मुरैना। बारिश के मौसम में फसल की बुवाई की जाती है और इसके लिए डीएपी यानि की यूरिया खाद की जरूरत होती है. खाद को लेकर किसानों की एक तस्वीर मुरैना जिले से सामने आ रही है. जो काफी चौंकाने वाली है. जिला प्रशासन किसानों को समय पर खाद नहीं दिलवा पा रहा है. जिससे ग्रामीणों में आक्रोश है. मुरैना जिले में खाद का संकट इस बार भी बना हुआ है. जब मुरैना के सांसद केंद्र सरकार के कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तौमर थे, तब भी जिले में खाद का संकट था, अब जिले के विधायक ऐंदल सिंह कंषाना प्रदेश सरकार के कृषि मंत्री हैं, तब भी किसानाें को मांग के मुताबिक खाद नहीं मिल पा रहा है.
खाद के लिए लगी लंबी-लंबी लाइन
जिला मुख्यालय पर कृषि उपज मंडी स्थित खाद वितरण केंद्र के अलावा विपणन संघ के गोदाम पर ग्रामीण महिला-पुरुषों की लंबी-लंबी लाइन देखने मिली. यहां पर किसान बारिश धूप में कई-कई घंटे लाइन में खड़े होकर बिना खाद के ही वापस लौट जाते हैं. यह मसला तीन-तीन दिन तक चलता रहता है. इन दोनों जगहों पर हालत यह है, कि सुबह पांच बजे से किसानों की लाइन लगना शुरू हो जाती है. सुबह 10 बजे गोदाम खुलते हैं. पहले किसानों को टोकन के लिए दो से तीन घंटे लाइन में लगना पड़ता है, फिर खाद लेने के लिए कतार में चार से पांच-पांच घंटे तक जूझना पड़ रहा है.
बाजार में मिल रहा दोगुने दाम पर खाद
एक किसान को आधार कार्ड दिखाने पर पांच बोरा यूरिया मिल रहा है. ऐसे में किसान खाद के लिए घर की महिला, बुजुर्गों को भी लाइन में खड़ा कर रहे हैं. जिससे खेती के लिए भरपूर खाद मिल सके. मुरैना जिला मुख्यालय जैसे हालात जौरा और कैलारस में भी दिख रहे हैं. जौरा व कैलारस में भी खाद के लिए सुबह पांच बजे से ही किसानों की कतारें लग जाती हैं. कई किसान दो से तीन-तीन दिन की जद्दोजहद के पास खाद ले पा रहे हैं. ग्रामीणों कहना है कि वह तीन दिन से रोज आ रहे हैं और खाली हाथ लौट जा रहे हैं, लेकिन उन्हें खाद नहीं मिल रहा है. बाजार में निजी दुकानों पर खाद महंगा दिया जा रहा है. उन्होंने बताया कि सरकारी रेट 270 है, जबकि बाजार में यही 350 से ₹400 में दिया जा रहा है.
डीएपी खाद का संकट, आगे और बढ़ेगा
जिले में खरीफ सीजन में बाजरा की खेती होती है. इसलिए इस समय सबसे अधिक मांग यूरिया खाद की है, लेकिन जो किसान बाजरा के अलावा धान, सोयाबीन, उड़द, मूंग या अन्य फसलें करते हैं, उन्हें डीएपी खाद की आवश्यता रहती है. इस साल मुरैना जिले में डीएपी खाद का संकट रहेगा, क्योंकि जिले को मांग अनुसार डीएपी नहीं मिल रहा है. कृषि विभाग के आंकड़े बता रहे हैं, कि खरीफ सीजन के लिए 24000 मीट्रिक टन डीएपी खाद की जरूरत है. यही मांग शासन को भेजी है, लेकिन 24000 की मांग के विपरीत अभी तक केवल 4370 मीट्रिक टन डीएपी खाद ही मिला है. जिला प्रशासन के अनुसार डीएपी की कमी है, इसीलिए उसकी जगह एनपीके खाद दिया जा रहा है. एनपीके खाद की मांग 2500 मीट्रिक टन थी और डीएपी की कमी के कारण अब तक 3355 मीट्रिक टन एनपीके खाद मुरैना को मिल चुका है, जो मांग से कहीं अधिक है.
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क्या बोला प्रशासन
खाद कि किल्ल्त को लेकर कलेक्टर अंकित अस्थाना का कहना है की 'जिले में डीएपी एवं यूरिया पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है. केवल डीएपी की उपलब्धता में थोड़ी दिक्कत आ रही है, जिसके लिए डीएपी 013 उपलब्ध है. दोनों समान मात्रा में दिया जा रहा है और मुख्यालय सहित तहसीलों में निजी दुकानों पर भी निगरानी की जा रही है, ताकि किसानों को सही दाम पर खाद मिल सके. निजी दकानदार अधिक रेट में बेच रहा है और कोई शिकायत करता है, तो तत्काल कार्रवाई की जाएगी.