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संकट में ग्रामीण क्षेत्र की गर्भवती महिलाएं, आशा कार्यकर्ताओं की वेतन की लड़ाई सड़कों पर - MADHYA PRADESH ASHA WORKERS PROTEST

मध्य प्रदेश की आशा कार्यकर्ताओं ने भोपाल स्थित नेशनल हेल्थ मिशन ऑफिस के सामने धरना दिया. उन्होंने सरकार के सामने अपनी 10 सूत्रीय मांगें रखी.

ASHA WORKERS PUT 10 POINT DEMANDS
आशा कार्यकर्ताओं ने रखी अपनी 10 सूत्रीय मांग (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 3 hours ago

भोपाल: आशा, अपने नाम के मुताबिक मध्य प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में महिला स्वास्थ्य की रीढ़ भी है और गर्भवतियों के लिए उनके जीवन के सबसे अहम समय में उम्मीद भी. लेकिन सरकार की वादाखिलाफी से नाराज यही आशा कार्यकर्ता अब सरकार से आर पार की लड़ाई के मूड में आ चुकी हैं. प्रदेश भर से सोमवार को आशा कार्यकर्ता भोपाल में जुटीं.

इनकी मांग है कि आशा कार्यर्ताओं और पर्यवेक्षक को कर्मचारी की तरह नियमित किया जाए और जब तक ये प्रक्रिया होती है उन्हें न्यूनतम 26 हजार वेतन दिया जाए. आशा कार्यकर्ताओं का आरोप है कि सरकार ने उनसे छलावा किया है वादे के मुताबिक भी सात हजार रुपए नहीं दिए जा रहे उनकी डिमांड है कि वार्षिक वेतन वृद्धि जो एक हजार रुपए है उसका जुलाई से भुगतान किया जाए. मध्य प्रदेश में 84 हजार से ज्यादा आशा कार्यकर्ता हैं.

आशा कार्यकर्ताओं ने एनएचएम ऑफिस के सामने किया प्रदर्शन (ETV Bharat)

काम हजार सौंपे लेकिन आशा के हजार रुपए का भुगतान नहीं

भोपाल में प्रदेश के अलग अलग हिस्सों से आईं आशा कार्यकर्ता एक दिन के अवकाश का आवेदन देकर हड़ताल पर आई हैं. जैसा सोनकच्छ से आई सावित्री बताती हैं, "आशा कार्यकर्ता का काम का कोई तय नहीं है. दिन रात काम करना है जब डिलेवरी आ जाए तब भागना है लेकिन पगार उतनी नहीं है हम लोगों की."

दया बाई बताती हैं कि "मुश्किल ये हो गई है कि अब उन्हें आयुष्मान कार्ड बनाने की भी जिम्मेदारी दे दी है. मोबाइल दिया नहीं डाटा है नहीं. कई आशा कार्यकर्ता इतनी पढ़ी नहीं हैं लेकिन आयुष्मान कार्ड बनाना है. काम बढ़ाते जा रहे हैं लेकिन पगार नहीं बढ़ ही". भागीरथी कहती हैं "2021 में बोला था कि एक हजार रुपए वेतन बढ़ाएंगे आंगानवाड़ी कार्यकर्ताओं का, बढ़ा दिया लेकिन आशा कार्यकर्ताओं को छोड़ दिया.

सुषमा बताती हैं कि एक आशा कार्यकर्ता पर ग्रामीण इलाके में स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ी कितनी जवाबदारी सौंपी गई हैं. वे सिलसिलेवार गिनाती हैं "डिलेवरी केस ले जाना, टीकाकरण करवाना, आयुषमान कार्ड बनवाना. गर्भवती महिलाओं की सभी जांच करवाना, अगर गर्भवती महिला का ऑपरेशन का केस है तो ऑपरेशन करवाना, बच्चे की जांच करवाना, उसका वजन करवाना सारे काम आशा कार्यकर्ता के ही जिम्मे हैं."

कार्यकर्ताओं ने अपनी मांगों को रखा

मध्य प्रदेश में कुल 84 हजार से ज्यादा आशा कार्यकर्ता हैं. आंदोलन करने आईं कार्यकर्ताओं ने अपनी 10 सूत्रीय मांगों को रखा:

  • आशा व पर्यवेक्षकों को कर्मचारी के रूप में नियमित किया जाए.
  • जब नियमितीकरण हो तब आशा कार्यकर्ता को 26 हजार न्यूनतम वेतन दिया जाए.
  • आशा और पर्यवेक्षक के लिए पर्याप्त बजट का प्रावधान हो.
  • सभी बकाया राशियों का तुरंत भुगतान किया जाए.
  • आशा कार्यकर्ताओं को पूरे वर्ष में कम से कम 20 आकस्मिक अवकाश दिया जाए.
  • आशा कार्यकर्ताओं के लिए मेडिकल लीव का नियम बनाया जाए.
  • आशा कार्यकर्ता को भी सेवानिवृत्ति पर पेंशन का प्रावधान हो.
  • आयुष्मान कार्ड न बनाने पर सेवा से पृथक की गई आशा कार्यकर्ताओं का सेवा समाप्ति आदेश वापस हो.
  • आयुष्मान कार्ड बनवाने का अलग से भुगतान हो.

'हम भी तो आपकी लाड़ली हैं सरकार'

मध्य प्रदेश आशा संघ की प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मी कौरव कहती हैं "मोहन सरकार को लाड़लियों की बहुत चिंता है, उनके लिए बजट में प्रावधान किया जाता है. हमें भी सरकार लाड़ली बहना ही समझे. हम तो पूरे प्रदेश की गर्भवती महिलाओं की चिंता भी करते हैं, ख्याल भी रखते हैं. कम से कम हमसे तो सरकार छलावा न करे. जो हमारे अधिकार हैं वो हमें मिलना ही चाहिए." कौरव ने आगे कहा "अभी तो हमने एक दिन का प्रदर्शन धरना किया है. आगे मांग नहीं मानी गई तो आंदोलन की अगली रणनीति तय की जाएगी."

भोपाल: आशा, अपने नाम के मुताबिक मध्य प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में महिला स्वास्थ्य की रीढ़ भी है और गर्भवतियों के लिए उनके जीवन के सबसे अहम समय में उम्मीद भी. लेकिन सरकार की वादाखिलाफी से नाराज यही आशा कार्यकर्ता अब सरकार से आर पार की लड़ाई के मूड में आ चुकी हैं. प्रदेश भर से सोमवार को आशा कार्यकर्ता भोपाल में जुटीं.

इनकी मांग है कि आशा कार्यर्ताओं और पर्यवेक्षक को कर्मचारी की तरह नियमित किया जाए और जब तक ये प्रक्रिया होती है उन्हें न्यूनतम 26 हजार वेतन दिया जाए. आशा कार्यकर्ताओं का आरोप है कि सरकार ने उनसे छलावा किया है वादे के मुताबिक भी सात हजार रुपए नहीं दिए जा रहे उनकी डिमांड है कि वार्षिक वेतन वृद्धि जो एक हजार रुपए है उसका जुलाई से भुगतान किया जाए. मध्य प्रदेश में 84 हजार से ज्यादा आशा कार्यकर्ता हैं.

आशा कार्यकर्ताओं ने एनएचएम ऑफिस के सामने किया प्रदर्शन (ETV Bharat)

काम हजार सौंपे लेकिन आशा के हजार रुपए का भुगतान नहीं

भोपाल में प्रदेश के अलग अलग हिस्सों से आईं आशा कार्यकर्ता एक दिन के अवकाश का आवेदन देकर हड़ताल पर आई हैं. जैसा सोनकच्छ से आई सावित्री बताती हैं, "आशा कार्यकर्ता का काम का कोई तय नहीं है. दिन रात काम करना है जब डिलेवरी आ जाए तब भागना है लेकिन पगार उतनी नहीं है हम लोगों की."

दया बाई बताती हैं कि "मुश्किल ये हो गई है कि अब उन्हें आयुष्मान कार्ड बनाने की भी जिम्मेदारी दे दी है. मोबाइल दिया नहीं डाटा है नहीं. कई आशा कार्यकर्ता इतनी पढ़ी नहीं हैं लेकिन आयुष्मान कार्ड बनाना है. काम बढ़ाते जा रहे हैं लेकिन पगार नहीं बढ़ ही". भागीरथी कहती हैं "2021 में बोला था कि एक हजार रुपए वेतन बढ़ाएंगे आंगानवाड़ी कार्यकर्ताओं का, बढ़ा दिया लेकिन आशा कार्यकर्ताओं को छोड़ दिया.

सुषमा बताती हैं कि एक आशा कार्यकर्ता पर ग्रामीण इलाके में स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ी कितनी जवाबदारी सौंपी गई हैं. वे सिलसिलेवार गिनाती हैं "डिलेवरी केस ले जाना, टीकाकरण करवाना, आयुषमान कार्ड बनवाना. गर्भवती महिलाओं की सभी जांच करवाना, अगर गर्भवती महिला का ऑपरेशन का केस है तो ऑपरेशन करवाना, बच्चे की जांच करवाना, उसका वजन करवाना सारे काम आशा कार्यकर्ता के ही जिम्मे हैं."

कार्यकर्ताओं ने अपनी मांगों को रखा

मध्य प्रदेश में कुल 84 हजार से ज्यादा आशा कार्यकर्ता हैं. आंदोलन करने आईं कार्यकर्ताओं ने अपनी 10 सूत्रीय मांगों को रखा:

  • आशा व पर्यवेक्षकों को कर्मचारी के रूप में नियमित किया जाए.
  • जब नियमितीकरण हो तब आशा कार्यकर्ता को 26 हजार न्यूनतम वेतन दिया जाए.
  • आशा और पर्यवेक्षक के लिए पर्याप्त बजट का प्रावधान हो.
  • सभी बकाया राशियों का तुरंत भुगतान किया जाए.
  • आशा कार्यकर्ताओं को पूरे वर्ष में कम से कम 20 आकस्मिक अवकाश दिया जाए.
  • आशा कार्यकर्ताओं के लिए मेडिकल लीव का नियम बनाया जाए.
  • आशा कार्यकर्ता को भी सेवानिवृत्ति पर पेंशन का प्रावधान हो.
  • आयुष्मान कार्ड न बनाने पर सेवा से पृथक की गई आशा कार्यकर्ताओं का सेवा समाप्ति आदेश वापस हो.
  • आयुष्मान कार्ड बनवाने का अलग से भुगतान हो.

'हम भी तो आपकी लाड़ली हैं सरकार'

मध्य प्रदेश आशा संघ की प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मी कौरव कहती हैं "मोहन सरकार को लाड़लियों की बहुत चिंता है, उनके लिए बजट में प्रावधान किया जाता है. हमें भी सरकार लाड़ली बहना ही समझे. हम तो पूरे प्रदेश की गर्भवती महिलाओं की चिंता भी करते हैं, ख्याल भी रखते हैं. कम से कम हमसे तो सरकार छलावा न करे. जो हमारे अधिकार हैं वो हमें मिलना ही चाहिए." कौरव ने आगे कहा "अभी तो हमने एक दिन का प्रदर्शन धरना किया है. आगे मांग नहीं मानी गई तो आंदोलन की अगली रणनीति तय की जाएगी."

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