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जॉर्ज कुरियन ही क्यों, मध्यप्रदेश के पहले क्रिश्चियन राज्यसभा मेंबर बनने की इनसाइड स्टोरी - George Kurian Inside Story

मध्यप्रदेश से बीजेपी ने राज्यसभा के लिए चौंकाने वाला नाम दिया. केरल में पार्टी के वरिष्ठ नेता जॉर्ज कुरियन राज्यसभा सदस्य चुने जाएंगे. मध्यप्रदेश से पहली बार कोई ईसाई सांसद बनेगा. जॉर्ज कुरियन मोदी सरकार में इकलौते ईसाई मंत्री है. जॉर्ज कुरियन के जरिए बीजेपी का क्या सियासी गणित है, बीजेपी क्या संदेश देना चाहती है. इसको लेकर राजनीति के गलियारों में विश्लेषण का दौर जारी है.

george kurien file nomination
मध्यप्रदेश से जॉर्ज कुरियन ही क्यों, क्या है बीजेपी का सियासी गणित (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Aug 21, 2024, 1:12 PM IST

Updated : Aug 21, 2024, 1:37 PM IST

भोपाल। ज्योतिरादित्य सिंधिया के लोकसभा चुनाव जीतने के बाद खाली हुई राज्यसभा सीट के लिए मध्य प्रदेश से कई दावेदार दम भर रहे थे. लग भी रहा था कि इन दावेदारों में एक नाम तय हो जाएगा. लेकिन बीजेपी ने हमेशा की भांति चौंकाते हुए एक ऐसा नाम फाइनल किया, जिसे सुनकर हर कोई चौंक गया. बीजेपी ने लंबी कवायद के बाद केरल के पार्टी के वरिष्ठ नेता और मोदी सरकार में मंत्री जॉर्ज कुरियन को मध्यप्रदेश से राज्यसभा प्रत्याशी बनाया है. मध्यप्रदेश विधानसभा में बीजेपी की विधायकों की संख्या को देखते हुए उनका चुना जाना तय है.

मध्यप्रदेश से पहली बार ईसाई सांसद बनेगा

केरल में बीजेपी के लिए कई सालों से समर्पित भाव से काम कर रहे जॉर्ज कुरियन ईसाई हैं. इस प्रकार मध्य प्रदेश से पहली बार कोई ईसाई सांसद बनने जा रहा है. बता दें कि 4 माह पहले बीजेपी ने तमिलनाडु के एल मुरुगन को भी मध्यप्रदेश के कोटे से राज्यसभा भेजा था. अब 4 माह बाद मध्यप्रदेश से एक और दक्षिण भारतीय नेता जॉर्ज कुरियन राज्यसभा में जाएंगे. कुरियन का कार्यकाल 4 साल न होकर 2026 तक ही रहेगा. क्योंकि सिंधिया अगर लोकसभा चुनाव नहीं लड़ते तो उनका दो साल का कार्यकाल बचा था.

बीजेपी अपनी छवि बदलने की कोशिश में

बीजेपी को विशुद्ध रूप से हिंदुओं की पार्टी माना जाता है. बीजेपी हर चुनाव में हिंदू और हिंदुत्व के मुद्दे पर काफी आक्रामक रहती है. लेकिन बीच-बीच में बीजेपी का थिंक टैंक राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छवि सुधारने के लिए इस प्रकार के फैसले लेती है, जिससे ये साबित किया जा सके कि बीजेपी हर धर्म को एक नजर से देखती है. बीजेपी अपने अल्पसंख्यक मोर्चा के जरिए इस बात को प्रचारित भी करती है. कुछ मुस्लम के अलावा सिख समुदाय को भी पार्टी व सरकार में प्रतिनिधित्व भी देती है. मुख्तार अब्बास नकवी, सैयद शाहनवाज़ हुसैन जैसे कुछ मुस्लिम नेताओं को बीजेपी ने काफी तवज्जो भी दी.

हार्डकोर हिंदुत्व को नरम करने की रणनीति

बीजेपी के विस्तार में हार्डकोर हिंदुत्व का मुद्दा बहुत अहम रहा है. आमतौर पर माना जाता है कि मुस्लिम समाज बीजेपी के विरोध में रहता है. लेकिन बीच-बीच में कुछ ऐसी घटनाएं और बीजेपी नेताओं के ऐसा बयान भी आते रहे, जिससे ईसाई समाज को ये लगने लगा कि बीजेपी उसके धर्म को टारगेट करती है. बीजेपी शासित राज्यों में कई मिशनरी स्कूलों पर की गई कार्रवाई इस आशंका को बलवती भी करती है. इसीलिए अब कुछ सालों से बीजेपी अपनी इमेज चेंज करने के प्रयास में रहती है. केरल में आरएसएस और बीजेपी कार्यकर्ताओं के साथ हिंसा के मामलों को लेकर भी बीजेपी काफी आक्रामक रही है. केरल में इसी आक्रामकता के कारण ही बीजेपी घुसपैठ करने में कामयाब रही है.

क्या संदेश देना चाहती है बीजेपी

मध्यप्रदेश से खाली हुई राज्यसभा सीट पर केरल के बीजेपी नेता जॉर्ज कुरियन को देने के पीछे बीजेपी की सोची-समझी रणनीति है. पहला तो ये कि बीजेपी ईसाई समुदाय को ये भरोसा दिलाना चाहती है कि वह ईसाई विरोधी पार्टी नहीं है. इसके साथ ही केरल के बीजेपी नेताओं व कार्यकर्ताओं को भी ये संदेश देना चाहती है कि पार्टी के लिए समर्पित भाव से काम करने वालों को पर्याप्त सम्मान व बड़ा पद दिया जाएगा. जॉज कुरियन के एमपी से राज्यसभा सदस्य बनने को लेकर सियासत में गहरी पकड़ रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार केडी शर्मा कहते हैं "बीजेपी कोई भी फैसला अन्य दलों की तुलना में बहुत सोच-समझकर करती है. जॉर्ज कुरियन के बहाने बीजेपी ने केरल में अपनी जड़ें मजबूत करने की ओर एक और कदम बढ़ाया है. दरअसल, बीजेपी दक्षिण भारत में अपनी जड़े नहीं जमा पा रही है. इसीलिए तमिलनाडु के एल मुरुगन को भी मध्यप्रदेश के कोटे से राज्यसभा भेजा गया था. इसके साथ ही जॉर्ज कुरियन के नाम से बीजेपी ईसाई समाज को भी बड़ा संदेश देना चाहती है."

बीजेपी को केरल में दिख रही आशा की किरण

बीजेपी को मूलरूप से उत्तर भारत की ही पार्टी माना जाता है. दक्षिण भारत में लगातार प्रयास करने के बाद भी बीजेपी को न के बराबर सफलता मिली है. हालांकि लोकसभा चुनाव 2024 में पीएम मोदी ने तमिलनाडु और केरल पर काफी फोकस किया. इन दोनों राज्यों में बीजेपी का वोट परसेंटेज तो बढ़ा लेकिन सफलता नहीं. वहीं, केरल से बीजेपी उम्मीदवार और मलयाली एक्टर सुरेश गोपी द्वारा लोकसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत दर्ज करने से बीजेपी को केरल में आशा की किरण नजर आ रही है. इस बारे में वरिष्ठ पत्रकार योगी योगीराज कहते हैं "बीजेपी व आरएसएस केरल में कई सालों से संघर्ष कर रही है. केरल में बीजेपी नेताओं के साथ हिंसक घटनाएं हुईं. वहां संघ का पूरा कैडर काम कर रहा है. वहीं, पहली बार केरल की एक लोकसभा सीट जीतने से बीजेपी को लगता है यहां सालों का संघर्ष रंग दिखा सकता है. इसीलिए केरल के वरिष्ठ नेता जॉर्ज कुरियन को केंद्र में मंत्री बनाया और अब मध्यप्रदेश के कोटे से राज्य सभा भेजा जा रहा है."

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कौन हैं राज्यसभा सदस्य बनने वाले जॉर्ज कुरियन

गौरतलब है कि जॉर्ज कुरियन केरल में बीजेपी के काफी वरिष्ठ नेता हैं. केवल 19 साल की उम्र में वह बीजेपी में शामिल हो गए थे. कुरियन को मोदी सरकार में मंत्री बनाया गया है मोदी सरकार में वह इकलौते ईसाई मंत्री हैं. वह मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी और अल्पसंख्यक मामलों के राज्यमंत्री हैं. इससे पहले कुरियन ने बीजेपी संगठन में कई अहम पदों की जिम्मेदारी बखूबी निभाई है. कुरियन के सांसद बनने के बाद केंद्र सरकार में मध्य प्रदेश की हिस्सेदारी और बढ़ जाएगी. बता दें कि अभी मोदी सरकार में मध्यप्रदेश से कुल 6 सांसद मंत्री पद पर हैं. अब ये संख्या 7 हो जाएगी. मध्य प्रदेश से कुल 11 राज्यसभा सांसद चुने जाते हैं.

भोपाल। ज्योतिरादित्य सिंधिया के लोकसभा चुनाव जीतने के बाद खाली हुई राज्यसभा सीट के लिए मध्य प्रदेश से कई दावेदार दम भर रहे थे. लग भी रहा था कि इन दावेदारों में एक नाम तय हो जाएगा. लेकिन बीजेपी ने हमेशा की भांति चौंकाते हुए एक ऐसा नाम फाइनल किया, जिसे सुनकर हर कोई चौंक गया. बीजेपी ने लंबी कवायद के बाद केरल के पार्टी के वरिष्ठ नेता और मोदी सरकार में मंत्री जॉर्ज कुरियन को मध्यप्रदेश से राज्यसभा प्रत्याशी बनाया है. मध्यप्रदेश विधानसभा में बीजेपी की विधायकों की संख्या को देखते हुए उनका चुना जाना तय है.

मध्यप्रदेश से पहली बार ईसाई सांसद बनेगा

केरल में बीजेपी के लिए कई सालों से समर्पित भाव से काम कर रहे जॉर्ज कुरियन ईसाई हैं. इस प्रकार मध्य प्रदेश से पहली बार कोई ईसाई सांसद बनने जा रहा है. बता दें कि 4 माह पहले बीजेपी ने तमिलनाडु के एल मुरुगन को भी मध्यप्रदेश के कोटे से राज्यसभा भेजा था. अब 4 माह बाद मध्यप्रदेश से एक और दक्षिण भारतीय नेता जॉर्ज कुरियन राज्यसभा में जाएंगे. कुरियन का कार्यकाल 4 साल न होकर 2026 तक ही रहेगा. क्योंकि सिंधिया अगर लोकसभा चुनाव नहीं लड़ते तो उनका दो साल का कार्यकाल बचा था.

बीजेपी अपनी छवि बदलने की कोशिश में

बीजेपी को विशुद्ध रूप से हिंदुओं की पार्टी माना जाता है. बीजेपी हर चुनाव में हिंदू और हिंदुत्व के मुद्दे पर काफी आक्रामक रहती है. लेकिन बीच-बीच में बीजेपी का थिंक टैंक राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छवि सुधारने के लिए इस प्रकार के फैसले लेती है, जिससे ये साबित किया जा सके कि बीजेपी हर धर्म को एक नजर से देखती है. बीजेपी अपने अल्पसंख्यक मोर्चा के जरिए इस बात को प्रचारित भी करती है. कुछ मुस्लम के अलावा सिख समुदाय को भी पार्टी व सरकार में प्रतिनिधित्व भी देती है. मुख्तार अब्बास नकवी, सैयद शाहनवाज़ हुसैन जैसे कुछ मुस्लिम नेताओं को बीजेपी ने काफी तवज्जो भी दी.

हार्डकोर हिंदुत्व को नरम करने की रणनीति

बीजेपी के विस्तार में हार्डकोर हिंदुत्व का मुद्दा बहुत अहम रहा है. आमतौर पर माना जाता है कि मुस्लिम समाज बीजेपी के विरोध में रहता है. लेकिन बीच-बीच में कुछ ऐसी घटनाएं और बीजेपी नेताओं के ऐसा बयान भी आते रहे, जिससे ईसाई समाज को ये लगने लगा कि बीजेपी उसके धर्म को टारगेट करती है. बीजेपी शासित राज्यों में कई मिशनरी स्कूलों पर की गई कार्रवाई इस आशंका को बलवती भी करती है. इसीलिए अब कुछ सालों से बीजेपी अपनी इमेज चेंज करने के प्रयास में रहती है. केरल में आरएसएस और बीजेपी कार्यकर्ताओं के साथ हिंसा के मामलों को लेकर भी बीजेपी काफी आक्रामक रही है. केरल में इसी आक्रामकता के कारण ही बीजेपी घुसपैठ करने में कामयाब रही है.

क्या संदेश देना चाहती है बीजेपी

मध्यप्रदेश से खाली हुई राज्यसभा सीट पर केरल के बीजेपी नेता जॉर्ज कुरियन को देने के पीछे बीजेपी की सोची-समझी रणनीति है. पहला तो ये कि बीजेपी ईसाई समुदाय को ये भरोसा दिलाना चाहती है कि वह ईसाई विरोधी पार्टी नहीं है. इसके साथ ही केरल के बीजेपी नेताओं व कार्यकर्ताओं को भी ये संदेश देना चाहती है कि पार्टी के लिए समर्पित भाव से काम करने वालों को पर्याप्त सम्मान व बड़ा पद दिया जाएगा. जॉज कुरियन के एमपी से राज्यसभा सदस्य बनने को लेकर सियासत में गहरी पकड़ रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार केडी शर्मा कहते हैं "बीजेपी कोई भी फैसला अन्य दलों की तुलना में बहुत सोच-समझकर करती है. जॉर्ज कुरियन के बहाने बीजेपी ने केरल में अपनी जड़ें मजबूत करने की ओर एक और कदम बढ़ाया है. दरअसल, बीजेपी दक्षिण भारत में अपनी जड़े नहीं जमा पा रही है. इसीलिए तमिलनाडु के एल मुरुगन को भी मध्यप्रदेश के कोटे से राज्यसभा भेजा गया था. इसके साथ ही जॉर्ज कुरियन के नाम से बीजेपी ईसाई समाज को भी बड़ा संदेश देना चाहती है."

बीजेपी को केरल में दिख रही आशा की किरण

बीजेपी को मूलरूप से उत्तर भारत की ही पार्टी माना जाता है. दक्षिण भारत में लगातार प्रयास करने के बाद भी बीजेपी को न के बराबर सफलता मिली है. हालांकि लोकसभा चुनाव 2024 में पीएम मोदी ने तमिलनाडु और केरल पर काफी फोकस किया. इन दोनों राज्यों में बीजेपी का वोट परसेंटेज तो बढ़ा लेकिन सफलता नहीं. वहीं, केरल से बीजेपी उम्मीदवार और मलयाली एक्टर सुरेश गोपी द्वारा लोकसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत दर्ज करने से बीजेपी को केरल में आशा की किरण नजर आ रही है. इस बारे में वरिष्ठ पत्रकार योगी योगीराज कहते हैं "बीजेपी व आरएसएस केरल में कई सालों से संघर्ष कर रही है. केरल में बीजेपी नेताओं के साथ हिंसक घटनाएं हुईं. वहां संघ का पूरा कैडर काम कर रहा है. वहीं, पहली बार केरल की एक लोकसभा सीट जीतने से बीजेपी को लगता है यहां सालों का संघर्ष रंग दिखा सकता है. इसीलिए केरल के वरिष्ठ नेता जॉर्ज कुरियन को केंद्र में मंत्री बनाया और अब मध्यप्रदेश के कोटे से राज्य सभा भेजा जा रहा है."

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Last Updated : Aug 21, 2024, 1:37 PM IST
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