जबलपुर। हाईकोर्ट जस्टिस आरएम सिंह तथा जस्टिस एके सिंह की युगलपीठ ने याचिकाकर्ता की कैंसर पीड़ित पत्नी को विगत 3 साल से परेशान करने लिए राजस्व विभाग पर एक लाख का जुर्माना लगाया है. युगलपीठ ने उक्त राशि कैंसर पीड़ित महिला को मुआवजे के रूप में प्रदान करने के आदेश दिये हैं. कैंसर पीड़ित महिला राजलक्ष्मी की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान पन्ना जिले के अजयगढ़ नगर परिषद में मुख्य कार्यपालन अधिकारी के रूप में उनके पति अरुण पटेरिया पदस्थ थे.
कोरोना की दूसरी लहर में हुई थी मौत
याचिका में बताया गया कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान उन्हें रोको-टोको अधिकार का दायित्व दिया गया था. ड्यूटी के दौरान कोरोना वायरस के संक्रमित होने के कारण उनकी मृत्यु हुई थी. इसके बाद उनके बेटे को कोरोना योद्धा पुरस्कार दिया गया था. याचिका में कहा गया था कि उनके नाम की अनुशंसा मुख्यमंत्री कोरोना योद्धा योजना के तहत मुआवजे के लिए की गई थी. राजस्व विभाग के उप राहत आयुक्त द्वारा प्रस्ताव को दो बार इस आधार पर खारिज कर दिया कि यह पुरस्कार के नियमों के पैरा 3.1 के अनुरूप नहीं था.
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अन्य अधिकारियों को मिला था मुआवजा
युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि नगर निगम अधिकारी के साथ कोविड ड्यूटी पर रहे डिप्टी कलेक्टर और तहसीलदार की भी कोरोना के कारण मृत्यु हो गई थी. उन्हें विधिवत मुआवजा दिया गया था, लेकिन नगर परिषद अधिकारी के परिवार को इससे वंचित कर दिया गया. पैरा 3.1 से पता चलता है कि कोविड को कम करने के लिए जो सरकारी कर्मचारी वास्तव में सेवा में शामिल थे, वे पात्र थे. प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज के तहत पात्र सरकारी कर्मचारी इस योजना के तहत पात्र नहीं होंगे. युगलपीठ ने सुनवाई के बाद आदेश जारी करते हुए याचिकाकर्ताओं को राहत प्रदान की.