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फंस गई राजगढ़ की सीट! दिग्विजय सिंह को अपने ही घर में बड़ी हार का खतरा - Digvijay Singh Last Election

लोकसभा चुनाव में राजगढ़ सीट से दिग्विजय सिंह एक बार फिर अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. बताया जा रहा है कि दिग्विजय सिंह की राजगढ़ सीट फंस गई है और उनको बड़ी हार का डर नजर आ रहा है. शायद इसीलिए दिग्विजय सिंह नतीजों से पहले आए एग्जिट पोल को झूठा बता रहे हैं.

DIGVIJAY SINGH LAST ELECTION
दिग्विजय सिंह को अपने ही घर में बड़ी हार का सता रहा डर (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jun 3, 2024, 2:06 PM IST

Updated : Jun 3, 2024, 8:02 PM IST

भोपाल। लोकसभा के इस चुनाव में बीजेपी-कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं की सियासी किस्मत दांव पर लगी है. कई नेताओं के लिए यह चुनाव इसलिए भी अहम है, क्योंकि वे चुनाव हारे या जीतें, इसके बाद उनका चुनाव मैदान में न उतरना तय है. ऐसे ही एक नेता हैं मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, जो अपने राजनीतिक करियर की आखिरी चुनावी पारी खेल रहे हैं. अपने इस आखिरी चुनाव में उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार रोडमल नागर के खिलाफ जमकर मेहनत की है. दिग्विजय सिंह ने इस पूरे चुनाव को स्थानीय बनाए रखने की कोशिश की है, लेकिन एग्जिट पोल के नतीजों ने उनकी चिंता बढ़ा दी है. राजगढ़ सीट से कांग्रेस को बड़ी हार दिखने लगी है.

दिग्विजय अब नहीं लड़ेंगे चुनाव

राजगढ़ लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे दिग्विजय सिंह इसे अपना आखिरी चुनाव बता चुके हैं. उन्होंने कहा है कि 'इसके बाद अब वह चुनाव नहीं लड़ेंगे और राजनीति में युवाओं को मौका देंगे. वैसे मध्य प्रदेश कांग्रेस की कमान युवा नेताओं को सौंपी जा चुकी है. पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह प्रदेश की सियायत में कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ सक्रिय नेता बचे हैं, जो चुनावी मैदान में जोर लगा रहे हैं. राजनीतिक जानकारों की मानें तो वे चुनाव जीते तो पार्टी में उनका कद बढ़ेगा, लेकिन दोनों ही स्थितियों में दिग्विजय सिंह अब दिल्ली की राजनीति करते दिखाई देंगे. प्रदेश में उनकी सक्रियता कम ही दिखाई देगी.

RAJGARH CONSTITUENCY FINAL RESULT
दिग्विजय सिंह का ये आखिरी चुनाव (ETV Bharat)

राजगढ़ में किसके सिर बधेंगा सेहरा

राजगढ़ लोकसभा सीट दिग्विजय सिंह की अपनी पारंपरिक सीट मानी जाती रही है. राजगढ़ लोकसभा के राघौगढ़ से ही उन्होंने अपनी सियासी सफर की शुरूआत की थी. 1971 में वे राजनीति में आए और 1977 में राघौगढ़ नगर पालिक अध्यक्ष बने थे. इसके बाद राघौगढ़ विधानसभा सीट से चुने गए और 1984 में राजगढ़ लोकसभा सीट से चुनकर संसद में कदम रखा था. वे इस सीट से दो बार जीत चुके गए. 4 बार उनके भाई लक्ष्मण सिंह कांग्रेस के टिकट पर इस सीट चुनाव जीते. अब दिग्विजय सिंह अपना आखिरी चुनाव भी इस सीट से लड़ रहे हैं. इस चुनाव को जीतने के लिए उन्होंने जहां इसे अपना आखिरी चुनाव बताकर भावनात्मक रूप से मतदाताओं को जोड़ने की कोशिश की, वहीं पूरा चुनाव उन्होंने स्थानीय मुद्दों को आधार बनाकर ही लड़ा.

अब देखना होगा कि जीत का सेहरा किसके सिर बंधता है. वैसे एक्जिट पोल में प्रदेश की 1 सीट ही कांग्रेस के खाते में जाती दिखाई दे रही है. हालांकि दिग्विजय सिंह इससे इत्तिफाक नहीं रखते.

यहां पढ़ें...

एग्जिट पोल को लेकर दिग्विजय सिंह का बड़ा खुलासा, कार्यकर्ताओं और समर्थकों को दी ये नसीहत

मध्यप्रदेश लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे, इन 5 सीटों पर होगा बड़ा उलटफेर, देखें मुरैना से लेकर छिंदवाड़ा तक कौन खतरे में

2019 में हार गए थे चुनाव

2003 के चुनाव में प्रदेश की सत्ता गंवाने के बाद दिग्विजय सिंह ने चुनावी सियासत से दूरी बना ली. 10 साल के चुनावी वनवास के बाद वे 2019 में भोपाल लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतरे थे. तब उनके सामने बीजेपी की कट्टर हिंदूवादी छवि वाली साध्वी प्रज्ञा को मैदान में उतारा गया था. साध्वी प्रज्ञा मोदी लहर और हिंदूवादी छवि के चलते यह चुनाव जीत गई थी. यही वजह है कि इस बार दिग्विजय सिंह ने अपना पूरा चुनाव स्थानीय मुद्दों को केंद्रित करके ही लड़ा है.

भोपाल। लोकसभा के इस चुनाव में बीजेपी-कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं की सियासी किस्मत दांव पर लगी है. कई नेताओं के लिए यह चुनाव इसलिए भी अहम है, क्योंकि वे चुनाव हारे या जीतें, इसके बाद उनका चुनाव मैदान में न उतरना तय है. ऐसे ही एक नेता हैं मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, जो अपने राजनीतिक करियर की आखिरी चुनावी पारी खेल रहे हैं. अपने इस आखिरी चुनाव में उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार रोडमल नागर के खिलाफ जमकर मेहनत की है. दिग्विजय सिंह ने इस पूरे चुनाव को स्थानीय बनाए रखने की कोशिश की है, लेकिन एग्जिट पोल के नतीजों ने उनकी चिंता बढ़ा दी है. राजगढ़ सीट से कांग्रेस को बड़ी हार दिखने लगी है.

दिग्विजय अब नहीं लड़ेंगे चुनाव

राजगढ़ लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे दिग्विजय सिंह इसे अपना आखिरी चुनाव बता चुके हैं. उन्होंने कहा है कि 'इसके बाद अब वह चुनाव नहीं लड़ेंगे और राजनीति में युवाओं को मौका देंगे. वैसे मध्य प्रदेश कांग्रेस की कमान युवा नेताओं को सौंपी जा चुकी है. पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह प्रदेश की सियायत में कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ सक्रिय नेता बचे हैं, जो चुनावी मैदान में जोर लगा रहे हैं. राजनीतिक जानकारों की मानें तो वे चुनाव जीते तो पार्टी में उनका कद बढ़ेगा, लेकिन दोनों ही स्थितियों में दिग्विजय सिंह अब दिल्ली की राजनीति करते दिखाई देंगे. प्रदेश में उनकी सक्रियता कम ही दिखाई देगी.

RAJGARH CONSTITUENCY FINAL RESULT
दिग्विजय सिंह का ये आखिरी चुनाव (ETV Bharat)

राजगढ़ में किसके सिर बधेंगा सेहरा

राजगढ़ लोकसभा सीट दिग्विजय सिंह की अपनी पारंपरिक सीट मानी जाती रही है. राजगढ़ लोकसभा के राघौगढ़ से ही उन्होंने अपनी सियासी सफर की शुरूआत की थी. 1971 में वे राजनीति में आए और 1977 में राघौगढ़ नगर पालिक अध्यक्ष बने थे. इसके बाद राघौगढ़ विधानसभा सीट से चुने गए और 1984 में राजगढ़ लोकसभा सीट से चुनकर संसद में कदम रखा था. वे इस सीट से दो बार जीत चुके गए. 4 बार उनके भाई लक्ष्मण सिंह कांग्रेस के टिकट पर इस सीट चुनाव जीते. अब दिग्विजय सिंह अपना आखिरी चुनाव भी इस सीट से लड़ रहे हैं. इस चुनाव को जीतने के लिए उन्होंने जहां इसे अपना आखिरी चुनाव बताकर भावनात्मक रूप से मतदाताओं को जोड़ने की कोशिश की, वहीं पूरा चुनाव उन्होंने स्थानीय मुद्दों को आधार बनाकर ही लड़ा.

अब देखना होगा कि जीत का सेहरा किसके सिर बंधता है. वैसे एक्जिट पोल में प्रदेश की 1 सीट ही कांग्रेस के खाते में जाती दिखाई दे रही है. हालांकि दिग्विजय सिंह इससे इत्तिफाक नहीं रखते.

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2019 में हार गए थे चुनाव

2003 के चुनाव में प्रदेश की सत्ता गंवाने के बाद दिग्विजय सिंह ने चुनावी सियासत से दूरी बना ली. 10 साल के चुनावी वनवास के बाद वे 2019 में भोपाल लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतरे थे. तब उनके सामने बीजेपी की कट्टर हिंदूवादी छवि वाली साध्वी प्रज्ञा को मैदान में उतारा गया था. साध्वी प्रज्ञा मोदी लहर और हिंदूवादी छवि के चलते यह चुनाव जीत गई थी. यही वजह है कि इस बार दिग्विजय सिंह ने अपना पूरा चुनाव स्थानीय मुद्दों को केंद्रित करके ही लड़ा है.

Last Updated : Jun 3, 2024, 8:02 PM IST
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