मथुरा: जिले से साठ किलोमीटर दूर शेरगढ़ कस्बे के फालैन गांव में कई दशकों से चली आ रही परंपरा आज भी कायम है. हर बार विशालकाय होलिका के बीच गांव का एक शख्स कूद जाता है. जब वह अंगारों से बाहर निकलता है तो बिलकुल सुरक्षित रहता है. इस बार भी यही हुआ. गांव के मोनू पंडा ने जलती होलिका में दौड़ लगा दी. इसके बाद पूरा गांव भक्त प्रह्लाद के जयकारों से गूंज उठा.
भक्त प्रहलाद के नाम से विख्यात है गांव
बता दें कि फालैन गांव भक्त प्रह्लाद के नाम से मशहूर है. होलिका दहन के दिन फालैन गांव में खास होली होती है. मान्यता है कि हिरण्यकश्यप की बहन होलिका ने भक्त प्रह्लाद को जलाने का प्रयास किया था, लेकिन वह खुद जल गई थी. फालेन गांव में इस प्रथा को पंडा परिवार आज भी उसी रूप में मनाता है. परंपरा के अनुसार पंडा परिवार का एक सदस्य जलती होलिका के बीच से गुजरता है. बाहर आने पर उसके शरीर पर कहीं भी जलने-झुलसने के निशान नहीं मिलते. इस बार मोनू पंडा ने पांचवीं बार यह परंपरा निभाई है.
एक महीने की कठोर तपस्या
मुख्यालय से 60 किलोमीटर दूर छाता तहसील के गांव फालैन में भक्त प्रहलाद का विशाल मंदिर बना हुआ है. इसी मंदिर में एक महीने तक कठोर व्रत करने के बाद मोनू पंडा ने खुद को परंपरा निभाने के लिए तैयार किया. यहां मोनू पंडा जैसे ही होलिका की आग से बाहर निकला, वहां मौजूद हर कोई भक्त प्रह्लाद के जयकारे लगाने लगा.
होलिका की खास तैयारी
हर बार की तरह इस बार भी जलती होली से निकलने के लिए मोनू पंडा ने मंदिर की ज्योति हाथ पर रख शुभ मुहूर्त का इंतजार किया. शुभ मुहूर्त आते ही 20 फुट चौड़ी और 14 फीट ऊंची होलिका में आग लगा दी गई. इसके बाद प्रह्लाद कुंड में स्नान कर मोनू होलिका के दहकते अंगारों पर दौड़ पड़ा.