नई दिल्ली/गाजियाबाद: दिल्ली-एनसीआर में डॉग बाइट के साथ अब मंकी बाइट के भी मामले सामने आ रहे हैं. गाजियाबाद के विभिन्न इलाकों में बंदरों का आतंक फैला हुआ है. लोग घरों में कैद होने को मजबूर हैं. स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, गाजियाबाद में मंकी बाइट के हर दिन 20 से 25 मामले सामने आ रहे हैं.
हालांकि, डॉग बाइट की तुलना में मंकी बाइट के आंकड़े काफी कम है, लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि लोगों में मंकी बाइट का खतरा बना हुआ है. जिला सर्विलांस ऑफिसर डॉ राकेश कुमार गुप्ता के मुताबिक, जून में 633 और जुलाई में 760 मंकी बाइट के केस रिपोर्ट हुए हैं. स्वास्थ्य विभाग के द्वारा जिन क्षेत्रों में मंकी बाइट के अधिक मामले आ रहे हैं वहां पर लोगों को जागरूक किया जा रहा है.
मंकी बाइट के मामले को तीन कैटेगरी में बांटा गया: स्वास्थ्य विभाग द्वारा मंकी बाइट के मामले को तीन कैटेगरी में बांटा गया है. मंकी बाइट होने के पश्चात स्कीन पर किसी प्रकार की हानि ना होने पर ऐसे मामलों को कैटेगरी एक में रखा जाता है. मंकी बाइट होने के पश्चात हल्की ब्लीडिंग होने को कैटेगरी दो में रखा जाता है. यदि मंकी बाइट होने के कारण गहरा घाव आदि हुआ है तो उसे कैटेगरी तीन में रखा जाता है. स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, मंकी बाइट के अधिकतर मामले कैटेगरी एक के होते हैं.
बंदरों के आतंक से कैसे बचें
- बंदर खाने की वस्तु छीनने के लिए आप पर झपटे तो उससे मुकाबला न करें बल्कि उस वस्तु को दूर फेंक दें
- कूड़ादान में कूड़ा डालने के बाद उसके ढक्कन को अच्छी तरह बंद करें
- बंदर से नजर न मिलाएं
- खाने का सामान पॉलीथिन के लिफाफों की बजाय जूट के बैग में रखें
- बंदर द्वारा किए गए हमले के दौरान एकजुट रहें
मेयर सुनीता दयाल ने दिल्ली सरकार पर लगाया आरोप: गाजियाबाद की डेल्टा कॉलोनी में हाल ही में बंदरों ने 5 दिनों में 6 लोगों को काटा है. बीते दिनों, गाजियाबाद की मेयर सुनीता दयाल ने कहा था कि रात में बड़ी संख्या में दिल्ली सरकार की तरफ से गाजियाबाद में बंदर छोड़ दिए जाते हैं. जिससे लोगों में डर का माहौल पैदा हो गया है. उन्होंने उद्यान विभाग के अफसरों को आदेश दिया कि बंदरों को जल्द पकड़ कर दूर के जंगलों में छोड़ें.
ये भी पढ़ें: