जबलपुर। कर्मचारी राजेश विजयवर्गीय की तरफ से दायर याचिका में कहा गया कि वह और अनावेदक सुरेश कुमार सोनी की नियुक्ति एक साथ साल 1990 में सब इंजीनियर के पद पर हुई थी. कार्य क्षमता व दक्षता के अनुसार वरिष्ठता सूची में सुरेश का स्थान दूसरे तथा और उसका नाम छठे स्थान पर आया. साल 1992 में दोनों को 1990 से नियमित करने के आदेश जारी किये गये थे. साल 2012 में अनावेदक को सहायक इंजीनियर के पद पर पदोन्नति प्रदान कर दी गई. वरिष्ठ होने के बावजूद भी उसे पदोन्नति से वंचित कर दिया.
उम्र के आधार पर प्रमोशन, सब इंजीनियर ने किया विरोध
याचिकाकर्ता ने पदोन्नति नहीं मिलने के बाद सूचना के अधिकार के तहत जानकारी प्राप्त की. इसमें बताया गया कि बोर्ड की 43 बैठक में निर्णय लिया गया था कि दो व्यक्ति की नियुक्ति एक साथ होती है तो उम्र के आधार पर वरिष्ठता निर्धारित की जाएगी. एकलपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि साल 1990 में दैनिक वेतन भोगियों को कार्य क्षमता के आधार पर नियमित किया गया था.
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सरकारी पदों पर प्रमोशन के मामलों में क्यों होता है विवाद
एकलपीठ ने पाया कि कार्य क्षमता व दक्षता के आधार पर याचिकाकर्ता को वरिष्ठता सूची में ऊपर रखा गया. एकलपीठ ने आदेश जारी करते हुए याचिकाकर्ता की वरिष्ठता बहाल करते हुए सभी लाभ प्रदान करने के आदेश जारी किए हैं. गौरतलब है कि सरकारी पदों पर प्रमोशन को लेकर मामले कोर्ट की दहलीज तक पहुंचते हैं. हाईकोर्ट का ये फैसला इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे अच्छा काम करने वालों को प्रोत्साहन मिलेगा.