लखनऊ: यूनिफाइड पेंशन स्कीम को ओपीएस और एनपीएस से बेहतर बताने के साथ साथ केंद्र सरकार अपने कर्मचारियों को इसकी खूबियां गिना रही है. लेकिन केंद्र सरकार के अधिकांश विभागों के कर्मचारी इससे असहमत नजर आ रहे हैं. जबकी रेल कर्मचारी अपने यूनियन नेताओं के कहने से सरकार की एकीकृत पेंशन योजना से कुछ हद तक सहमत नजर आ रहे हैं.
कर्मचारी नेताओं का कहना है कि, सरकार ने ओल्ड पेंशन स्कीम हटाकर गलत किया था. न्यू पेंशन स्कीम लाकर और भी गलत किया, लेकिन जब विरोध हुआ तो सरकार को झुकना पड़ा. यूनिफाइड पेंशन स्कीम सरकार ले आई, लेकिन अब खिड़की खुल गई है तो दरवाजा भी खुलेगा. लिहाजा, कर्मचारी नेता यूनिफाइड पेंशन स्कीम का भी विरोध करेंगे और अपनी ओल्ड पेंशन स्कीम की मांग को लेकर मुखर रहेंगे. ऐसे में यह माना जा सकता है कि लाखों की संख्या में कर्मचारी अभी सरकार के फैसले से संतुष्ट नहीं हैं. ओल्ड पेंशन स्कीम से कम उन्हें कुछ मंजूर नहीं है.
दरअसल केंद्र सरकार ने जनवरी 2004 और उत्तर प्रदेश सरकार ने 1 अप्रैल 2005 को पुरानी पेंशन योजना बंद कर नई पेंशन स्कीम लागू की थी. एनपीएस निवेश आधारित पेंशन स्कीम है जिसमें कर्मचारियों और सरकार दोनों का योगदान होता है. इसमें पेंशन की रकम उन फंड्स की परफॉर्मेंस पर निर्भर करती है जिसमें निवेश होता है. इस तरह इसमें निश्चित पेंशन नहीं होती. इसका बड़ा नुकसान हुआ कि, रिटायर होने के बाद कई कर्मचारियों को मात्र 1000 तक ही पेंशन मिल पाई. इसके बाद कर्मचारियों ने सड़क पर उतर कर सालों तक संघर्ष किया.
छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब, हिमांचल प्रदेश और राजस्थान ने पुरानी पेंशन बहाल कर दी, लेकिन केंद्र सरकार नई पेंशन स्कीम पर ही अड़ी रही. कर्मचारी अपनी मांग से डिगे नहीं. आखिरकार सरकार ने लचीला रुख अपनाते हुए ओपीएस और एनपीएस के बीच यूपीएस लेकर आई, जिसे एक अप्रैल 2025 से लागू किया जाएगा.
हालांकि सरकार के यूनिफाइड पेंशन स्कीम को लेकर कर्मचारी नेताओं की अलग-अलग राय है. कुछ संगठनों के नेता यूपीएस से काफी हद तक सहमति जता रहे हैं, लेकिन कई संगठनों के नेता पुरानी पेंशन स्कीम की मांग जारी रखने की बात कह रहे हैं. कर्मचारी संगठनों का कहना है कि पेंशन संशोधन के लिए एक समिति गठित की गई थी. इस समिति के सुझाव भी सामने आने चाहिए. कर्मचारियों को इसे जानने का पूरा अधिकार है.
ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के महामंत्री शिव गोपाल मिश्रा का कहना है कि, सरकार की यूनिफाइड पेंशन स्कीम से हम संतुष्ट हैं. यह भी ओल्ड पेंशन स्कीम की तरह ही है. इसमें अगर कोई खामी नजर आएगी तो उसमें बदलाव करवाए जाएंगे. उनका कहना है कि ओल्ड पेंशन स्कीम में भी निर्धारित उम्र का मुद्दा था. पहले 35 साल था जिसे अब घटाकर 20 साल कर दिया गया है. ऐसे बदलाव यूनिफाइड पेंशन स्कीम में भी संभव होंगे तो कुल मिलाकर यूनिफाइड पेंशन स्कीम कर्मचारी के हित में है.
उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष सतीश कुमार पांडेय का कहना है कि, हमारा संघर्ष नई पेंशन स्कीम से लेकर यूनिफाइड पेंशन स्कीम तक आ गया है. अब हम ओल्ड पेंशन स्कीम के काफी नजदीक हैं. सरकार को 10 फीसद कटौती किसी भी कीमत पर बंद करनी होगी. हालांकि उन्होंने यह माना कि यूनिफाइड पेंशन स्कीम और ओल्ड पेंशन स्कीम में काफी समानताएं हैं, लेकिन हमें ओल्ड पेंशन स्कीम से इतर कुछ भी मंजूर नहीं होगा.
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष इंजीनियर हरकिशोर तिवारी का कहना है कि, केंद्र सरकार ने जो ये कदम उठाया है यह हमारे लिए उस मायने में सही कहा जा सकता है कि हम संघर्ष करके आगे बढ़े हैं. नई पेंशन स्कीम पर अडिग केंद्र सरकार को यूनिफाइड पेंशन स्कीम पर ले आए हैं. अब हमारे रास्ते पुरानी पेंशन योजना बहाली के लिए खुले हैं. तिवारी का कहना है कि अभी खिड़की खुली है, हमें पूरी उम्मीद है दरवाजा भी खुलेगा. पुरानी पेंशन ही हमें चाहिए.