नई दिल्ली: दिल्ली की सड़कों पर डीटीसी के अधीन चल रहीं सीएनजी बसों में से 90 फीसदी बसों की वैलीडिटी एक्सपायर हो चुकी हैं. विशेष अनुमति लेकर डीटीसी की बसें चलाई जा रही हैं. ओवरएज हो चुकी बसों के संचालन से यात्रियों की सुरक्षा को भी खतरा है. अभी तक इन पुरानी बसों की जगह नई बसें आ जानी चाहिए थी, लेकिन बसें अभी तक नहीं आई हैं. दिल्ली की सड़कों पर वर्तमान में 7,713 बसें चल रही हैं, इसमें कुल 1970 इलेक्ट्रिक बसें हैं. इन बसों का संचालन दिल्ली ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन (डीटीसी) और दिल्ली इंटीग्रेटेड मल्टीमाडल ट्रांजिट सिस्टम (डिम्ट्स) कराया जाता है. दिल्ली की बसों पर रोजाना करीब 41 लाख यात्री सफर करते हैं. दिल्ली में अभी भी बसों की संख्या कम है. बीती 19 जून को डिम्ट्स के अधीन चल रहीं 997 बसें एक्सपायर हो गईं. हाईकोर्ट से विशेष अनुमित लेने के बाद इन बसों का संचालन किया जा रहा है.
डीटीसी के बेड़े में सबसे अधिक एक्सपायर बसें: दिल्ली ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन (डीटीसी) के बेडे में वर्तमान में कुल 2996 सीएनजी बसें हैं. इसकी उम्र 12 साल या 7.50 लाख किलोमीटर में जो भी पहले हो. डीटीसी के बेड़े की करीब 90 प्रतिशत बसें एक्सपायर हो चुकी हैं. 2025 तक विशेष अनुमति लेकर इन बसों का संचालन किया जा रहा है. डीटीसी की 1200 बसें अगले माह सितंबर में एक्सपायर हो रही हैं. इन बसों के सड़क से हटने के बाद बसों की संख्या कम हो जाएगी. इससे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है.
बसें खराब होने से यात्री परेशान: उम्र पूरी कर चुकी बसें आए दिन सड़कों पर खराब हो जाती हैं. ऐसे में यात्रियों को काफी परेशानी होती है. एसी काम नहीं करता है. भीषण गर्मी में सफर करना पड़ता है. चालकों की मानें तो दिल्ली की सड़कों पर रोजाना सैकड़ों बसें खराब होती हैं. ठीक होने के बाद दोबारा चलती हैं. सभी बसों को बदलने की जरूरत है. एक्सपायर हो चुकी इन बसों के चलाने से कोई भी हादसा हो सकता है. यात्रियों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है.
"वर्तमान स्थिति की बात करें तो दिल्ली की सड़कों पर सीएनजी बसों की कुल फ्लीट की 20 प्रतिशत बसें रोज सड़कों पर खराब यानी ब्रेक डाउन हो रही हैं. टेक्नोलाजी के चलते एक्सपायर हो चुकी बसों के ब्रेकिंग सिस्टम बहुत अच्छे हैं. सीएनजी बसों में इलेक्ट्रिकल सिस्टम की मियाद खत्म हो चुकी है. पेंच वर्क और रिपेयर करके चल रही हैं. फ्लोर, सीट, खिड़कियां, सिग्नल्स खराब हैं. सीएनजी की बसों के अंदर मकैनिकल ब्रेकडाउन 10 से 15 प्रतिशत और बाकी इलेक्ट्रिकल और मकैनिकल कारण से ब्रेक डाउन हो रहा है." -अनिल छिकारा, सेवानिवृत्त डिप्टी कमिश्नर, दिल्ली ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन
दिल्ली में और कितनी बसें होनी चाहिए: दिल्ली में कॉमनवेल्थ गेम के दौरान बड़ी संख्या में बसें आईं थी. तब भी बसों की कमी थी. दिल्ली सरकार ने दिल्ली की सड़कों पर 10,480 बसें चलाने का लक्ष्य रखा है. इनमें से 8,000 हजार इलेक्ट्रिक बसें होंगी, बाकी सीएनजी की बसें होंगी. वर्तमान की स्थिति की बात करें तो अभी डीटीसी के बेड़े में कुल 4,566 बसें हैं. वहीं, 3147 बसें कलस्टर योजना के तहत चल रही हैं.
"सीएनजी की ओवरएज हो चुकी बसों को 2025 तक विशेष अनुमति लेकर चलाया जा रहा है. बसों के ब्रेकडाउन की समस्या है. जो भी बसें खराब होती हैं, उन्हें मौके पर मकैनिक भेजकर ठीक कराया जाता है. यात्रियों को दूसरी बसों में भेजा जाता है, नई इलेक्ट्रिक बसें आ रही हैं. नई बसें जैसे-जैसे आ रही हैं, पुरानी बसों को रीप्लेस किया जा रहा है, जिससे समस्या को खत्म किया जा सके." -एके राव, मैनेजर ट्रैफिक, दिल्ली ट्रांसपोर्ट कारोपेशन.
किसके पास कितनी बसें :
संस्था | सीएनजी बसें | इलेक्ट्रिक बसें |
डीटीसी बसे | 2996 | 1570 |
डिम्ट्स बसें | 2747 | 400 |
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