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हिमाचल में इतने हजार किलोमीटर है सड़कों की लंबाई, 15 हजार से अधिक गांवों में पहुंचे रोड

हिमाचल में अभी 41,202 किलोमीटर सड़क नेटवर्क का विस्तार हुआ है. प्रदेश में PWD ने 2,519 पुलों, 36,763 किलोमीटर क्रॉस ड्रेनेज का निर्माण किया है.

हिमाचल में 41 हजार किलोमीटर से अधिक है सड़कों की लंबाई
हिमाचल में 41 हजार किलोमीटर से अधिक है सड़कों की लंबाई (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Oct 13, 2024, 3:23 PM IST

शिमला: छोटे पहाड़ी राज्य हिमाचल में सड़कों ने लोगों के जीवन को बदलने का काम किया है. किसी भी देश या प्रदेश के विकास के लिए सड़कों का योगदान बेहद अहम है, लेकिन चुनौतीपूर्ण भौगोलिक परिस्थितियों के बाद अब तक प्रदेश के सड़क नेटवर्क में 41,202 किलोमीटर तक का विस्तार हुआ है, जिसमें 34,917 किलोमीटर पक्की सड़कें हैं, जिनके माध्यम से पहाड़ में कठिन जीवन जीने वाले लोगों की यात्रा सुरक्षित और सुगम हो रही है.

अब तक प्रदेश में लोक निर्माण विभाग ने 2,519 पुलों और 36,763 किलोमीटर क्रॉस ड्रेनेज का निर्माण किया है. पहाड़ी क्षेत्र में भू-स्खलन, मानसून और सर्दी के मौसम में सड़कों पर आवाजाही सुचारू बनाए रखने को पुल और क्रॉस ड्रेनेज का होना आवश्यक है. प्रदेश सरकार के प्रयासों से हिमाचल के 17, 882 गांवों में से 15,778 को सड़क सुविधा से जोड़ा जा चुका है. अब 2104 गांव सड़क सुविधा से जोड़े जाने शेष हैं.

2,240.27 करोड़ के बजट का प्रावधान

वहीं, प्रदेश में 12,500 करोड़ के निवेश से फोरलेन राजमार्ग और 68 सुरंगों का निर्माण किया जा रहा है. ये परियोजनाएं यात्रा के समय को कम करने के साथ-साथ पर्यटन और कारोबार तक पहुंच में सुधार करने में महत्त्वपूर्ण साबित होंगी. प्रदेश सरकार ने सड़कों के आधारभूत ढांचे के लिए इस वित्त वर्ष में 2,240.27 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया है. इसमें से 526.42 करोड़ की धनराशि का उपयोग किया जा चुका है. इस राशि से वर्ष के पहले छह माह में 18 पुल, 33 नए भवन, 190 किमी परिवहन योग्य सड़कें और 309 किमी क्रॉस-ड्रेनेज सहित कई कार्यों का निर्माण पूरा किया जा चुका है. इसके अलावा राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में 674 किमी सड़कों की टारिंग और 1,060 किमी सड़कों का नवीनीकरण किया गया है.

सीआरआईएफ के तहत प्राप्त हुई इतनी राशि

हिमाचल में 2024-25 में केंद्रीय सड़क और बुनियादी ढांचा निधि (सीआरआईएफ) के तहत 293.36 करोड़ की राशि प्राप्त हुई है. इस राशि का उपयोग प्रदेश की पांच प्रमुख परियोजनाओं को पूरा करने के लिए किया जाएगा. शिमला में 52 किमी लंबी टिक्कर-जरोल-गाहन-ननखड़ी-खमाड़ी सड़क का उन्नयन, कांगड़ा में गज खड्ड पर एक पुल और हमीरपुर और मंडी जिलों में उन्नयन कार्य किया जाना शामिल है. इन परियोजनाओं से कनेक्टिविटी बढ़ेगी और क्षेत्र के लोगों का विकास होगा. वहीं, लोक निर्माण विभाग ने परिचालन को सुव्यवस्थित करने और परियोजना प्रबंधन को आधुनिक बनाने के लिए वामिस (WAMIS) सॉफ्टवेयर तैयार किया है. सरकार ने निविदा प्रक्रिया की अवधि भी 51 दिनों से 30 दिन कर दी है. इसके अतिरिक्त विभाग के अधिकारियों को उच्च-मूल्य वाली निविदाओं को स्वीकृति देने के लिए ज्यादा शक्तियां प्रदान की गई हैं, जिससे परियोजनाओं के निर्माण कार्य में तेजी आई है.

सड़क की गुणवत्ता से समझौता नहीं

प्रदेश सरकार राज्य में सड़क एवं अन्य निर्माण कार्यों में गुणवत्ता को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है, जिसके लिए ठेकेदारों की ओर से किए जाने वाले कार्यों की निगरानी की जा रही है और गुणवत्ताविहीन कार्य करने वालों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई सुनिश्चित की जा रही है. प्रदेश सरकार का मुख्य उद्देश्य सड़क कनेक्टिविटी से राज्य की जनता को समान आर्थिक समृद्धि के अधिक से अधिक अवसर और बेहतर सुविधाएं प्रदान करना है. राज्य सरकार के अथक प्रयास न केवल कनेक्टिविटी में बदलाव ला रहे हैं, बल्कि प्रदेश को प्रगति और विकास के एक मॉडल के रूप में भी स्थापित कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें: जिससे बनता है पुलिस का डंडा, अब उससे बन रहे डिजाइनर बैग और पर्स, लोगों को आ रहे बेहद पसंद

शिमला: छोटे पहाड़ी राज्य हिमाचल में सड़कों ने लोगों के जीवन को बदलने का काम किया है. किसी भी देश या प्रदेश के विकास के लिए सड़कों का योगदान बेहद अहम है, लेकिन चुनौतीपूर्ण भौगोलिक परिस्थितियों के बाद अब तक प्रदेश के सड़क नेटवर्क में 41,202 किलोमीटर तक का विस्तार हुआ है, जिसमें 34,917 किलोमीटर पक्की सड़कें हैं, जिनके माध्यम से पहाड़ में कठिन जीवन जीने वाले लोगों की यात्रा सुरक्षित और सुगम हो रही है.

अब तक प्रदेश में लोक निर्माण विभाग ने 2,519 पुलों और 36,763 किलोमीटर क्रॉस ड्रेनेज का निर्माण किया है. पहाड़ी क्षेत्र में भू-स्खलन, मानसून और सर्दी के मौसम में सड़कों पर आवाजाही सुचारू बनाए रखने को पुल और क्रॉस ड्रेनेज का होना आवश्यक है. प्रदेश सरकार के प्रयासों से हिमाचल के 17, 882 गांवों में से 15,778 को सड़क सुविधा से जोड़ा जा चुका है. अब 2104 गांव सड़क सुविधा से जोड़े जाने शेष हैं.

2,240.27 करोड़ के बजट का प्रावधान

वहीं, प्रदेश में 12,500 करोड़ के निवेश से फोरलेन राजमार्ग और 68 सुरंगों का निर्माण किया जा रहा है. ये परियोजनाएं यात्रा के समय को कम करने के साथ-साथ पर्यटन और कारोबार तक पहुंच में सुधार करने में महत्त्वपूर्ण साबित होंगी. प्रदेश सरकार ने सड़कों के आधारभूत ढांचे के लिए इस वित्त वर्ष में 2,240.27 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया है. इसमें से 526.42 करोड़ की धनराशि का उपयोग किया जा चुका है. इस राशि से वर्ष के पहले छह माह में 18 पुल, 33 नए भवन, 190 किमी परिवहन योग्य सड़कें और 309 किमी क्रॉस-ड्रेनेज सहित कई कार्यों का निर्माण पूरा किया जा चुका है. इसके अलावा राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में 674 किमी सड़कों की टारिंग और 1,060 किमी सड़कों का नवीनीकरण किया गया है.

सीआरआईएफ के तहत प्राप्त हुई इतनी राशि

हिमाचल में 2024-25 में केंद्रीय सड़क और बुनियादी ढांचा निधि (सीआरआईएफ) के तहत 293.36 करोड़ की राशि प्राप्त हुई है. इस राशि का उपयोग प्रदेश की पांच प्रमुख परियोजनाओं को पूरा करने के लिए किया जाएगा. शिमला में 52 किमी लंबी टिक्कर-जरोल-गाहन-ननखड़ी-खमाड़ी सड़क का उन्नयन, कांगड़ा में गज खड्ड पर एक पुल और हमीरपुर और मंडी जिलों में उन्नयन कार्य किया जाना शामिल है. इन परियोजनाओं से कनेक्टिविटी बढ़ेगी और क्षेत्र के लोगों का विकास होगा. वहीं, लोक निर्माण विभाग ने परिचालन को सुव्यवस्थित करने और परियोजना प्रबंधन को आधुनिक बनाने के लिए वामिस (WAMIS) सॉफ्टवेयर तैयार किया है. सरकार ने निविदा प्रक्रिया की अवधि भी 51 दिनों से 30 दिन कर दी है. इसके अतिरिक्त विभाग के अधिकारियों को उच्च-मूल्य वाली निविदाओं को स्वीकृति देने के लिए ज्यादा शक्तियां प्रदान की गई हैं, जिससे परियोजनाओं के निर्माण कार्य में तेजी आई है.

सड़क की गुणवत्ता से समझौता नहीं

प्रदेश सरकार राज्य में सड़क एवं अन्य निर्माण कार्यों में गुणवत्ता को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है, जिसके लिए ठेकेदारों की ओर से किए जाने वाले कार्यों की निगरानी की जा रही है और गुणवत्ताविहीन कार्य करने वालों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई सुनिश्चित की जा रही है. प्रदेश सरकार का मुख्य उद्देश्य सड़क कनेक्टिविटी से राज्य की जनता को समान आर्थिक समृद्धि के अधिक से अधिक अवसर और बेहतर सुविधाएं प्रदान करना है. राज्य सरकार के अथक प्रयास न केवल कनेक्टिविटी में बदलाव ला रहे हैं, बल्कि प्रदेश को प्रगति और विकास के एक मॉडल के रूप में भी स्थापित कर रहे हैं.

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