रांचीः अपनी मांगों के समर्थन में लंबे समय से आंदोलनरत राज्य के पंचायत सचिवालय स्वयंसेवक ने सरकार को अल्टीमेटम दिया है. उन्होंने 2 मार्च तक हर हाल में मांग पूरी करने को कहा है. झारखंड विधानसभा के बजट सत्र के दौरान 27 फरवरी से एक बार फिर आंदोलन कर रहे पंचायत सचिवालय स्वयंसेवक गुरुवार को भी बड़ी संख्या में विधानसभा पहुंचे.
इस दौरान न केवल अपनी पांच सूत्री मांगों को पूरा करने के लिए सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश की बल्कि 2 मार्च के बाद आंदोलन तेज करने का निर्णय लिया. पंचायत सचिवालय स्वयंसेवक के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रदीप कुमार ने कहा कि अब तक सरकार के द्वारा सिर्फ और सिर्फ आश्वासन दिया जाता रहा है. ऐसे में राज्य के पंचायत सचिवालय स्वयंसेवक ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. अगर सरकार उनकी मांगों को पूरा नहीं करती है तो उग्र आंदोलन के जरिए सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश की जाएगी. इसका खामियाजा 2024 के चुनाव के दौरान सत्तारुढ़ दल को भुगतना पड़ेगा.
5 सूत्री मांग को लेकर आंदोलनरत पंचायत सचिवालय स्वयंसेवकः
सेवा स्थायीकरण सहित पांच सूत्री मांगों को लेकर पंचायत सचिवालय स्वयंसेवक लगातार कई महीनों से आंदोलन कर रहे हैं. इनकी प्रमुख मांगों में सेवा स्थायीकरण के साथ-साथ पदनाम बदलना शामिल है. रघुवर सरकार के समय राज्य में केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं को जमीन पर उतारने में सहयोग करने के लिए हर पंचायत में दो-दो पंचायत सचिवालय स्वयंसेवक की नियुक्ति मानदेय आधारित किया गया था. इन पंचायत सचिवालय स्वयंसेवक को काम के आधार पर भत्ता के रुप में मानदेय का भुगतान किया जाता था. 2019 के चुनाव के बाद राज्य में सरकार बदलने के बाद इन पंचायत सचिवालय स्वयं सेवकों को कार्य मुक्त किया गया. जिसके बाद से ये चरणबद्ध तरीके से आंदोलन करते रहे हैं.
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