नई दिल्ली: भारत की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था की जीवन रेखा दक्षिण-पश्चिम मानसून ने रविवार को देश के सबसे दक्षिणी क्षेत्र निकोबार द्वीप समूह में दस्तक दे दी. यह जानकारी भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने दी. मौसम विभाग ने कहा, 'दक्षिण-पश्चिम मानसून रविवार को मालदीव के कुछ हिस्सों, कोमोरिन क्षेत्र और बंगाल की खाड़ी के दक्षिणी हिस्सों, निकोबार द्वीप समूह और दक्षिणी अंडमान सागर में आगे बढ़ गया है.
वार्षिक वर्षा की यह गतिविधि 31 मई तक केरल पहुंचने की उम्मीद है. आईएमडी के आंकड़ों के अनुसार पिछले 150 वर्षों में केरल में मानसून के आगमन की तिथि में व्यापक बदलाव हुए हैं. सबसे पहले 1918 में 11 मई को तथा सबसे विलंबित तिथि 1972 में 18 जून को हुई थी. बारिश लाने वाली यह प्रणाली पिछले साल 8 जून को, 2022 में 29 मई को, 2021 में 3 जून को और 2020 में एक जून को दक्षिणी राज्य में पहुंची थी.
पिछले महीने मौसम विभाग ने भारत में मानसून के मौसम में सामान्य से अधिक बारिश का अनुमान लगाया था, साथ ही अनुकूल ला नीना स्थितियां, भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर के ठंडा होने की संभावना, अगस्त-सितंबर तक शुरू होने की उम्मीद है. ला नीना स्थितियां भारत में अच्छे मानसून के मौसम में मदद करती है. देश का बड़ा हिस्सा भीषण गर्मी से जूझ रहा है.
उन जगहों पर अधिकतम तापमान 48 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है, जिससे कई राज्यों में रिकॉर्ड टूट गए हैं. स्वास्थ्य और आजीविका पर गंभीर असर पड़ा है. अप्रैल में दक्षिणी भारत में भीषण गर्मी का प्रकोप देखने को मिला. भीषण गर्मी के कारण बिजली ग्रिड पर दबाव बढ़ रहा है और जलस्रोत सूख रहे हैं. इससे देश के कई हिस्सों में सूखे जैसे हालात बन रहे हैं.
इसलिए, सामान्य से अधिक मानसूनी बारिश का पूर्वानुमान तेजी से विकास कर रहे दक्षिण एशियाई देश के लिए बड़ी राहत की बात है. भारत के कृषि परिदृश्य के लिए मानसून अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि कुल कृषि योग्य भूमि का 52 प्रतिशत हिस्सा इस पर निर्भर है. यह देश भर में बिजली उत्पादन के अलावा पेयजल के लिए महत्वपूर्ण जलाशयों को पुनः भरने के लिए भी महत्वपूर्ण है. जून और जुलाई को कृषि के लिए सबसे महत्वपूर्ण मानसून महीने माना जाता है क्योंकि खरीफ फसल की अधिकांश बुवाई इसी अवधि के दौरान होती है.