिंक को क्लिक न करें. साथ ही किसी के साथ अपनी व्यक्तिगत जानकारी और पासवर्ड शेयर ना करें.
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इस एप से हैक हो सकता है आपका मोबाइल
अगर आपने इस तरह के एपीके फाइल को अपने फोन पर डाउनलोड किया तो आपका फोन साइबर ठग हैक कर सकते हैं. इसलिए कभी भी अनजाने सोर्स से एपीके (apk) यानी एंड्रॉयड एप को इंस्टॉल करना आपको परेशान कर सकता है. इन एप्स के जरिए हैकर्स को आपके मोबाइल की एक-एक जानकारी मिल सकती है. इसी तरह के एप्स के जरिए साइबर ठग आपके मोबाइल के ओटीपी रीड करके आपके बैंक अकाउंट और क्रेडिट कार्ड को चंद सेकंड़ में खाली कर सकते हैं और आपको पता भी नहीं चलेगा.