भोपाल: नेशनल हेल्थ मिशन मध्य प्रदेश में संविदा नीति 2023 को पूरी तरह से लागू किए जाने सहित 15 सूत्रीय मांगों को लेकर स्वास्थ्य अधिकारी और कर्मचारी 11 दिसंबर से हड़ताल पर जाएंगे. अपनी मांगों को लेकर स्वास्थ्य अधिकारी कर्मचारी महासंघ पिछले 11 नवंबर से लगातार चरणबद्ध आंदोलन चला रहा है. अब प्रदेश व्यापी हड़ताल को लेकर कर्मचारी संगठन 9 नवंबर को प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों में ज्ञापन सौंपेंगे. कर्मचारी संगठन के मुताबिक, हड़ताल की पूर्व से विभाग को सूचना दी जा रही है, ताकि इसका खामियाजा हॉस्पिटल पहुंचने वाले मरीजों को न उठाना पड़े.
सालों से नहीं सुनी जा रही मांगें
समस्त स्वास्थ्य अधिकारी कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष सुरेन्द्र सिंह कौरव के मुताबिक, ''महासंघ द्वारा सभी नर्सिंग संवर्ग, पैरामेडिकल, संविदा कर्मचारी, आउटसोर्स, रोगी कल्याण समिति आदि की 15 सूत्रीय मांगों को लेकर लंबे समय से शासन के समक्ष मांग रखी जा रही है, लेकिन आज तक उनकी मांगों को लेकर कोई कदम नहीं उठाया गया. जबकि इनमें से अधिकांश मांगों को पूरा करने से सरकार पर कोई आर्थिक बोझ भी नहीं आएगा.''
''मरीजों को होने वाली परेशानी को देखते हुए महासंघ की कोशिश रही है कि वे हड़ताल पर न जाएं, लेकिन सरकार द्वारा उनकी मांगों को पूरा नहीं किया जा रहा है. इसको देखते हुए अब कर्मचारी संगठन ने 11 दिसंबर से हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया है, इसकी सूचना 9 दिसंबर को सभी विभागों को दी जाएगी.
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इन मांगों को लेकर आंदोलन की राह
- संविदा नीति 2023 एनएचएम में पूर्ण रूप से लागू की जाए. जिससे संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों को उसका लाभ मिले. संविदा स्वास्थ्य संवर्ग की वेतन विसंगति दूर की जाए.
- नर्सेस पर हड़ताल अवधि में की गई कार्यवाही को निरस्त किया जाए. एएनएम/ एमपीडब्ल्यू की हड़ताल अवधि 23 दिवस का वेतन भुगतान किया जाए.
- जब तक प्रमोशन नहीं होते तब तक वरियता के आधार पर प्रभार दिया जाए.
- 70, 80, 90 और तीन वर्ष की परिवीक्षा अवधि आदेश को निरस्त किया जाए.
- सातवें वेतनमान का लाभ 2016 से दिया जाए.
- चिकित्सकों की भांति अन्य कर्मचारियों को भी रात्रिकालीन भत्ता दिया जाए.
- संचालनालय स्तर पर सहायक संचालक एफसी नर्सिंग के पद पर नर्सिंग केडर को ही वरिष्ठता के आधार पर पदस्थ किया जाए.
- स्वास्थ्य विभाग में वर्षों से कार्यरत आउट सोर्स, रोगी कल्याण समिति अंतर्गत कर्मचारियों को स्थाई करने वेतन बढ़ाने हेतु ठोस नीति बनाई जाए.
- नर्सिंग संवर्ग, फार्मासिस्ट, रेडियोग्राफर, बायोकेमिस्ट, लेबटेक्नीशियन, नेत्र सहायक, ड्रेसर, सभी वर्ग के टेक्नीशियन आदि सभी संवर्गों की वेतन विसंगति दूर की जाए और पदनाम परिवर्तन किया जाए आदि.