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शिवराज सिंह के लिए बड़ा इम्तेहान, जानिए कैसे मामा की राजनीति का टर्निंग पाइंट बन गए ये चुनाव

18 साल बाद ये पहला चुनाव है जब शिवराज सिंह चौहान बीजेपी के किसी और उम्मीदवार के लिए वोट कर रहे हैं.

SHIVRAJ SINGH CHOUHAN VOTING
शिवराज सिंह ने वोट डाला (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Nov 13, 2024, 11:50 AM IST

भोपाल: केन्द्रीय कृषि मंत्री और मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान के राजनीतिक जीवन में आज बड़े इम्तेहान का दिन है. बुधनी सीट पर अगर उनकी साख दांव पर है तो प्रभारी होने के नाते झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजे राष्ट्रीय राजनीति में उनकी नई पारी तय करेंगे. बुधनी में केवल नामांकन के लिए जाने वाले शिवराज ने इस बार बीजेपी प्रत्याशी रमाकांत भार्गव के पक्ष में धुआंधार सभाएं की हैं. उधर झारखंड में भी माटी बेटी और रोटी के सम्मान का नारा देकर मैदान में डटे रहे शिवराज. असल में मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री बतौर सफल पारी के बाद राष्ट्रीय राजनीति में शिवराज की सेफ लैंडिंग बुधनी सीट पर उपचुनाव से लेकर झारखंड चुनाव के नतीजे ही तय करेंगे.

नतीजे बताएंगे कितना असर बाकी

मध्य प्रदेश की बुधनी सीट यूं शिवराज का गढ़ कही जाती है, ये वो सीट है जहां से उनकी राजनीति 360 डिग्री पर बदल गई. इसी सीट से उपचुनाव जीतकर वे पहली बार मुख्यमंत्री बने और फिर मध्य प्रदेश में उनकी सत्ता का घोड़ा यूं दौड़ा कि फिर उन्होंने पलटकर नहीं देखा. 18 साल बाद ये पहला चुनाव है जब शिवराज बीजेपी के किसी और उम्मीदवार के लिए वोट कर रहे हैं. वो मैदान में नहीं हैं लेकिन असल में ये शिवराज का ही चुनाव है. वजह ये है कि बुदनी को लेकर पार्टी ने उन्हें फ्री हैंड दिया हुआ था. पार्टी की चुनाव समिति की बैठक के बाद भी रमाकांत भार्गव के नाम पर मुहर शिवराज की मर्जी से ही लगी. फिर ये पहला चुनाव था कि जब बुधनी में शिवराज को विरोध के स्वर सुनने पड़े.

बुधनी उपचुनाव में वोट डालते हुए शिवराज सिंह चौहान (ETV Bharat)

राजेन्द्र सिंह ने खुलकर खोला मोर्चा

कभी शिवराज के बेहद करीबी माने जाने वाले राजेन्द्र सिंह ने खुलकर उनके खिलाफ मोर्चा खोला. बाद में सुलह समझाइश हुई भी लेकिन राजनीति में दरारों का भरना इतना आसान नहीं. वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश भटनागर कहते हैं कि "ये सही है कि शिवराज के बुधनी से विधायक रहते जिस तरह की एक तरफा हवा होती रही है वो माहौल तो बदलेगा. लेकिन जो बीजेपी की गुटबाजी चुनाव के शुरुआत में दिखाई दी उसे काफी हद तक वक्त रहते ही संभाल लिया गया. शिवराज विरोधियों को संभालना भी जानते हैं . पिछले 18 साल में उनके विरोधियों की तादाद कम नहीं थी लेकिन धीरे धीरे सारे किनारे हो गए. लिहाजा गुटबाजी बुधनी में बहुत बड़ा मुद्दा बन पाए इसकी संभावना कम है. प्रत्याशी बतौर रमाकांत भार्गव क्या शिवराज का विकल्प बन पाएंगे चुनाव इस बात पर है."

चुनाव नतीजे तय करेंगे शिवराज का कद

मध्य प्रदेश में बीजेपी का विकल्प बन जाने के बाद शिवराज की जब एमपी से रवानगी हुई थी तो वे केन्द्र में कृषि मंत्री के तौर पर नई भूमिका में आए. विभागवार सरकार में उनकी परफार्मेंस रिपोर्ट के आंकलन के लिए अभी समय है. लेकिन पार्टी में राष्ट्रीय राजनीति के मैदान में उनकी मजबूत ओपनिंग झारखंड में बीजेपी के परफार्मेंस पर निर्भर करेगी. 43 सीटों पर पहले फेज में हो रहे मतदान के साथ कुल 81 सीटों पर पार्टी का प्रदर्शन क्या रहता है.

इस प्रदेश में पार्टी के प्रभारी शिवराज सिंह चौहान की सियासी मजबूती उसी से तय होगी. झारखंड में मतदान के बीच केन्द्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपील की है और कहा है कि ये झारखंड में माटी बेटी और रोटी के सम्मान के साथ विकसित समृद्द और आत्मनिर्भर झारखंड के निर्माण का चुनाव है. और यूं देखिए तो ये शिवराज की राष्ट्रीय राजनीति का टर्निंग पाइंट भी है, यहीं से शिवराज की नई पारी की धार तय होगी.

भोपाल: केन्द्रीय कृषि मंत्री और मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान के राजनीतिक जीवन में आज बड़े इम्तेहान का दिन है. बुधनी सीट पर अगर उनकी साख दांव पर है तो प्रभारी होने के नाते झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजे राष्ट्रीय राजनीति में उनकी नई पारी तय करेंगे. बुधनी में केवल नामांकन के लिए जाने वाले शिवराज ने इस बार बीजेपी प्रत्याशी रमाकांत भार्गव के पक्ष में धुआंधार सभाएं की हैं. उधर झारखंड में भी माटी बेटी और रोटी के सम्मान का नारा देकर मैदान में डटे रहे शिवराज. असल में मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री बतौर सफल पारी के बाद राष्ट्रीय राजनीति में शिवराज की सेफ लैंडिंग बुधनी सीट पर उपचुनाव से लेकर झारखंड चुनाव के नतीजे ही तय करेंगे.

नतीजे बताएंगे कितना असर बाकी

मध्य प्रदेश की बुधनी सीट यूं शिवराज का गढ़ कही जाती है, ये वो सीट है जहां से उनकी राजनीति 360 डिग्री पर बदल गई. इसी सीट से उपचुनाव जीतकर वे पहली बार मुख्यमंत्री बने और फिर मध्य प्रदेश में उनकी सत्ता का घोड़ा यूं दौड़ा कि फिर उन्होंने पलटकर नहीं देखा. 18 साल बाद ये पहला चुनाव है जब शिवराज बीजेपी के किसी और उम्मीदवार के लिए वोट कर रहे हैं. वो मैदान में नहीं हैं लेकिन असल में ये शिवराज का ही चुनाव है. वजह ये है कि बुदनी को लेकर पार्टी ने उन्हें फ्री हैंड दिया हुआ था. पार्टी की चुनाव समिति की बैठक के बाद भी रमाकांत भार्गव के नाम पर मुहर शिवराज की मर्जी से ही लगी. फिर ये पहला चुनाव था कि जब बुधनी में शिवराज को विरोध के स्वर सुनने पड़े.

बुधनी उपचुनाव में वोट डालते हुए शिवराज सिंह चौहान (ETV Bharat)

राजेन्द्र सिंह ने खुलकर खोला मोर्चा

कभी शिवराज के बेहद करीबी माने जाने वाले राजेन्द्र सिंह ने खुलकर उनके खिलाफ मोर्चा खोला. बाद में सुलह समझाइश हुई भी लेकिन राजनीति में दरारों का भरना इतना आसान नहीं. वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश भटनागर कहते हैं कि "ये सही है कि शिवराज के बुधनी से विधायक रहते जिस तरह की एक तरफा हवा होती रही है वो माहौल तो बदलेगा. लेकिन जो बीजेपी की गुटबाजी चुनाव के शुरुआत में दिखाई दी उसे काफी हद तक वक्त रहते ही संभाल लिया गया. शिवराज विरोधियों को संभालना भी जानते हैं . पिछले 18 साल में उनके विरोधियों की तादाद कम नहीं थी लेकिन धीरे धीरे सारे किनारे हो गए. लिहाजा गुटबाजी बुधनी में बहुत बड़ा मुद्दा बन पाए इसकी संभावना कम है. प्रत्याशी बतौर रमाकांत भार्गव क्या शिवराज का विकल्प बन पाएंगे चुनाव इस बात पर है."

चुनाव नतीजे तय करेंगे शिवराज का कद

मध्य प्रदेश में बीजेपी का विकल्प बन जाने के बाद शिवराज की जब एमपी से रवानगी हुई थी तो वे केन्द्र में कृषि मंत्री के तौर पर नई भूमिका में आए. विभागवार सरकार में उनकी परफार्मेंस रिपोर्ट के आंकलन के लिए अभी समय है. लेकिन पार्टी में राष्ट्रीय राजनीति के मैदान में उनकी मजबूत ओपनिंग झारखंड में बीजेपी के परफार्मेंस पर निर्भर करेगी. 43 सीटों पर पहले फेज में हो रहे मतदान के साथ कुल 81 सीटों पर पार्टी का प्रदर्शन क्या रहता है.

इस प्रदेश में पार्टी के प्रभारी शिवराज सिंह चौहान की सियासी मजबूती उसी से तय होगी. झारखंड में मतदान के बीच केन्द्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपील की है और कहा है कि ये झारखंड में माटी बेटी और रोटी के सम्मान के साथ विकसित समृद्द और आत्मनिर्भर झारखंड के निर्माण का चुनाव है. और यूं देखिए तो ये शिवराज की राष्ट्रीय राजनीति का टर्निंग पाइंट भी है, यहीं से शिवराज की नई पारी की धार तय होगी.

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