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मोरेल बांध 5 साल बाद फिर उफान पर, दौसा और सवाई माधोपुर के 83 गांवों को मिलेगा फायदा - Morel dam in Dausa

दौसा में भारी बारिश का दौर जारी है. ऐसे में जिले के लालसोट में स्थित मोरेल बांध 5 साल बाद फिर से लबालब भर गया है. बांध पर पानी की चादर चल रही है. इससे आसपास के गांवों में जलभराव की स्थिति बनी हुई है.

मोरेल बांध में पानी
मोरेल बांध में पानी (ETV Bharat Dausa)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Aug 14, 2024, 4:17 PM IST

मोरेल बांध 5 साल बाद फिर उफान पर (ETV Bharat Dausa)

दौसा: जिले के लालसोट उपखण्ड की सीमा में बना मोरेल बांध एक बार फिर से 5 साल बाद लबालब भर गया है, जिससे क्षेत्रवासियों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. वहीं, बांध पर पिछले कई दिनों से 6 इंच चादर चल रही है, जिससे आसपास के क्षेत्रों में जलभराव की स्थिति बनी हुई है.

लालसोट एसडीएम नरेंद्र मीना ने बताया कि मोरेल डैम का ऐड स्टोरेज 8 फिट का है, लेकिन जयपुर क्षेत्र में जुलाई-अगस्त में भारी बारिश के बाद वहां के पानी की आवक मोरेल डैम में बनी हुई है. इससे बांध का जलस्तर 31 फिट पहुंच गया है. वहीं, 6 इंच का वेस्ट वेयर बांध में चालू है. ऐसे में अनहोनी की आशंका को देखते हुए हमने स्थानीय प्रशासन और पुलिस को अलर्ट मोड में रखा हुआ है, जिससे किसी प्रकार की जनहानि नहीं हो. एसडीएम नरेंद्र मीना ने आमजन से अपील करते हुए कहा कि जहां भी बहता हुआ पानी है, उसमें एंट्री न करें. वहीं, सेल्फी लेने के लिए किसी ऐसे पॉइंट को न चुनें, जहां से फिसलने का या गिरने का खतरा हो.

पढ़ें. हाड़ौती में औसत से अधिक बारिश, 31 डैम फुल, 24 में भरा 50 फीसदी से ज्यादा पानी

बांध के पास वाहनों की आवाजाही रोकी : एसडीएम ने बताया कि बांध पर जिस जगह चादर चल रही है, वहां बैरिकेडिंग की हुई है. ऐसे में किसी को भी वहां अंदर जाने से रोका जा रहा है. बांध पर आने वाले लोग पार्किंग में अपने वाहनों को खड़ा करें. दरअसल, मोरेल बांध में दो नहर हैं, मुख्य नहर एवं पूर्वी नहर. मुख्य नहर एवं माइनर नहरों की लम्बाई 105.45 किलोमीटर है. इसमें मुख्य नहर की लम्बाई 28.60 किलोमीटर है. मुख्य नहर में 19 माइनर नहरें हैं, जिनकी लम्बाई 76.85 किलोमीटर है. इसकी कुल सिंचित क्षेत्र (सीसीए) 12 हजार 964 हेक्टेयर भूमि है, इससे बौंली व मलारना डूंगर के 55 गांवों को पानी मिलता है. इसी प्रकार पूर्वी नहर जो कि 6 फीट की ऊंचाई पर बनी हुई है, पूर्वी मुख्य नहर एवं माइनर की लम्बाई 53.32 किलोमीटर है. इसमें मुख्य नहर की लम्बाई 31.79 है. इसमें 10 माइनर नहरें हैं. जिनकी लम्बाई 21.53 किलोमीटर है. इस नहर का सिंचित क्षेत्र 6 हजार 705 हेक्टेयर भूमि है. इससे 28 गांवों को पानी मिलता है.

फैक्ट फाइल
फैक्ट फाइल (ETV Bharat GFX)

पढ़ें. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान को 3 साल बाद मिला 'अमृत', अब पांचना बांध का 300 MCFT पानी मिलने की उम्मीद - Keoladeo National Park

डैम का सर्वाधिक पानी सवाई माधोपुर को मिलता है : मोरेल डैम का पानी दौसा जिले के लालसोट के मात्र 13 गांव में जाता है, जबकि सवाई माधोपुर के बामनवास तहसील के 15 गांव में जाता है. पूर्वी नहर का नियंत्रण जल संसाधन विभाग के दौसा अधिशासी अभियंता के पास है, जबकि मुख्य नहर का नियंत्रण सवाई माधोपुर अधिशासी अभियंता के पास है. जिले का मोरेल बांध 1952 में बनाया गया था. यह दौसा जिले के लालसोट के गांव कांकरिया के पास मोरेल नदी पर स्थित है. यह लालसोट कस्बे से 17 किलोमीटर दूर दौसा-सवाई माधोपुर सड़क मार्ग पर है. मोरेल नदी बनास नदी की सहायक नदी है. मोरेल नदी मलारना डूंगर रेलवे स्टेशन के समीप बनास नदी में मिलती है. बांध की लम्बाई 5 हजार 364 मीटर है. कुल भराव 30 फीट है. बांध की भराव क्षमता 2707 एमसी फीट है. इसमें 2496 एमसीफीट लाइव और 211 एमसी फीट डेड स्टोरेज है.

सवाई माधोपुर के 70 गांवों को मिलेगा फायदा : इस बांध का पेटा तो दौसा जिले में है, लेकिन इसके पानी से सवाई माधोपुर के 70 गांवों को फायदा होता है, जबकि दौसा के मात्र 13 गांवों को ही पानी मिलता है. इसका पानी सिंचाई के लिए ही खोला जाता है. यह एशिया के सभी देशों के कच्चे बांधों में से सबसे बड़ा बांध है. बता दें कि एक बार फिर से मोरेल बांध लबालब हो गया. अभी भी मोरेल बांध पर 6 इंच की चादर चल रही है. इस बांध में 2019 में चादर चली थी. 2014 में इसमें 26 फीट से अधिक पानी भर गया था, जबकि 1984 में यह बांध बाढ़ में टूट गया था. उस दौरान कई गांवों में पानी घुस गया था. ऐसे में इस बार फिर से बांध पूरा भरने से आसपास के गांवों में दहशत का माहौल है.

मोरेल बांध 5 साल बाद फिर उफान पर (ETV Bharat Dausa)

दौसा: जिले के लालसोट उपखण्ड की सीमा में बना मोरेल बांध एक बार फिर से 5 साल बाद लबालब भर गया है, जिससे क्षेत्रवासियों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. वहीं, बांध पर पिछले कई दिनों से 6 इंच चादर चल रही है, जिससे आसपास के क्षेत्रों में जलभराव की स्थिति बनी हुई है.

लालसोट एसडीएम नरेंद्र मीना ने बताया कि मोरेल डैम का ऐड स्टोरेज 8 फिट का है, लेकिन जयपुर क्षेत्र में जुलाई-अगस्त में भारी बारिश के बाद वहां के पानी की आवक मोरेल डैम में बनी हुई है. इससे बांध का जलस्तर 31 फिट पहुंच गया है. वहीं, 6 इंच का वेस्ट वेयर बांध में चालू है. ऐसे में अनहोनी की आशंका को देखते हुए हमने स्थानीय प्रशासन और पुलिस को अलर्ट मोड में रखा हुआ है, जिससे किसी प्रकार की जनहानि नहीं हो. एसडीएम नरेंद्र मीना ने आमजन से अपील करते हुए कहा कि जहां भी बहता हुआ पानी है, उसमें एंट्री न करें. वहीं, सेल्फी लेने के लिए किसी ऐसे पॉइंट को न चुनें, जहां से फिसलने का या गिरने का खतरा हो.

पढ़ें. हाड़ौती में औसत से अधिक बारिश, 31 डैम फुल, 24 में भरा 50 फीसदी से ज्यादा पानी

बांध के पास वाहनों की आवाजाही रोकी : एसडीएम ने बताया कि बांध पर जिस जगह चादर चल रही है, वहां बैरिकेडिंग की हुई है. ऐसे में किसी को भी वहां अंदर जाने से रोका जा रहा है. बांध पर आने वाले लोग पार्किंग में अपने वाहनों को खड़ा करें. दरअसल, मोरेल बांध में दो नहर हैं, मुख्य नहर एवं पूर्वी नहर. मुख्य नहर एवं माइनर नहरों की लम्बाई 105.45 किलोमीटर है. इसमें मुख्य नहर की लम्बाई 28.60 किलोमीटर है. मुख्य नहर में 19 माइनर नहरें हैं, जिनकी लम्बाई 76.85 किलोमीटर है. इसकी कुल सिंचित क्षेत्र (सीसीए) 12 हजार 964 हेक्टेयर भूमि है, इससे बौंली व मलारना डूंगर के 55 गांवों को पानी मिलता है. इसी प्रकार पूर्वी नहर जो कि 6 फीट की ऊंचाई पर बनी हुई है, पूर्वी मुख्य नहर एवं माइनर की लम्बाई 53.32 किलोमीटर है. इसमें मुख्य नहर की लम्बाई 31.79 है. इसमें 10 माइनर नहरें हैं. जिनकी लम्बाई 21.53 किलोमीटर है. इस नहर का सिंचित क्षेत्र 6 हजार 705 हेक्टेयर भूमि है. इससे 28 गांवों को पानी मिलता है.

फैक्ट फाइल
फैक्ट फाइल (ETV Bharat GFX)

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डैम का सर्वाधिक पानी सवाई माधोपुर को मिलता है : मोरेल डैम का पानी दौसा जिले के लालसोट के मात्र 13 गांव में जाता है, जबकि सवाई माधोपुर के बामनवास तहसील के 15 गांव में जाता है. पूर्वी नहर का नियंत्रण जल संसाधन विभाग के दौसा अधिशासी अभियंता के पास है, जबकि मुख्य नहर का नियंत्रण सवाई माधोपुर अधिशासी अभियंता के पास है. जिले का मोरेल बांध 1952 में बनाया गया था. यह दौसा जिले के लालसोट के गांव कांकरिया के पास मोरेल नदी पर स्थित है. यह लालसोट कस्बे से 17 किलोमीटर दूर दौसा-सवाई माधोपुर सड़क मार्ग पर है. मोरेल नदी बनास नदी की सहायक नदी है. मोरेल नदी मलारना डूंगर रेलवे स्टेशन के समीप बनास नदी में मिलती है. बांध की लम्बाई 5 हजार 364 मीटर है. कुल भराव 30 फीट है. बांध की भराव क्षमता 2707 एमसी फीट है. इसमें 2496 एमसीफीट लाइव और 211 एमसी फीट डेड स्टोरेज है.

सवाई माधोपुर के 70 गांवों को मिलेगा फायदा : इस बांध का पेटा तो दौसा जिले में है, लेकिन इसके पानी से सवाई माधोपुर के 70 गांवों को फायदा होता है, जबकि दौसा के मात्र 13 गांवों को ही पानी मिलता है. इसका पानी सिंचाई के लिए ही खोला जाता है. यह एशिया के सभी देशों के कच्चे बांधों में से सबसे बड़ा बांध है. बता दें कि एक बार फिर से मोरेल बांध लबालब हो गया. अभी भी मोरेल बांध पर 6 इंच की चादर चल रही है. इस बांध में 2019 में चादर चली थी. 2014 में इसमें 26 फीट से अधिक पानी भर गया था, जबकि 1984 में यह बांध बाढ़ में टूट गया था. उस दौरान कई गांवों में पानी घुस गया था. ऐसे में इस बार फिर से बांध पूरा भरने से आसपास के गांवों में दहशत का माहौल है.

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