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MP Elephants Death: छत्तीसगढ़ में हाथियों की निगरानी तेज, अलर्ट पर वन विभाग

कटघोरा वनमंडल में हाथियों पर कड़ी नजर रखी जा रही है. हाथी जहां जहां जा रहे हैं. वन विभाग के कर्मचारी उनके पीछे पीछे है.

MP ELEPHANTS DEATH
छत्तीसगढ़ हाथियों की निगरानी (ETV Bharat Chhattisgarh)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Nov 2, 2024, 12:25 PM IST

कोरबा: मध्य प्रदेश में 3 दिन के अंदर 10 हाथियों के मौत के बाद छत्तीसगढ़ में हाथियों की निगरानी तेज कर दी गई है. वन विभाग के अफसर कड़ाई से एसओपी का पालन कर रहे हैं और पूरी तरह से अलर्ट मोड पर हैं.

छत्तीसगढ़ में समृद्ध वन होने के कारण, यहां हाथियों की आवक लगातार बनी रहती है. हसदेव का बड़ा जंगल होने के कारण छत्तीसगढ़ का सरगुजा, कोरबा, कटघोरा, रायगढ़ जिले का धरमजयगढ़ और कुछ अन्य हिस्से हाथियों का स्थायी आवास बन चुका है. अकेले कटघोरा वनमंडल में इस वक्त 61 हाथी मौजूद हैं. जो तीन दलों में बंटे हुए हैं.

elephants death in MP
छत्तीसगढ़ में सड़क पार करते हाथी (ETV Bharat Chhattisgarh)

छत्तीसगढ़ में हाथियों की संख्या है लगभग 300 : छत्तीसगढ़ में हाथियों की संख्या लगभग 300 से 350 के करीब है. पड़ोसी जिले मध्य प्रदेश, ओडिशा और झारखंड से हाथी छत्तीसगढ़ की तरफ माइग्रेट हुए हैं. जिनका अब भी पड़ोसी राज्यों से लेकर यहां तक आना-जाना लगा रहता है. कई मामलों में एक बार हाथी जब पड़ोसी राज्यों से छत्तीसगढ़ में प्रवेश किये, तब वह यही के होकर रह गए, वह वापस लौट कर नहीं गए. ऐसे में हाथियों की संख्या घटती बढ़ती भी रहती है और इनका प्रबंधन वन अमले के लिए एक चुनौती बन जाता है.

elephants death in MP
कोरबा में हाथियों का दल (ETV Bharat Chhattisgarh)

छत्तीसगढ़ में कोदो खाते हैं हाथी : एमपी में हुई हाथियों की मौत के बारे में प्रारंभिक तौर पर यह बात कही गई है कि कोदो हाथियों के सेहत के लिए ठीक नहीं होता. संभवत: इसकी वजह से हाथियों की जान गई होगी, हालांकि यह अधिकृत तौर पर नहीं कहा गया है, ना ही इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण ही मिला है. दूसरी तरफ कोरबा और कटघोरा वन मंडल या छत्तीसगढ़ में पाए जाने वाले हाथी कोदो को आराम से खा लेते हैं. हालांकि कोदो उनका पसंदीदा खाना नहीं होता, लेकिन फिर भी हाथी कोदो खाते हैं. इसकी पुष्टि वन अमले ने भी की है. कई बार हाथी कोदो खाकर गहरी नींद में भी सो जाते हैं और वन विभाग इनकी निगरानी में लगा रहता है.

elephants death in MP
छत्तीसगढ़ में हाथियोें पर नजर (ETV Bharat Chhattisgarh)

क्या है कोदो जिसकी हो रही चर्चा: कोदो मिलेट(मोटा अनाज) में फेनोलिक एसिड नामक योगिक मौजूद होता है. जो पैंक्रियाज में एमाइलेज को बढ़ाकर इंसुलिन के प्रोडक्शन को प्रोत्साहित करता है. वहीं, शरीर में इंसुलिन की सही मात्रा शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद मिलती है. जिससे डायबिटीज की स्थिति में राहत मिलती है. इसके अलावा कोदो का ग्लाइसेमिक इंडेक्स भी बहुत कम होता है. जिसकी वजह से इसे काफी पौष्टिक माना जाता है. यह सरसों के दाने की तरह छोटे गोल आकार का होता है.

एमपी की ओर से छत्तीसगढ़ के इन क्षेत्रों में हाथी करते हैं प्रवेश : मध्य प्रदेश के अनूपपुर क्षेत्र से हाथी गौरेला पेंड्रा क्षेत्र में प्रवेश करते हैं. यहां के जंगलों में घूमकर अपने खाने का इंतजाम करते हैं, आराम करते हैं और लौट जाते हैं. कई बार हाथियों के एक जगह से दूसरे जगह पूरी तरह से माइग्रेट होने की भी सूचना मिलती हैं. एमपी के जिस स्थान बांधवगढ़ में हाथियों के मौत हुई है, वहां से हाथी गुरु घासीदास अभ्यारण छत्तीसगढ़ में प्रवेश करते हैं. इस स्थान से हथियों का छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश दोनों ही राज्यों के जंगलों में आना-जाना लगा रहता है.

elephants death in MP
कटघोरा वन विभाग (ETV Bharat Chhattisgarh)

लगातार कर रहे हो निगरानी, मुनादी और पत्राचार : कटघोरा वन मंडल के डीएफओ कुमार निशांत का कहना है कि एमपी में हाथियों की मौत के बाद वन विभाग अलर्ट मोड पर है. कटघोरा में इस समय 61 हाथी मौजूद हैं. लगातार एसओपी का पालन किया जा रहा है. हाथी दल जहां जा रहा है, वन अमला उनके पीछे उनकी निगरानी में लगा हुआ है. मुनादी कराकर ग्रामीणों को उनसे दूर रहने की समझाइए जा रही है.

elephants death in MP
छत्तीसगढ़ में हाथियोें पर नजर (ETV Bharat Chhattisgarh)

डीएफओ ने बताया कि कटघोरा वन मंडल में करंट लगने से हाथियों की मौत हुई थी. इसलिए बिजली विभाग को झूलते हुए तारों की हाइट की बढ़ाने व ठोस कदम उठाने के लिए तत्काल पत्राचार किया जा रहा है. यहां के हाथी आसानी से कोदो खा लेते हैं, हालांकि यह उनका पसंदीदा खाना नहीं होता है. आगे उच्च अधिकारियों की तरफ से जो भी एडवाइजरी जारी की जाएगी, उसके अनुसार हाथियों का प्रबंध किया जाएगा. हाथियों के प्रबंधन के लिए हर तरह के एहतियाती कदम उठाने की बात डीएफओ ने कही.

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कोरबा: मध्य प्रदेश में 3 दिन के अंदर 10 हाथियों के मौत के बाद छत्तीसगढ़ में हाथियों की निगरानी तेज कर दी गई है. वन विभाग के अफसर कड़ाई से एसओपी का पालन कर रहे हैं और पूरी तरह से अलर्ट मोड पर हैं.

छत्तीसगढ़ में समृद्ध वन होने के कारण, यहां हाथियों की आवक लगातार बनी रहती है. हसदेव का बड़ा जंगल होने के कारण छत्तीसगढ़ का सरगुजा, कोरबा, कटघोरा, रायगढ़ जिले का धरमजयगढ़ और कुछ अन्य हिस्से हाथियों का स्थायी आवास बन चुका है. अकेले कटघोरा वनमंडल में इस वक्त 61 हाथी मौजूद हैं. जो तीन दलों में बंटे हुए हैं.

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छत्तीसगढ़ में सड़क पार करते हाथी (ETV Bharat Chhattisgarh)

छत्तीसगढ़ में हाथियों की संख्या है लगभग 300 : छत्तीसगढ़ में हाथियों की संख्या लगभग 300 से 350 के करीब है. पड़ोसी जिले मध्य प्रदेश, ओडिशा और झारखंड से हाथी छत्तीसगढ़ की तरफ माइग्रेट हुए हैं. जिनका अब भी पड़ोसी राज्यों से लेकर यहां तक आना-जाना लगा रहता है. कई मामलों में एक बार हाथी जब पड़ोसी राज्यों से छत्तीसगढ़ में प्रवेश किये, तब वह यही के होकर रह गए, वह वापस लौट कर नहीं गए. ऐसे में हाथियों की संख्या घटती बढ़ती भी रहती है और इनका प्रबंधन वन अमले के लिए एक चुनौती बन जाता है.

elephants death in MP
कोरबा में हाथियों का दल (ETV Bharat Chhattisgarh)

छत्तीसगढ़ में कोदो खाते हैं हाथी : एमपी में हुई हाथियों की मौत के बारे में प्रारंभिक तौर पर यह बात कही गई है कि कोदो हाथियों के सेहत के लिए ठीक नहीं होता. संभवत: इसकी वजह से हाथियों की जान गई होगी, हालांकि यह अधिकृत तौर पर नहीं कहा गया है, ना ही इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण ही मिला है. दूसरी तरफ कोरबा और कटघोरा वन मंडल या छत्तीसगढ़ में पाए जाने वाले हाथी कोदो को आराम से खा लेते हैं. हालांकि कोदो उनका पसंदीदा खाना नहीं होता, लेकिन फिर भी हाथी कोदो खाते हैं. इसकी पुष्टि वन अमले ने भी की है. कई बार हाथी कोदो खाकर गहरी नींद में भी सो जाते हैं और वन विभाग इनकी निगरानी में लगा रहता है.

elephants death in MP
छत्तीसगढ़ में हाथियोें पर नजर (ETV Bharat Chhattisgarh)

क्या है कोदो जिसकी हो रही चर्चा: कोदो मिलेट(मोटा अनाज) में फेनोलिक एसिड नामक योगिक मौजूद होता है. जो पैंक्रियाज में एमाइलेज को बढ़ाकर इंसुलिन के प्रोडक्शन को प्रोत्साहित करता है. वहीं, शरीर में इंसुलिन की सही मात्रा शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद मिलती है. जिससे डायबिटीज की स्थिति में राहत मिलती है. इसके अलावा कोदो का ग्लाइसेमिक इंडेक्स भी बहुत कम होता है. जिसकी वजह से इसे काफी पौष्टिक माना जाता है. यह सरसों के दाने की तरह छोटे गोल आकार का होता है.

एमपी की ओर से छत्तीसगढ़ के इन क्षेत्रों में हाथी करते हैं प्रवेश : मध्य प्रदेश के अनूपपुर क्षेत्र से हाथी गौरेला पेंड्रा क्षेत्र में प्रवेश करते हैं. यहां के जंगलों में घूमकर अपने खाने का इंतजाम करते हैं, आराम करते हैं और लौट जाते हैं. कई बार हाथियों के एक जगह से दूसरे जगह पूरी तरह से माइग्रेट होने की भी सूचना मिलती हैं. एमपी के जिस स्थान बांधवगढ़ में हाथियों के मौत हुई है, वहां से हाथी गुरु घासीदास अभ्यारण छत्तीसगढ़ में प्रवेश करते हैं. इस स्थान से हथियों का छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश दोनों ही राज्यों के जंगलों में आना-जाना लगा रहता है.

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कटघोरा वन विभाग (ETV Bharat Chhattisgarh)

लगातार कर रहे हो निगरानी, मुनादी और पत्राचार : कटघोरा वन मंडल के डीएफओ कुमार निशांत का कहना है कि एमपी में हाथियों की मौत के बाद वन विभाग अलर्ट मोड पर है. कटघोरा में इस समय 61 हाथी मौजूद हैं. लगातार एसओपी का पालन किया जा रहा है. हाथी दल जहां जा रहा है, वन अमला उनके पीछे उनकी निगरानी में लगा हुआ है. मुनादी कराकर ग्रामीणों को उनसे दूर रहने की समझाइए जा रही है.

elephants death in MP
छत्तीसगढ़ में हाथियोें पर नजर (ETV Bharat Chhattisgarh)

डीएफओ ने बताया कि कटघोरा वन मंडल में करंट लगने से हाथियों की मौत हुई थी. इसलिए बिजली विभाग को झूलते हुए तारों की हाइट की बढ़ाने व ठोस कदम उठाने के लिए तत्काल पत्राचार किया जा रहा है. यहां के हाथी आसानी से कोदो खा लेते हैं, हालांकि यह उनका पसंदीदा खाना नहीं होता है. आगे उच्च अधिकारियों की तरफ से जो भी एडवाइजरी जारी की जाएगी, उसके अनुसार हाथियों का प्रबंध किया जाएगा. हाथियों के प्रबंधन के लिए हर तरह के एहतियाती कदम उठाने की बात डीएफओ ने कही.

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