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जिसके पास भुगतान करने का कोई स्रोत नहीं, वह अपराधी नहीं- एमपी हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

MP High Court Order : मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि अगर किसी व्यक्ति के पास राशि अदा करने के लिए कोई प्रॉपर्टी या कुछ और नहीं है तो वह अपराधी नहीं है. इसके साथ ही हाई कोर्ट ने निचली अदालत का आदेश रद्द कर दिया.

MP High Court Order
एमपी हाई कोर्ट का बड़ा आदेश
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Feb 16, 2024, 2:53 PM IST

Updated : Feb 16, 2024, 3:28 PM IST

जबलपुर। हाईकोर्ट जस्टिस डीडी बसंल ने अपने आदेश में कहा है कि आर्थिक अभाव में डिक्री की राशि का भुगतान करने में असमर्थता कोई अपराध नहीं है. बता दें कि सामान्य रूप से डिक्री किसी सक्षम न्यायालय के निर्णय की औपचारिक अभिव्यक्ति को कहा जाता है. कोर्ट ने ये भी कहा कि जिसके पास भुगतान करने का कोई स्रोत नहीं, उसके खिलाफ डिक्री की राशि हवाला देते हुए जेल नहीं भेजा जा सकता. इस टिप्पणी के साथ एकलपीठ ने न्यायालय के आदेश को निरस्त कर दिया है.

कर्ज नहीं चुकाने पर जेल भेजने का आदेश दिया था

टीकमगढ निवासी याचिकाकर्ता कर्जदार की तरफ से कोर्ट द्वारा पारित आदेश को चुनौती दी गयी थी. जिसमें उसे जेल भेजने के आदेश जारी किये गये थे. याचिका में कहा गया कि उसका व्यवसाय बंद हो गया है और कर्ज चुकाने के लिए उसके पास कोई संपत्ति नहीं है. वह नौकरी कर मिलने वाले मानदेय से भुगतान की कोशिश करेगा. वहीं, प्रतिवादी का आरोप है कि डिक्री पारित होने से पहले उसने अपनी संपत्ति पत्नी और बेटे के नाम स्थानांतरित कर दी थी. याचिकाकर्ता की तरफ से बताया गया कि उसके पास कोई संपत्ति थी ही नहीं तो वह स्थानांतरित कैसे कर सकता था.

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यह क्यों नहीं देखा कि पीड़ित की स्थिति क्या है

हाई कोर्ट ने रिकॉर्ड का विश्लेषण करने के बाद पाया कि अदालत ने जांच के माध्यम से यह निर्धारित करने की जहमत नहीं उठाई कि याचिकाकर्ता के पास कोई सम्पत्ति है या उसने मुकदमा लंबित रहने के दौरान अपनी पत्नी और बेटियों के नाम पर संपत्ति ट्रांसफर की. एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा कि न्यायालय तय प्रावधानों का पालन करने में विफल रहा है. नोटिस जारी करने के बाद न्यायालय से डिक्रीधारक और उसके निष्पादन आवेदन के समर्थन में प्रस्तुत सभी सबूतों को सुनने की उम्मीद की जाती है.

जबलपुर। हाईकोर्ट जस्टिस डीडी बसंल ने अपने आदेश में कहा है कि आर्थिक अभाव में डिक्री की राशि का भुगतान करने में असमर्थता कोई अपराध नहीं है. बता दें कि सामान्य रूप से डिक्री किसी सक्षम न्यायालय के निर्णय की औपचारिक अभिव्यक्ति को कहा जाता है. कोर्ट ने ये भी कहा कि जिसके पास भुगतान करने का कोई स्रोत नहीं, उसके खिलाफ डिक्री की राशि हवाला देते हुए जेल नहीं भेजा जा सकता. इस टिप्पणी के साथ एकलपीठ ने न्यायालय के आदेश को निरस्त कर दिया है.

कर्ज नहीं चुकाने पर जेल भेजने का आदेश दिया था

टीकमगढ निवासी याचिकाकर्ता कर्जदार की तरफ से कोर्ट द्वारा पारित आदेश को चुनौती दी गयी थी. जिसमें उसे जेल भेजने के आदेश जारी किये गये थे. याचिका में कहा गया कि उसका व्यवसाय बंद हो गया है और कर्ज चुकाने के लिए उसके पास कोई संपत्ति नहीं है. वह नौकरी कर मिलने वाले मानदेय से भुगतान की कोशिश करेगा. वहीं, प्रतिवादी का आरोप है कि डिक्री पारित होने से पहले उसने अपनी संपत्ति पत्नी और बेटे के नाम स्थानांतरित कर दी थी. याचिकाकर्ता की तरफ से बताया गया कि उसके पास कोई संपत्ति थी ही नहीं तो वह स्थानांतरित कैसे कर सकता था.

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Last Updated : Feb 16, 2024, 3:28 PM IST
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