भिंड। एक ओर परीक्षा का प्रेशर तो दूसरी ओर कड़कड़ाती ठंड, इस मौसम में परीक्षा देने वाले छात्रों को गर्म कपड़े पहनकर परीक्षा हॉल में प्रवेश पर निषेध. ये हालत बने हैं मप्र माध्यमिक शिक्षा मंडल भोपाल द्वारा प्रदेश में आयोजित हाई स्कूल और हायर सेकेंड्री बोर्ड परीक्षाओं के लिए जारी किए गए तुगलकी फरमान के चलते. छात्र कड़कड़ाती ठंड में परीक्षा देने को मजबूर हो रहे हैं. असल में रविवार सुबह से ही चंबल अंचल में रुक-रुक कर बारिश का दौर जारी है जिसकी वजह से मौसम में बदलाव आ गया और कल से ही मौसम का पारा गिरा हुआ है.
परीक्षा केंद्र के बाहर ही उतरवाए गर्म कपड़े
भिंड के मेहगांव कस्बे में बने शासकीय कन्या शाला परीक्षा केंद्र पर सोमवार सुबह जब बच्चे 10वीं का पहला पेपर देने पहुंचे तो केंद्र के बाहर ही उनके स्वेटर जैकेट और अन्य सभी गर्म कपड़े उतरवा लिये गये. जब बच्चों ने ठंड का हवाला भी दिया तो इन्हें नियमों का पाठ पढ़ा कर शांत कर दिया गया.
परीक्षा कक्ष में कंपकपाते रहे छात्र
मेहगांव कन्या शाला केंद्र पर 10वीं बोर्ड परीक्षा का पहला हिन्दी का पेपर देने पहुची छात्रा वंदना शर्मा ने बताया कि, सुबह से ही तेज ठंड है. जब वे यहां आये तो केंद्र के बाहर ही उनके गर्म कपड़े उतरवा लिये गये. उन्होंने ड्यूटी पर मौजूद शिक्षक से कहा भी कि तेज सर्दी है अंदर ठंड लगेगी. तो इन्होंने माना करते हुए परीक्षा देने अंदर भेज दिया. जिसकी वजह से अंदर थिचुरन भारी सर्दी के बीच ही पेपर देना पड़ा. साथ ही अगले पेपर से गर्म कपड़े पहन का आने से भी मना कर दिया गया. वहीं, एक अन्य छात्र रमन जैन ने भी ठीक इसी तरह की बात रखी.
अपर कलेक्टर ने दी केंद्राध्यक्ष को नसीहत
इन हालातों के बीच भिंड जिले के अपर कलेक्टर राजकुमार खत्री भी निरीक्षण पर पहुंचे तो बच्चों की हालत देख उन्होंने परीक्षा केंद्र के सीएस को ऐसा ना करने की नसीहत भी दी. हालांकि अपर कलेक्टर कुछ देर में ही मौके से रवाना हो गये. जब इस संबंध में मीडिया ने परीक्षा केंद्राध्याक्ष से बात की तो उनका कहना था कि "'माशिमं द्वारा परीक्षा केंद्रों के लिए नियम तय किए गए हैं. जिनमें इस बार परीक्षार्थियों को सिर्फ उतने ही कपड़े पहनकर आने की इजाजत दी गई है. जिनसे शारीरिक सुरक्षा हो सके.'' वहीं, एडीएम के निर्देशों को उन्होंने व्यावहारिक नसीहत बताया.
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बच्चों के बीमार होने का खतरा
एक ओर सरकार और शिक्षा विभाग बच्चों को तनाव रहित परीक्षाएं देने की बात करते हैं. वहीं, इस हाड़ कपाती ठंड में भी बच्चों को बिना गर्म कपड़ों के परीक्षा के लिए तीन घंटे बैठना पड़ रहा है. ऐसे में बच्चे अब परीक्षा पर फोकस करें या ठंड से बचने पर. स्थिति अगर आगे भी यही रही तो इस बार चंबल में बच्चों की परीक्षा के नतीजे प्रभावित होने की संभावना तो रहेगी ही साथ ही इन परीक्षार्थियों के बीमार होने का भी खतरा बना रहेगा.