जोधपुर. मारवाड़ की मोचड़ी (जूती) अपनी कशीदाकारी के चलते प्रसिद्ध है. शहर में जूती बनाने का काम करने वाले एक मां-बेटे की जोड़ी ने कशीदाकारी की बेजोड़ कला के सहारे 8.5 फीट की जूती बना दी है. इस जूती पर 68 वर्षीय चंद्रा देवी ने मधुबनी कला आधारित कशीदाकारी की है. करीब तीन माह के समय में तैयार हुई जूती को वर्ल्ड रिकॉर्ड बुक में शामिल करवाने के लिए अप्लाय करेंगे.
ऑर्डर देकर जूतियां बनवाते हैं : चंद्रा देवी के बेटे मोहनलाल ने बताया कि यह हमारा पुश्तैनी काम है और बरसों से करते आ रहे हैं. कुछ अलग करने का सोचा तो साढ़े 8 फीट की जूती बनाने का ख्याल आया. यही सोचकर हमने इसका काम शुरू किया था. करीब 3 महीने से ज्यादा का समय इसमें लगा और डेढ़ लाख रुपए का खर्चा आया. उन्होंने बताया कि जब उनकी मां छोटी थी तब से जूतियां बनाने के साथ-साथ उसपर कशीदाकारी का काम कर रहीं हैं. उनकी कशीदाकारी इतनी साफ सुथरी होती है कि लोग ऑर्डर देकर जूतियां बनवाते हैं.
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राष्ट्रपति से भी सम्मानित हो चुकी हैं : उन्होंने बताया कि इसके अलावा उनके हाथ की बारीकी को देखते हुए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी (निफ्ट) और फुटवियर डिजाइन एंड डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट (एफडीडीआई) जैसे संस्थान उन्हें अपने बच्चों को कारीगरी सीखाने के लिए बुलाते हैं. चंद्रा देवी ने बताया कि वह कई कॉलेज में पढ़ाने जाती हैं. जोधपुर निफ्ट की लड़कियां हमारे यहां आकर कशीदाकारी सिखती हैं. वह मलेशिया में भी भारत का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं. खास बात यह है कि दोनों मां-बेटे क्राफ्ट कला के राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजे जा चुके हैं. चंद्रा देवी राष्ट्रपति से भी सम्मानित हो चुकी हैं.
पहले दो फीट, फिर 6 और अब साढ़े आठ फीट की जूती : मोहनलाल ने बताया कि हमारा प्रयास होता है कि कुछ ऐसा किया जाए, जिससे लोग हमारे काम के प्रति आकर्षित हों. यह जूती बनाने से पहले दो फीट, चार फीट और 6 फीट की जूती भी बना चुके हैं. जब कोई क्राफ्ट मेले लगते हैं तो इस तरह के बने हुए सामान दुकान पर लगाते हैं, जो आकर्षण का विषय बनते हैं. लोग हमारी स्टॉल पर आते हैं. दिल्ली में मिस वर्ल्ड पेजेंट के सेमीफाइनल राउंड में एक सेगमेंट ऐसा था, जिसमें सभी मॉडल ने अपने ट्रेडिशनल ड्रेस के साथ जोधपुरी जूतियां पहनी थी. वो भी हमने ही बनाकर भेजी थी.