भोपाल। इस साल मानसून ने मध्यप्रदेश के कई जिलों में तबाही मचाई है. पिछले एक सप्ताह से अधिकांश जिलों में भारी बारिश दर्ज की गई. खासकर ग्वालियर-चंबल के जिलों में फसलों को भारी नुकसान हुआ है. अब किसान मुआवजे के लिए सरकार की ओर टकटकी लगाए बैठे हैं. किसानों का कहना है कि अगर मुआवजा नहीं मिला तो अगली फसल तो बहुत दूर की बात है, खाने के लाले पड़ जाएंगे. क्योंकि फसलें पानी में डूबकर सड़ गई हैं. पूरी लागत पानी में समा गई है.
मुख्यमंत्री निवास, भोपाल स्थित समत्व भवन में आज वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश भर में अतिवृष्टि से उत्पन्न परिस्थितियों से निपटने के लिये संचालित रेस्क्यू सहित राहत एवं बचाव कार्यों की विस्तृत समीक्षा की।
— Dr Mohan Yadav (@DrMohanYadav51) September 12, 2024
सम्बन्धित विभागों को शीर्ष प्राथमिकता और पूर्ण संवेदनशीलता के… pic.twitter.com/wpPQ6WnCH5
कई जिलों में राजस्व विभाग की टीमें सर्वे में जुटी
किसानों की समस्या को देखते हुए मोहन यादव सक्रिय है. कैबिनेट में भी फसलों की तबाही के मुद्दे पर चर्चा हुई. मुख्यमंत्री ने प्रभारी मंत्रियों से इस बारे में चर्चा की. इसके बाद सभी कलेक्टर को फसलों के नुकसान का आकलन करने का निर्देश दिया. सीएम का आदेश पाते ही कलेक्टर ने राजस्व अमले को फील्ड में उतार दिया है. फसलों के नुकसान का सर्वे कई जिलों में शुरू कर दिया गया है. मुख्यमंत्री का साफ कहना है कि जल्द से जल्द सर्वे कराकर किसानों को मुआवजा देने की प्रक्रिया शुरू करें.
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आपदा में मृतकों के परिजनों को 4 लाख रुपये मिलेंगे
मुख्यमंत्री ने कलेक्टर को ये भी निर्देश दिया है कि बाढ़ के कारण जहां जन व धन हानि हुई है, उसकी भी विस्तृत रिपोर्ट तैयार करें. अगर जनहानि हुई है पीड़ित परिजन को 4 लाख रुपये राहत राशि प्रदान की जाए. बता दें कि मुख्यमंत्री ने अतिवृष्टि और बाढ़ के कारण हुए नुकसान के आकलन के लिए शुक्रवार को आपात बैठक बुलाई और राहत कार्यों को तेजी से आगे बढ़ाने के निर्देश दिए. अधिकारियों से कहा गया है कि बारिश के आसार 30 सितंबर तक हैं. इसे देखते हुए सभी अधिकारी और कर्मचारियों छुट्टी निरस्त की जाए. राहत कार्य में कोई कोताही सहन नहीं की जाएगी.