रायपुर : छत्तीसगढ़ में लगातार बढ़ रहे सड़क हादसों ने रोड पर चलने वालों के माथे पर शिकन ला दी है.ऐसा कोई भी दिन नहीं होता जिस दिन सड़क हादसों की खबर सामने ना आए. सड़क हादसों को लेकर प्रशासन लोगों को जागरुक तो करता है लेकिन इसका कोई खास असर नहीं दिखता. इसलिए रायपुर ट्रैफिक विभाग ने लोगों को जागरुक करने के लिए अनोखा तरीका निकाला.यातायात विभाग ने ट्रैफिक रूल्स के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए आने वाले कल का सहारा लिया. शहर के चौक चौराहों में कॉलेज के छात्र छात्राएं खड़े होकर ट्रैफिक व्यवस्था संभाल रहा है. इन बच्चों को जो भी देख रहा है वो बार जरुर सोच रहा है कि क्या वो बच्चों के सामने ट्रैफिक रुल फॉलो करके उनके साथ खड़ा है या फिर रूल तोड़कर बच्चों का भी मान नहीं रख रहा.
सड़क सुरक्षा माह का आयोजन : रायपुर में सड़क सुरक्षा माह 2025 का आयोजन किया जा रहा है, जिसके लिए यातायात विभाग के लोगों को ट्रैफिक रूल्स की जानकारी देने के साथ ही उन्हें जागरूक भी किया जा रहा है. हर साल ट्रैफिक रूल्स को लेकर आम जनता को जागरूक किया जाता है. इस बार ट्रैफिक पुलिस के द्वारा कॉलेज में पढ़ने वाले NSS 90 बच्चों को ट्रैफिक वार्डन के रूप में राजधानी के चौक चौराहों पर तैनात किया गया है. जो लोगों को ट्रैफिक रूल्स के प्रति जागरूक करने के साथ ही उन्हें ट्रैफिक नियमों की जानकारी भी दे रहे हैं. ट्रैफिक डिपार्टमेंट का कहना है कि कॉलेज के बच्चे हैं.उनकी पढ़ाई प्रभावित ना हो इसे देखते हुए ट्रैफिक वार्डन की ड्यूटी ट्रैफिक संचालन के लिए शाम को 5 से 6 बजे तक के लिए लगाई गई.
यातायात सुरक्षा के प्रति कर रहे अवेयर : ट्रैफिक वार्डन श्रुति सिंह ठाकुर ने बताया कि सड़क सुरक्षा माह का आयोजन किया जा रहा है. जिसके तहत हमें यातायात से संबंधित ट्रेनिंग दी गई है. ट्रैफिक को कैसे कंट्रोल किया जाए लोगों को कैसे ट्रैफिक के प्रति अवेयर किया जाए. ट्रैफिक नियम और संकेत के बारे में लोगों को क्या बताना जरूरी है. रोड क्रॉस कर रहे लोगों को सहायता करनी भी इस ट्रेनिंग का पार्ट है. सड़क हादसे लगातार बढ़ रहे हैं, ऐसे में आम जनता ट्रैफिक रूल्स को फॉलो करते हैं तो काफी हद तक सड़क हादसों में कमी लाई जा सकती हैं.
ट्रैफिक नियमों की दी गई जानकारी : ट्रैफिक वार्डन अर्पिता मांडवीया ने बताया कि ट्रैफिक डिपार्टमेंट ने हमें यातायात संबंधी नियमों की जानकारी दी गई है. जिसमें सिग्नल क्या होते हैं. जेब्रा क्रॉसिंग क्या होता है. कौन से सिग्नल में ट्रैफिक शुरू होगा और कौन से सिग्नल पर ट्रैफिक रुकेगा. इसके साथ ही लोगों को हेलमेट पहनने के लिए कैसे अवेयर किया जाए. 15 दिनों के लिए हमारी ड्यूटी चौक चौराहों पर लगाई गई है और जो इसमें इंटरेस्टेड रहेंगे उन्हें आगे भी ट्रैफिक वार्डन की जिम्मेदारी मिल सकती है.
कुछ लोग ट्रैफिक रूल्स को पूरी तरह से फॉलो करते हैं और कुछ ऐसे लोग भी हैं जो ट्रैफिक रूल्स को बिल्कुल भी नहीं मानते और नियमों का उल्लंघन करते हैं. ट्रैफिक वार्डन आम पब्लिक से हेलमेट लगाने की अपील करते हैं तो उन्हें आम जनता कई तरह के बहाने भी बता रही है. उनका मानना है कि ज्यादातर सड़क हादसे शहर के अंदर ही होते हैं. ऐसे में आम जनता को भी चाहिए कि वह ट्रैफिक नियमों का ईमानदारी से पालन करें- विद्या सेन, ट्रैफिक वार्डन
आम जनता जितने भी ट्रैफिक रूल्स हैं उनको पूरी तरह से फॉलो नहीं करते हैं. चाहे वह हेलमेट का इस्तेमाल हो फिर जेबरा क्रॉसिंग की बात हो या फिर ग्रीन या रेड सिग्नल का मामला हो. चार पहिया वाहन चालक सीट बेल्ट का भी इस्तेमाल कभी-कभार हीं करते हैं. सीट बेल्ट लगाने के साथ ही हेलमेट लगाने के लिए आम लोगों से कहा जाता है तो उनके कई तरह के बहाने बताए जाते हैं- नीतू पूरेन,ट्रैफिक वार्डन
ट्रैफिक एएसपी ने दी जानकारी : ट्रैफिक एडिशनल एसपी प्रशांत शुक्ला ने बताया कि रायपुर में सड़क सुरक्षा माह 2025 का आयोजन करने के साथ ही ट्रैफिक रूल्स की जानकारी के लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है. NSS के 90 बच्चे जिसमें गर्ल्स और बॉयज दोनों शामिल हैं. खुद के मोटिवेशन से बच्चे शहर के चौक चौराहों पर खड़े होकर लोगों को ट्रैफिक रूल्स की जानकारी दे रहे हैं और उन्हें जागरूक भी कर रहे हैं.
बच्चों को शहर में ट्रैफिक कैसे सुधारा जाए इसका अवसर उन्हें भी दिया जा रहा है. कॉलेज में पढ़ने वाले बच्चे ट्रैफिक की जानकारी और ट्रैफिक रूल्स को फॉलो करने में हमारा सहयोग कर रहे हैं. आम जनता को ट्रैफिक रूल्स की जानकारी की देने के लिए यातायात विभाग के द्वारा लगातार इसके लिए जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है - प्रशांत शुक्ला, ट्रैफिक एएसपी
15 दिनों तक बच्चे लोगों को करेंगे मोटिवेट : आपको बता दें कि ट्रैफिक रूल्स को फॉलो करें स्कूल कॉलेज और चौक चौराहों पर जाकर लोगों में जागरूकता लाने की कोशिश की जा रही है. इसमें सफल होने की बात कही जा रही है. फिलहाल ट्रायल के तौर पर 15 दिनों के लिए सड़क पर बच्चों को खड़ा किया गया है. बच्चे मोटिवेशन दिखाएंगे तो आगे भी उन्हें मौका दिया जाएगा.
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