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कमल या नाथ, छिंदवाड़ा किसका! बीजेपी की उम्मीदें होंगी पूरी या कमलनाथ जनता के लिए जरूरी - nakul nath Vs vivek who is winner

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jun 3, 2024, 2:18 PM IST

4 जून को छिंदवाड़ा लोकसभा सीट के नतीजे बताएंगे कि छिंदवाड़ा कमल या कमलनाथ का होगा. दरअसल कमलनाथ ने इस चुनाव में छिंदवाड़ा की जनता के लिए अपने 44 साल की राजनीतिक तपस्या बताकर बेटे नकुलनाथ के लिए वोट मांगे तो बीजेपी ने मोदी की गारंटी का हवाला देकर पूरी ताकत झोंक दी.

NAKUL NATH VS VIVEK WHO IS WINNER
छिंदवाड़ा लोकसभा सीट रिजल्ट 2024 (Etv Bharat Graphics)

CHHINDWARA ELECTION RESULTS 2024 LIVE: 4 जून को लोकसभा चुनाव का रिजल्ट आने वाला है. बात करें मध्य प्रदेश की तो सबकी नजर हॉट सीट छिंदवाड़ा पर है. पूर्व सीएम कमलनाथ के बेटे नकुल नाथ के सामने भाजपा के विवेक बंटी साहू मैदान में हैं. छिंदवाड़ा के लिए भले ही बीजेपी के विवेक बंटी साहू हो या कांग्रेस से नकुलनाथ हों, लेकिन चुनाव कांग्रेस ने कमलनाथ के नाम पर तो भाजपा ने मोदी के दम पर लड़ा है. कमलनाथ की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है. मंगलवार को आने वाला रिजल्ट बताएगा की छिंदवाड़ा किसका होगा, कमलनाथ का या कमल का.

kamal nath stronghold chhindwara
छिंदवाड़ा में दांव पर कमलनाथ की साख (ETV BHARAT)

कमलनाथ की राजनीतिक तपस्या का इम्तिहान

4 जून को छिंदवाड़ा लोकसभा चुनाव के नतीजे कमलनाथ की राजनीतिक तपस्या का इम्तिहान होंगे. क्योंकि इस चुनाव में कमलनाथ का अपनों ने भी साथ छोड़ दिया था, लेकिन कमलनाथ छिंदवाड़ा जिले की जनता के सहारे चुनावी मैदान में डटे रहे. कमलनाथ के हनुमान कहे जाने वाले पूर्व कैबिनेट मंत्री दीपक सक्सेना, अमरवाड़ा के विधायक कमलेश प्रताप शाह और जिसे वेटर से महापौर बनाया वह विक्रम अहिके चुनाव के कुछ दिन पहले कमलनाथ का साथ छोड़ कर बीजेपी में शामिल हो गए थे. हालांकि चुनाव के दिन विक्रम अहिके ने नकुलनाथ के लिए वोट देने की अपील करते हुए वीडियो जारी किया था.

कमलनाथ ने इमोशनल होकर मांगा वोट, बीजेपी के दिग्गजों ने डाला डेरा

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने बेटे नकुलनाथ के लिए वोट तो मांगे, लेकिन अपनी 44 सालों के राजनीतिक रिश्ते के साथ-साथ विकास का जनता को हवाला दिया. कमलनाथ हर एक सभा में छिंदवाड़ा के लिए अपनी अंतिम सांस तक समर्पित करने की बात करते नजर आए. यहां तक की उन्होंने कहा कि छिंदवाड़ा से उनका राजनीतिक रिश्ता नहीं बल्कि पारिवारिक रिश्ता है और यहां के परिवार का वोट लेकर वह संसद में पहुंचते हैं. वहीं, इसके उलट भारतीय जनता पार्टी ने पूरे दिग्गजों की टीम कमलनाथ और उनकी बेटे को हराने के लिए लगा दी थी. छिंदवाड़ा जिले की कमान कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के हाथों में थी. इसके साथ भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयप्रकाश नड्डा, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, खुद मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने करीब 10 से ज्यादा रोड शो और सभाएं की. इसके अलावा कई केंद्रीय मंत्री दूसरे प्रदेशों के बड़े नेता छिंदवाड़ा में लगातार मोदी की गारंटी के नाम पर वोट मांगने के लिए पहुंचे.

nakul nath Vs vivek who is winner
छिंदवाड़ा सीट जीतने भाजपा ने लगाया जोर (ETV BHARAT)

बीजेपी लिए चुनौती तो कमलनाथ के लिए भविष्य का पैमाना

44 सालों से छिंदवाड़ा में राजनीति कर रहे कमलनाथ यहां से नौ बार सांसद और दो बार विधायक रहे हैं. ईसी दौरान वे एक बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे. 2019 चुनाव में मुख्यमंत्री बनने की वजह से उन्होंने छिंदवाड़ा लोकसभा सीट से बेटे नकुलनाथ को मैदान में उतारा था. इस बार भी बाजी कमलनाथ ने मारी थी जबकि मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया सरीखे कांग्रेस के बड़े नेता भी हार गए थे. एक बार फिर कमलनाथ ने अपनी पूरी ताकत खुद के दम पर अपने बेटे को चुनाव जिताने के लिए लगाया है. अगर कमलनाथ अपनी रणनीति में सफल होते हैं तो उनके बेटे के लिए राजनीति के मायने बड़े हो जाएंगे और आगे के रास्ते काफी क्लियर दिखेंगे. वहीं भाजपा के लिए हमेशा चुनौती साबित हो रही छिंदवाड़ा लोकसभा इस बार बीजेपी जीतने में कामयाब हो जाती है तो नकुलनाथ के राजनीतिक कैरियर पर सवाल तो खड़ा ही होगा ही, वहीं बीजेपी के लिए बड़ी उपलब्धि होगी.

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मैदान में नकुल और विवेक, चुनाव कमलनाथ और मोदी के नाम पर

छिंदवाड़ा लोकसभा के लिए भले ही बीजेपी के विवेक बंटी साहू हो या कांग्रेस से नकुलनाथ हों, लेकिन चुनाव कांग्रेस ने कमलनाथ के नाम पर भाजपा ने मोदी के दम पर लड़ा. नकुलनाथ अपने पिता की 44 साल की उपलब्धियां को गिनाते नजर आए थे तो बंटी साहू मोदी की गारंटी का भरोसा दे रहे थे. हालांकि छिंदवाड़ा लोकसभा सीट की सातों विधानसभा में फिलहाल कांग्रेस के विधायक लोकसभा में कांग्रेस का कब्जा है. लेकिन इसके बाद बीजेपी को भरोसा है छिंदवाड़ा की जनता इस बार कमलनाथ का नहीं बल्कि 'कमल' का साथ देगी और यह कमलनाथ के राजनीतिक इम्तिहान की घड़ी भी होगी.

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kamal nath stronghold chhindwara
छिंदवाड़ा में दांव पर कमलनाथ की साख (ETV BHARAT)

कमलनाथ की राजनीतिक तपस्या का इम्तिहान

4 जून को छिंदवाड़ा लोकसभा चुनाव के नतीजे कमलनाथ की राजनीतिक तपस्या का इम्तिहान होंगे. क्योंकि इस चुनाव में कमलनाथ का अपनों ने भी साथ छोड़ दिया था, लेकिन कमलनाथ छिंदवाड़ा जिले की जनता के सहारे चुनावी मैदान में डटे रहे. कमलनाथ के हनुमान कहे जाने वाले पूर्व कैबिनेट मंत्री दीपक सक्सेना, अमरवाड़ा के विधायक कमलेश प्रताप शाह और जिसे वेटर से महापौर बनाया वह विक्रम अहिके चुनाव के कुछ दिन पहले कमलनाथ का साथ छोड़ कर बीजेपी में शामिल हो गए थे. हालांकि चुनाव के दिन विक्रम अहिके ने नकुलनाथ के लिए वोट देने की अपील करते हुए वीडियो जारी किया था.

कमलनाथ ने इमोशनल होकर मांगा वोट, बीजेपी के दिग्गजों ने डाला डेरा

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने बेटे नकुलनाथ के लिए वोट तो मांगे, लेकिन अपनी 44 सालों के राजनीतिक रिश्ते के साथ-साथ विकास का जनता को हवाला दिया. कमलनाथ हर एक सभा में छिंदवाड़ा के लिए अपनी अंतिम सांस तक समर्पित करने की बात करते नजर आए. यहां तक की उन्होंने कहा कि छिंदवाड़ा से उनका राजनीतिक रिश्ता नहीं बल्कि पारिवारिक रिश्ता है और यहां के परिवार का वोट लेकर वह संसद में पहुंचते हैं. वहीं, इसके उलट भारतीय जनता पार्टी ने पूरे दिग्गजों की टीम कमलनाथ और उनकी बेटे को हराने के लिए लगा दी थी. छिंदवाड़ा जिले की कमान कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के हाथों में थी. इसके साथ भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयप्रकाश नड्डा, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, खुद मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने करीब 10 से ज्यादा रोड शो और सभाएं की. इसके अलावा कई केंद्रीय मंत्री दूसरे प्रदेशों के बड़े नेता छिंदवाड़ा में लगातार मोदी की गारंटी के नाम पर वोट मांगने के लिए पहुंचे.

nakul nath Vs vivek who is winner
छिंदवाड़ा सीट जीतने भाजपा ने लगाया जोर (ETV BHARAT)

बीजेपी लिए चुनौती तो कमलनाथ के लिए भविष्य का पैमाना

44 सालों से छिंदवाड़ा में राजनीति कर रहे कमलनाथ यहां से नौ बार सांसद और दो बार विधायक रहे हैं. ईसी दौरान वे एक बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे. 2019 चुनाव में मुख्यमंत्री बनने की वजह से उन्होंने छिंदवाड़ा लोकसभा सीट से बेटे नकुलनाथ को मैदान में उतारा था. इस बार भी बाजी कमलनाथ ने मारी थी जबकि मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया सरीखे कांग्रेस के बड़े नेता भी हार गए थे. एक बार फिर कमलनाथ ने अपनी पूरी ताकत खुद के दम पर अपने बेटे को चुनाव जिताने के लिए लगाया है. अगर कमलनाथ अपनी रणनीति में सफल होते हैं तो उनके बेटे के लिए राजनीति के मायने बड़े हो जाएंगे और आगे के रास्ते काफी क्लियर दिखेंगे. वहीं भाजपा के लिए हमेशा चुनौती साबित हो रही छिंदवाड़ा लोकसभा इस बार बीजेपी जीतने में कामयाब हो जाती है तो नकुलनाथ के राजनीतिक कैरियर पर सवाल तो खड़ा ही होगा ही, वहीं बीजेपी के लिए बड़ी उपलब्धि होगी.

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मैदान में नकुल और विवेक, चुनाव कमलनाथ और मोदी के नाम पर

छिंदवाड़ा लोकसभा के लिए भले ही बीजेपी के विवेक बंटी साहू हो या कांग्रेस से नकुलनाथ हों, लेकिन चुनाव कांग्रेस ने कमलनाथ के नाम पर भाजपा ने मोदी के दम पर लड़ा. नकुलनाथ अपने पिता की 44 साल की उपलब्धियां को गिनाते नजर आए थे तो बंटी साहू मोदी की गारंटी का भरोसा दे रहे थे. हालांकि छिंदवाड़ा लोकसभा सीट की सातों विधानसभा में फिलहाल कांग्रेस के विधायक लोकसभा में कांग्रेस का कब्जा है. लेकिन इसके बाद बीजेपी को भरोसा है छिंदवाड़ा की जनता इस बार कमलनाथ का नहीं बल्कि 'कमल' का साथ देगी और यह कमलनाथ के राजनीतिक इम्तिहान की घड़ी भी होगी.

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